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दादागुरु देव पूजा संग्रह
* सन्निधिकरण मन्त्र के ॐ ह्रीं श्री अहं मणिधारी श्रीजिनचंद्रसूरिसुगुरो ! मम सन्निहितो भव वषट् स्वाहा ।
मङ्गलाचरण
दूहाॐ अहं जिनचन्द्रवर, मणिधारी गुरुदेव ! करू भक्ति भर भाव से, चरण कमल की सेव ॥१॥ __मणियाले दादा गुरु, सदा जागती जोत । दिल्ही में दर्शन किये, जीवन पावन होत ॥ २ ॥
जिन शासन ज्योतिर्धरा, दादा श्रीजिनदत्त । पट्ट प्रभावक आपके, मणियाले गुरु सत्त ।। ३ ।।
जिन आज्ञा सुविहित विधि, खरतर पालनहार । उपकारी गुरु देव की, जाऊँ मैं बलिहार ॥ ४ ॥
दादा दूजे भाव से, पूजे जो नर नार । मन वांछित पावें सहज, पहूंचे भवोदधि पार ॥ ५ ॥ ___ कलानिधि गुरु देव की, कृपया अपरंपार । जीवन की बढ़ती कला, होवें दूर विकार ॥ ६ ॥
जिन विरहे जिन थापना, तिम गुरु विरहे मान। द्रव्य भाव अधिकार से, पूजा सुगति निदान ।। ७ ।।
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