Book Title: Dangvopakhyanam
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Page 53
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir डाग. रणमाचरेत् // 18 // टीका-ते डांगवर्नु वचन सांभळीने ऋर्षाओ बोले छे के, रे अ. 26 भूप अमेज तमारी आशा राखीए छे जे तमे क्षत्रीछो माटे अमाझं रक्षण करशो. 186 ॥श्लोक। अस्माकंआशिषोसत्याकल्यातुनविष्यति तेषांवचनमाकर्ण्यागतो जान्हवीजले // 19 // टीका-परंतु अमे तो तने एटलो आशीर्वाद दैये छे जे ताहारूं कल्याण थशे एवां वचन सांभळीने ते डांगव गंगाना जळमां पेठो. 19 ॥श्लोक ॥गंगेगंगेतीगंगेतिमनुजासंस्मरंतिच॥ तेषांभुक्तिचमुक्तींवत्वंदद्या शोभने तथा॥२०॥ टीका-गंगामां उभोरहीने केहेछे के, हेगंगे हे गंगे हे गंगे, एवा शब्द जे नाहावाना समय बोले छ, तेमने भुक्ति मुक्ति आपनार तमेछो. 20 / ॥श्लोक // इत्येवमुक्त्वावचनंतुरगास्नापयन्नृपः स्वयंस्नातोमहाराजनमश्चक्रेच भास्करं // 21 // टीका-एवां वचन बोलीने तुरगाने स्नान करावे छे, अने पोते पण नाह्यछे, एटलुज नहीं पण सूर्यने सहस्र नमस्कार करे छे. 21 ॥श्लोक काष्टमानियसोराजाचितिक्रत्वाचसांप्रतं // अग्निंससमाधायअकरोच्च प्रदक्षिणं // 22 // टीका-तदनंतर ते राजा वनमाथी काष्ट एकठां करीने चीता खडकतो सतो अग्नी शळगावीने प्रदक्षिणा करतो हवो. 22 ॥श्लोक॥ ततःप्रभातसमयेसुभद्राक्रष्णबांधवा॥ सहस्त्रघेनुदानार्थागताजान्हवी 26 For Private and Personal Use Only

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