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दादागुरु देव पूजा संग्रह १०५
* श्री के
चतुर्थ दादा युगप्रधान-श्रीजिनचंद्रसूरीश्वर-सद्गुरु की
__® आरती जय जय गुरु राया, पुण्योदय से पाया ।
ॐ जय जय गुरु राया ।। टेर ॥ अकबर भाव अहिंसक हेतु-सब जग सुखदाया । आरति गुरु गुण आरतिकारी-गावो तजमाया।
ॐ जय जय गुरुराया ॥ १ ॥ परम प्रभावक सदगुरु श्रावक कर्म योग गाया। सिद्ध और साधककी जोड़ो कार्यसिद्ध पाया।
ॐ जय जय गुरुराया ।। २॥ ठाम ठाम गुरु थम विराजे-भवि पूजे पाया । जिनहरि पूज्य परमगुरु पूजो-पाओमन चाह्या।
__ॐ जय जय गुरु राया ॥ ३॥ इति पूज्यपाद प्रातः स्मरणीय आबाल ब्रह्मचारी जैनाचार्य
श्रीमज्जिनहरिसागर सूरीश्वर विरचिता
श्रीचतुर्थ दादा गुरुदेव पूजा
समाप्ता
१-मन्त्रीश्वर कर्मचंदजो वच्छावत ।
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