Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee
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दादागुरु देव पूजा संग्रह परम अहिंसक धर्म प्रचारक, सत्य विचारकसार । अस्तेय वृत्ति ब्रह्मव्रतीवर, अकिंचन अविकाररे॥
भवरोग निवारे० ॥५॥ सुविहित सद्गुरु पारतंत्र्य में, प्रतिदिन वर्तनहार । धीर-वीर-गंभीर सुजीवन, जग जन तारणहाररे ।।
भवरोग निवारें० ॥६॥ जन्मभूमि गुरुदीक्षा भूमि समियाणा सुखधाम । सुखसागर भगवानमहोदय, गुरु पूजो अविरामरे ।।
भवरोग निवारें ॥७॥ कुशल मंगलकारी कुशलगुरु हैं, बावना चन्दनरूप । वन्दन पूजन करते भविजन, हो। 'हरि' गुण भूपरे ॥
भवरोग निवारे ॥ ८॥
(काव्यम् ) भवरोगहारी परमोपकारी
दादाभिधानः कुशलाख्यसरिः । तत्पादपद्र-द्वितयं-नमामि
सच्चन्दनेनेह सदायजेऽहम् ॥
मंत्रॐ ह्रीँ श्री अहं परम पुरुषाय परमगुरु देवाय भगवते
श्रीजिनशासनोद्दीपकाय श्रीजिनकुशल सूरीश्वराय चन्दनं यजामहे स्वाहा ।।
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