Book Title: Dangvopakhyanam
Author(s):
Publisher:
View full book text
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsun Gyanmandir श्लोक // सचेतोभूतदाक्रश्नःपाणिनामृज्यचक्षुषिचक्रंसुदर्शननामसमादायच 55 रोषत॥३०॥ टिका. अने भगवान ए बापना भनकाराथी मूछ गत थइ गएला थका 12 ठीने पोतानां जे लोचन पाणी वती धूवे छे, धोइने रोप वडे करीने सुदर्शन चक्र चढावेछे.३० // श्लोक // पांडुवंशविनाशायगृहीतंचसुदर्शनं // मूर्छयापतितोनीमोतदाकाले ह्यजागरत्॥३१॥टिका. ज्यम पांकु वंशनो नाश करवो, धारयो होय नही शुं, ए रीते महा क्रोधायमान थएला एवा कृष्णने जोइने निमशेन पृथ्वी उपर पडतो हवो. // 31 // ॥श्लोक।। दष्ठंविनुकरेचक्रनीमेनवायसनुना॥ आझयागणनाथस्यगदांजग्राहपां डवः 32 // टिका. ए रीते भिमसेने प्रनुना हाथमां चक्र जोयु, के तात्काळ उठीने ग णपतिनुं स्मर्ण करतो सतो, मोटी गदा धारण करेछे. 32 ॥श्लोक।मुक्तंसुदर्शनंतस्मैअर्धपंथानमागतमुक्ताचभीमसेनेनगदावेगेनभारत // ३३॥टिका अने ज्यां सुर्दशन चक्र अर्ध श्राव्यु के, निमसेने तात्काळ गदा मुकी ते णे करीने सामसामुंगदा चक्र ने युद्ध होतु हवं. ॥श्लोक // गदयाताडितंचक्रंचक्रणसागदाप ॥ग्नातीवर्धमानौतीगतोखेप्रति 55 For Private and Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132