Book Title: Dhammapada 02
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 253
________________ एस धम्मो सनंतनो तरफ यात्रा करना, तीर्थयात्रा करना। तंग था जिसके लिए हरफे-बयां का दायरा वो फसाना हम खामोशी में सुनाकर रह गये शब्द छोटे पड़ जाते हैं। दायरा छोटा है। तंग था जिसके लिए हरफे-बयां का दायरा कहने की सीमा है, जो कहना है उसकी कोई सीमा नहीं। गीत की सीमा है, जो गाना है उसकी कोई सीमा नहीं। वाद्य की सीमा है, जो बजाना है उसकी कोई सीमा नहीं। ___वो फसाना हम खामोशी में सुनाकर रह गये लेकिन खामोशी तो तुम कैसे समझोगे? शब्द भी चूक जाते हैं। हिलाए-हिलाए तुम नहीं हिलते नींद से। जगाए-जगाए तुम नहीं हिलते नींद से। शब्द तो ऐसे हैं जैसे पास में रखी घड़ी में अलार्म बजता हो। तब भी तुम नहीं जगते। तो जिस घड़ी में अलार्म नहीं बजता, उससे तुम कैसे जगोगे। ___तो बहुत ज्ञानी चुप रह गये। बहुत ज्ञानी बोले। चुप रहने वालों को तुमने समझा, जानते ही नहीं। बोलने वालों से तुमने शब्द सीखे और तुम पंडित हो गये। लेकिन कुछ ज्ञानियों ने बीच का रास्ता चुना। और बीच का रास्ता ही सदा सही रास्ता है। उन्होंने कहा भी और इस ढंग से कहा कि अनकहा भी तुम्हें भूल न जाए। उन्होंने कहा भी और कहने के बीच-बीच में खाली जगह छोड़ दी। उन्होंने कहा भी और रिक्त स्थान भी छोड़े। रिक्त स्थान तुम्हें भरने हैं। तुमने छोटे बच्चों की किताबें देखी हैं? एक शब्द दिया होता है, फिर खाली जगह, फिर दूसरा शब्द दिया होता है। और बच्चों से कहा जाता है, बीच का शब्द भरो। जो परमज्ञानी हुए, उन्होंने यही किया। एक शब्द दिया, खाली जगह दी, फिर दूसरा शब्द दिया। बीच की खाली जगह तुम्हें भरनी है। जो मैं कह रहा हूं, वह प्रतिबिंब है। जो तुम भरोगे, वह चांद होगा। सत्य उधार नहीं मिल सकता। सत्य को तुम्हें जन्माना होगा। सत्य को तुम्हें अपने गर्भ में धारण करना होगा। सत्य तुम्हारे भीतर बढ़ेगा। जैसे मां के पेट में बच्चा बड़ा होता है। वह तुम्हारा खून, तुम्हारी श्वास मांगता है। वह तुम्हारा ही विस्तार होगा। जब तक तुम ही चांद न बन जाओ, तब तक तुम चांद को न देख सकोगे। इसलिए मैंने बहुत बार कहा और बहुत बार कहूंगा, क्योंकि ये बुद्ध के वचन तो अभी बहुत देर तक चलेंगे। बहुत बार बहुत जगह कहूंगा, एस धम्मो सनंतनो। तब तुम स्मरण रखना कि मैं यह नहीं कह रहा हूं कि धर्म बहुत हैं। मैं इतना ही कह रहा हूं कि बहुत स्थान हैं जहां से धर्म का इशारा किया जा सकता है। कभी गुलाब के फूल की तरफ इशारा करके कहूंगा, एस धम्मो सनंतनो। कभी चांद की तरफ इशारा करके कहंगा, एस धम्मो सनंतनो। कभी किसी छोटे बच्चे की आंखों में 234

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