Book Title: Dangvopakhyanam
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Page 125
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir डांग, नः 35 टिका. दे राजन दवे तुं जय मां धरीश, मारे कांश तारी साथे वैर नथी, | अ 62 आ उर्वशीनो शाप मुक्त थवाना हेतुथी या सर्व कृत्य कर्युछे, .. // श्लोक ॥भीमंचैवनमस्क्रत्यनमस्क्रत्यचअर्जुनं // कुंतीचद्रौपदीभद्रांतथावा न्यान्सुरान्नृप // 36 // टिका. भीमनेने,चपुनःअर्जूनने तदनंतर कुंता द्रुपदी सुभद्रा, बीजा सर्वे राजाोन डांगव नमस्कार करेछे. ॥श्लोक। गतःकाश्यांनृपोराज्यंचकारसुखकाम्यया सर्वेतेयादवाद्वारामत्यांनृप समागताः 37 // टिका. तदनंतर ते डांगव राजा पोताना काशीपुर प्रति गमन करे छे, अने सर्व यादवो द्वारका प्रति गमन करेछे. 37 ॥श्लोक॥ कोरवादस्तिनगरेगतास्तेजनमेजय // देवाश्चदानवायक्षाःसिद्धचारणप नगाः॥३८॥ टिका हे जन्मेजय राजा कौरव पण हस्तिनापुर विशे गया, देव दा | || नव यक्ष सिद्ध, पन्नग तेयं पण पोत पोताने स्थानके जइ पोचेछे. 38 ॥श्लोक // स्वस्वस्थानेगताःसर्वेब्रह्मारुद्रमुनिश्वराः॥ वार्तीतेपांडवानांचकुर्वतोज। यनिस्वनैः॥३९॥ टीका. ब्रह्मा रुद्र ईंद्र अने बिजा मुनिश्वरोपोत पोताने स्थानके ज ता हवा, अने अखिल ब्रह्माडमां वात चालि के पांडवोनो जय थइ गयो, ॥सुतऊवाच॥ सुत पुराणिक रुपियो प्रत्ये बोलता हवा. ॥श्लोक॥ अणुतांशौ / 62 For Private and Personal Use Only

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