Book Title: Dangvopakhyanam
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Page 127
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir डाग. लंक्रष्णकीर्तनात् ॥४४॥टिका माटे करीने अाश्रावसरेतो यज्ञसवन स्नानदान ज | श्र, 63 पतपादिकथी पण नगवतनुं किर्तन सांनळवं, ते फळनी तुलनाने एके श्रावतं नथी. 13 इतिश्रीमहाभारतेडांगवोपाख्याने उर्वशमिोक्षो नाम त्रयोदशोऽध्यायः॥१३॥ इतिश्री महानारते डांगवोपाख्याने उर्वशीमोक्षनिरुपणातहीकायांक्व कुलोद्भव ज यशंकर सत गंगाधर विरचितायां त्रयोदशोऽध्याय॥१३॥ ॥श्लोक॥ अच्युतंकेशवरामनारायणं कृष्णदामोदरं वासुदेवंहरे॥ श्रीधरंमाधवं | गोपिकावल्लभश्रीजानकीनायकंरामचंद्रनजे // 1 // ॥श्लोक // त्रिनंदेष्ठादिक्येशुभशरदिवर्षेशकवरो॥ऽष्टबाणेत्यष्ठौवाश्विनसफल मासेधवळके // सुपक्षेद्वीपुर्णेचांद्रदिनपतौवैतिथीवरे॥धनिष्ठानक्षत्रे॥गरकरणकेगंजयु जके // 2 // ॥षेलग्नेपेको नभवतिग्रहोंऽशानवधरा॥स्थितात्तस्माल्लग्ना गुणपरिमिते / भौमगुरवौ।तुरियेशुक्रोवै॥शानिरविबुधाःकतवरसे॥दशेचेद्रोंतेगुर्गणनकरगंगाधरजनौर। ॥इति टिका कारस्य जन्म सुचना // समाप्त॥ ॥श्री संवत् 1913 ना वर्षे शाके 1778 प्रवर्त्तमान्ये उत्तरायनगतेश्रीसूर्य|ष मासे क्रष्णपक्षे 3 भौमवासरे महेता गंगाशंकरेगस्वहस्तलिखितं // श्री॥ श्री॥ For Private and Personal Use Only

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