Book Title: Dangvopakhyanam
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________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsur Gyanmandir र्व देवो क्रश्न अर्जून प्रति स्तुति करे. देवाग्चुाहवे देवो केवी स्तुति करता हवा ॥श्लोकानमस्तेमच्छरुपायकूर्मरुपा यतेनमः॥वाराहायनमस्तुभ्यं नृसिंहायनमोस्तुते॥४४॥ टिका हे मच्छारुप धारण क रनारा कुर्म रुप धरनारा, वराहरूप धरनारा, नृसिंह तमने नमस्कार करु . ॥श्लोक।वामनायनमस्तुभ्यभार्गवायचतेनमः॥रामायरामक्रश्नायबूद्धकल्कीभ्यां नमोनमः 45 // टिका. एटलुज नही पण वामन, भार्गव, राम, रामकृष्ण, बुद्ध अने कल्की ए दशे अवतार तेने नमन करिए ब्येि.४५ ॥श्लोक॥ त्राहित्राहिरमाकांतविश्वंपाहिजगत्पते॥गदाचक्रसमायोगादग्धालोका स्त्रयःप्रनो॥४६॥टिका हे महाराज, हे विश्वपते जगतनी रक्षा करो,गदाने चक्रना। संयोगथी त्रैणलोक दाझी जायजे. ___श्लोक। वार्यत्वंचमहाराजभवेत्स्वस्थंगदारिणि // तावच्चश्नयोराजन्पांडवामेल नंययुः॥४७॥ देवो कहेछे केहे महाराज हे भगवन् हवे तमे चक्र अने गदाने वारो,जे णे करीने जगत स्वस्थ थाय नही तो प्रलयाग्निवडे करीने विश्व प्रलय थै जशे, एवां वचन सांनळी भगवाने क्रोध समाव्यो; अने यादवो सहित पांडवना सैन्यमां मळ | वा श्रावता हवा. For Private and Personal Use Only

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