Book Title: Dangvopakhyanam
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir डांग, पश्यतां // 27 // टिका-हेराजन हे जन्मेजय,ते समय तात्काळ डांगव पासेथी घोडी श्र. 63 लेइने वन- पासु तेनी पीठ उपर मुंकी भीमसेन नभो रहेछे,अने वळी आगळ पाछळ 13. जुवे छे के रखेने कपट करीने क्रष्ण लेइ जाय नहीं. 27 ॥श्लोक // पतितोहनुमान्वीरोगदाचक्रसमन्वित : भीमष्टष्टेऽपतत्सर्वसप्तार्धवच संगमः // 28 // टीका-घोडीनी पीठ उपर भार देइने उना रह्या छे,ते समय काळमां, हनुमंत गदा चक्र समन्वित भीमना एष्ठ भागे पडीता हवा,ते समय साढा त्रण वचनो संयोग थइ जतो हवो. 28 ॥श्लोकात्यक्त्वाचतुरगीदेहं उर्वशीशापमोचिता सर्वेषांपश्यतांतावछुभानारीबनू वह // 29 // टिका. महामुनिना शाप थकी उर्वशी मुकइ गइ, अने सर्व सैन्यना जोत | जोतामां अश्वनीरुपनो त्याग थइने महा अप्सराहोती हवी. ॥श्लोक। गत्वाकृष्णस्यचरणेपपातदंडवद्भविसर्वान्देवान्नमस्क्रत्यगतास्वर्गस्ववे इमनी॥३०॥टिका. अने जे समय नारि रुप थइ के तात्काळ, कृष्ण परमात्माना चर णनेजइने नमस्कार कर्यो, एटलुंज नही पण सर्वे देव मात्रने नमस्कार करती थकी विमाने बेशी स्वर्ग मार्गे गति करछे.. ॥श्लोक।अन्योन्यत्यक्तवैराश्चरश्नयोपांमुनंदनाःआगताःकौरवैःसाकंईंद्रप्रस्थन- 1 For Private and Personal Use Only

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