Book Title: Dangvopakhyanam
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Page 124
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir राधिप॥३१॥ टिका. अने ज्यां अप्सरा स्वर्ग गइ के, तात्काळ, उनी जे यादवो अ ने पांडवो तेने तेनां वैर नाश पामी जतां हवां,एटलूज नहीं पण कौरव सुधां यादवो ने तेडीने ईंद्रप्रस्थमां गति करेछे. ॥श्लोक। पांडवैःपूजीतासर्वेदेवर्षिपितृमानवाः ॥भोजिताश्चपरांन्नेनतत्रयेसंगता नृप॥३२॥ टिका. पांडवो घेर श्राविने देव सपिपितरनु यजन करता थका,सर्वने मिष्ठा नवळे करीने नोजन करावेछे. लोकानीमस्यवचनाद्राजाडांगवोपश्यतांनृणां ॥पपातकृश्नचरणेदंडवद्भविसं स्थितः॥३३॥ टिका तदनंतर भिमना वचन थकी, ते डांगव राजा कृष्णना चरण कम कने नमने कर.३३ ॥श्लोक ॥पाहिपाहिजगन्नाथक्षतुमर्हसियादवकृष्णप्रोवाचवचनंगच्छराज्यंकुरुन् / प ॥३४॥॥टिका. हे महाराज हे जगन्नाथ, महारु रक्षण करो, म्हें तमने अोळख्या नहता तमारी सत्ता म्हारा जाणवामां न आवी. हवे मने शरण राखो, म्हारा सर्वअ / पराध क्षमा करो, एवं सांभळीने ऋष्ण कहेछे के, जा राजन् सुखेथी तुं तहारा देश मां राज्य करय. 34 ॥श्लोक। माभयंकुरुराजेंद्रउर्वशीशापकारणात् एतत्क्रमियाराजन्नमवैरंभवत्पु। For Private and Personal Use Only

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