Book Title: Dhammapada 02
Author(s): Osho Rajnish
Publisher: Rebel Publishing House Puna

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Page 264
________________ हरि ॐ तत्सत् एक महान चुनौती : मनुष्य का स्वर्णिम भविष्य धार्मिक सिखाता हूं, धर्म नहीं तंत्र संभोग से समाधि की ओर तंत्र-सूत्र (आठ भागों में ) पत्र - संकलन क्रांति - बीज पथ के प्रदीप अंतर्वीणा प्रेम की झील में अनुग्रह के फूल बोध कथा मिट्टी के दीये ध्यान, साधना, योग ध्यानयोगः प्रथम और अंतिम मुक्ति रजनीश ध्यान योग हसिबा, खेलिबा, धरिबा ध्यानम् नेति नेति मैं कहता आंखन देखी पतंजलि: योगसूत्र (दो भागों में ) साधना शिविर साधना-पथ ध्यान - सूत्र जीवन ही है प्रभु माटी कहै कुम्हार सूं मैं मृत्यु सिखाता हूं जिन खोजा तिन पाइयां समाधि के सप्त द्वार (ब्लावट्स्की) साधना -सूत्र (मेबिल कॉलिन्स) राष्ट्रीय और सामाजिक समस्याएं देख कबीरा रोया स्वर्ण पाखी था जो कभी और अब है भिखारी जगत का शिक्षा में क्रांति नये समाज की खोज ओशो के संबंध में भगवान श्री रजनीश : ईसा मसीह के पश्चात सर्वाधिक विद्रोही व्यक्ति ओशो टाइम्स. ओशो के संदेश का हिन्दी पाक्षिक शनल ओशो दर्शन एक विशिष्ट त्रैमासिक पत्रिका सम्पर्क सूत्र : ओशो कम्यून इंटरनेशनल, 17 कोरेगांव पार्क, पूना - 411001 (महाराष्ट्र)

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