Book Title: Dangvopakhyanam
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Page 121
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir डाग. वीशे हवे तो तमारु वजप्रष्ट धारण करी राखो, जेणे करीने हनुमंत चक्र ने गदा, त्र, 60 तेनो भार सहन थाय. 19 ॥नीमउवाच॥ हवे नीमसेन देवो प्रत्येशुं बोलता हवा ; ॥श्लोक॥ केयूयंयादवा केचपांडवानांप्रियंकरा आगतानोरणेजेतुंयादवामसबंधिनः // 20 // टीका-श्रा समयमां तमेय कोणछो, यादवे कोण छ, माहारा संबंधी एवा जे यादव तेमने रणमा जितवा अाव्याछे, अने वळी कहे छे के पांडवतोत्रमने प्रियकरछे, एम अहंकारमा बोल्यां करे छे. 20 ॥श्लोक। वैरिणस्तेचजातावैवासुदेवोविशेषतः अयादवीधरांकर्तुसमर्थोऽहंसुरेश्वराः // 21 // टीका-अने वळी आ समय यादवो तो माहारा शत्रज थया छे तमां वासुदेव तो विशेशे करीने शत्रुता जणावे छे,माटे करीने हे बाप हे ईंद्र हवे तो हुं नहीं के यादवो नहीं एम अयादवी पृथ्वी करवी ईच्छुडूं. 21 ॥श्लोक।भीमस्यवचनं श्रुत्वादेवास्त्रासंसमाययुः॥पुनःप्रोवाचवचनंवायुजंदेवकी || सुतः // 22 // टिका-एवां भीमसेननां वचन सांभळीने देवमात्र त्रास पामी गया, अने फरीने वायूज जे भीम ते प्रति वचन बोले छे. 22 ॥क्रष्णउवाच॥ क्रष्ण भीम प्रति शुं बोलता हवा; ॥श्लोक॥ धन्यधन्यमहावीर : For Private and Personal Use Only

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