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हैं कि बेचारा अल्पज्ञ पथिक भटक जाता है कि वह किधर जाए। ___ अल्पज्ञ को अपना ज्ञान बढ़ाना चाहिए। थोड़ा-सा ज्ञान पाकर अहं नहीं करना चाहिए। जिन लोगों ने तुलनात्मक अध्ययन नहीं किया, वे गप्पें मार देते हैं। तुलनात्मक अध्ययन करने वाले यह अनुभव करते हैं कि धर्म में कहीं टकराव नहीं है। धर्म दो नहीं हो सकता। सत्य दो कैसे हो सकता है? व्याख्या भिन्न-भिन्न हो सकती है, एक ही सत्य की पचास आचार्यों ने भिन्न-भिन्न व्याख्याएं की हैं।
भगवान महावीर ने जो कहा, वह सूत्रों में ग्रंथित है। उसकी व्याख्या कौन करता है? हम लोग ही तो करते हैं। व्याख्या का भेद सत्य का भेद नहीं हो सकता। सत्य मूक है, वह बोलता नहीं। यह भेद उनमें है जिनके पास भाषा है, जो बोलते हैं।
भगवान महावीर देशना दे रहे थे। चोर ने सुनी तो उसे अच्छी नहीं लगी। विशेषता देने वाले की नहीं, लेने वाले की है। वर्षा का पानी सब जगह पड़ता है-कुण्ड में, तालाब में, खेत में, अकुरड़ी में, ऊसर भूमि में। कई जगह फलवान होता है, कई जगह खाली भी चला जाता है।
ग्रहण करने की अपनी-अपनी बुद्धि होती है। यदि बुद्धि की तरतमता नहीं होती तो इतना भेद भी नहीं होता। शब्दों की शक्ति और ग्रहण करने वालों की बुद्धि की तरतमता, इन दो कारणों से ही भेद होता है।
भगवान पचीस सौ वर्ष पहले प्राकृत भाषा में बोले थे। एक हजार वर्ष बाद वह वाणी लिखी गई, उस समय भाषा बदल गई। अर्धमागधी के स्थान पर महाराष्ट्री प्राकृत हो गई।
१५० में
धर्म के सूत्र
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