Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

View full book text
Previous | Next

Page 99
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दादागुरु देव पूजा संग्रह सविनय विनती-पत्र गुरु को, भेजे चतुर सुजाना। महा धरम का लाभ समझगुरु, शुभ शुकने प्रस्थानारे० ॥३॥ आषाढी सुद आठम विचरे, तेरस गुरु गुणवाना । राजनगर में संघ महोदय, स्वागत सुखदविधानारे गुरु० ॥४॥ सद्गुरु संघ उभय यह निश्चय, अपवादें थिर ठाना । धर्मोन्नति राजाग्रह संगत, चौमासे का जानारे गुरु० ॥५॥ सिधपुर-पाटण अरु पालणपुर, सद्गुरु का पधराना। सुन आमंत्रे राव सिरोही-स्वामी श्रीसुरताना रे गुरु० ॥६॥ जीव अमारी आठ दिवस नित पूनम अभय प्रधाना। पर्यषण गुरु करें सिरोही, उत्सव पुण्य खजानारे गुरु० ॥७॥ जाबालीपुर शेष चौमासा, अकवर का फरमाना । मिगसर पुष्ये गुरु गामानु, गाम विहार बितानारे गुरु०॥८॥ रोहीठठाकुर गुरु उपदेशें, दें जीवाभयदाना। जेशल जोधपुरादि भारी, संघ करें सनमाना रे गुरु०॥६॥ बिलाडे गुरु अरु मेडते, मंत्री सुत अगिवाना । पंचशब्द वे बाजे बाजे, साथे विजय निशानारे गुरु०॥१०॥ गुरु नागोर पधारें मंत्री, मेहा उत्सव ठाना । बीकानेरी संघ गुरु को, वांदे विनय विधानारे गुरु०॥११॥ बापेउ पडिहारा माला-सर रिणीपुर नाना । सदगुरुस्वागत संघचतुर्विधजीवतजनम प्रमानारे गुरु०॥१२॥ For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115