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एस धम्मो सनंतनो
सि वा इसके और दुनिया में क्या हो रहा है
-कोई हंस रहा है कोई रो रहा है।
अरे चौंक यह ख्वाबे-गफलत कहां तक
सहर हो गई है और तु सो रहा है निद्रा है दुर्गंध। जाग जाना है सुगंध। जो जागा, उसके भीतर न केवल प्रकाश के दीए जलने लगते हैं, वरन सुगंध के फूल भी खिलते हैं। और ऐसी सुगंध के जो फिर कभी मुरझाती नहीं। सदियां बीत जाती हैं, कल्प आते हैं और विदा हो जाते हैं, लेकिन जीवन की सुगंध अडिग और थिर बनी रहती है। नाम भी शायद भूल जाएं कि किसकी सुगंध है, इतिहास पर स्मृति की रेखाएं भी न रह जाएं, लेकिन सुगंध फिर भी जीवन के मुक्त आकाश में सदा बनी रहती है। .
बुद्ध पहले बुद्धपुरुष नहीं हैं, और न अंतिम। उनके पहले बहुत बुद्धपुरुष हुए हैं और उनके बाद बहुत बुद्धपुरुष होते रहे हैं, होते रहेंगे। लेकिन सभी बुद्धों की सुगंध एक है। सोए हुए सभी आदमियों की दुर्गंध एक है; जागे हुए सभी आदमियों की सुगंध एक है। क्योंकि सुगंध जागरण की है; क्योंकि दुर्गंध निद्रा की है।
बुद्ध के ये वचन अनूठे काव्य से भरे हैं। कोई तो कवि होता है शब्दों का, कोई कवि होता है जीवन का। कोई तो गीत गाता है, कोई गीत होता है। बुद्ध गीत हैं। उनसे जो भी निकला है, काश, तुम उनके छंद को पकड़ लो तो तुम्हारे जीवन में भी क्रांति हो जाए।
'चंदन या तगर, कमल या जूही, इन सभी की सुगंधों से शील की सुगंध सर्वोत्तम है,' कहा है बुद्ध ने।
चंदन या तगर, कमल या जूही; पर तुम्हारी सुगंध अगर मुक्त हो जाए तो सब सुगंधे फीकी हैं। क्योंकि मनुष्य पृथ्वी का सबसे बड़ा फूल है। मनुष्य में पृथ्वी ने अपना सब कुछ दांव पर लगाया है। मनुष्य के साथ पृथ्वी ने अपनी सारी आशाएं बांधी हैं। जैसे कोई मां अपने बेटे के साथ सारी आशाएं बांधे, ऐसे पृथ्वी ने मनुष्य की चेतना के साथ बड़े सपने देखे हैं। और जब भी कभी कोई एक व्यक्ति उस ऊंचाई को उठता है, उस गहराई को छूता है, जहां पृथ्वी के सपने पूरे हो जाते हैं, तो सारी पृथ्वी आनंद-मंगल का उत्सव मनाती है।
कथाएं हैं बड़ी प्रीतिकर, जब बुद्ध को बुद्धत्व उपलब्ध हुआ तो वन-प्रांत में जहां वे मौजूद थे, निरंजना नदी के तट पर, वृक्षों में बेमौसम फूल खिल गए। अभी कोई ऋतु न थी, अभी कोई समय न था, लेकिन जब बुद्ध का फूल खिला तो बेमौसम भी वृक्षों में फूल खिल गए। स्वागत के लिए जरूरी था।. ___ जीवन इकट्ठा है। हम अलग-थलग नहीं हैं। हम कोई द्वीप नहीं हैं, महाद्वीप हैं। हम एक ही जीवन के हिस्से हैं। अगर हमारे बीच से कोई एक भी ऊंचाई पर उठता
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