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एस धम्मो सनंतनो
वह चुपचाप समझ लेने की है। वह आंख से आंख में डाल देने की है। वह इशारे-इशारे में समझ लेने की है, जोर से कहने में मजा बिगड़ जाता है। वह बात चुप्पी में कहने की है। इसलिए बुद्ध उसकी बात नहीं करते। वे मूल बात कह देते हैं, आधार रख देते हैं; फिर वे कहते हैं, बीज डाल दिया फिर तो वह अपने से ही अंकुर बन जाता है।
'इस शरीर को घड़े के समान अनित्य जान, इस चित्त को नगर के समान दृढ़ ठहरा, प्रज्ञारूपी हथियार से मार से युद्ध कर, जीत के लाभ की रक्षा कर, और उसमें आसक्त न हो।' 'इस शरीर को घड़े के समान अनित्य जान।'
शरीर घड़ा ही है। तुम भीतर भरे हो घड़े के, तुम घड़े नहीं हो। जैसे घड़े में जल भरा है। या और भी ठीक होगा, जैसा खाली घड़ा रखा है और घड़े में आकाश भरा है। घड़े को तोड़ दो, आकाश नहीं टूटता। घड़ा टूट जाता है, आकाश जहां था वहीं होता है। घड़ा टूट जाता है, सीमा मिट जाती है। जो सीमा में बंधा था वह असीम के साथ एक हो जाता है। घटाकाश आकाश के साथ एक हो जाता है।
शरीर घड़ा है। मिट्टी का है। मिट्टी से बना है, मिट्टी में ही गिर जाएगा। और जिसने यह समझ लिया कि मैं शरीर हूं, वही भ्रांति में पड़ गया। सारी भ्रांति की शुरुआत इस बात से होती है कि मैं शरीर हूं। तुमने अपने वस्त्रों को अपना होना समझ लिया। तुमने अपने घर को अपना होना समझ लिया। ठहरे हो थोड़ी देर को, पड़ाव है मंजिल नहीं, सुबह हुई और यात्रीदल चल पड़ेगा। थोड़ा जागकर इसे देखो।
मामूर-ए-फनां की कोताहियां तो देखो
एक मौत का भी दिन है दो दिन की जिंदगी में बड़ी कंजूसी है। बड़ी संकीर्णता है।
मामूर-ए-फनां की कोताहियां तो देखो
एक मौत का भी दिन है दो दिन की जिंदगी में कुल दो दिन की जिंदगी है। उसमें भी एक मौत का दिन निकल जाता है। एक दिन की जिंदगी है और कैसे इठलाते हो! कैसे अकड़े जाते हो! कैसे भूल जाते हो कि मौत द्वार पर खड़ी है। शरीर मिट्टी है और मिट्टी में गिर जाएगा।
'इस शरीर को घड़े के समान अनित्य जान।'
बुद्ध यह नहीं कहते कि मान। बुद्ध कहते हैं, जान। बुद्ध का सारा जोर बोध पर है। वे यह नहीं कहते कि मैं कहता हूं इसलिए मान ले कि शरीर घड़े की तरह है। वे कहते हैं, तू खुद ही जान। थोड़ा आंख बंद कर और पहचान, तू घड़े से अलग है।
ध्यान रखना, जिस चीज के भी हम द्रष्टा हो सकते हैं, उससे हम अलग हैं। जिसके हम द्रष्टा न हो सकें, जिसको दृश्य न बनाया जा सके, वही हम हैं। आंख बंद करो और शरीर को तुम अलग देख सकते हो। हाथ टूट जाता है, तुम नहीं टूटते।
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