Book Title: Dada Gurudevo ki Char Pujaye
Author(s): Harisagarsuri
Publisher: Jain Shwetambar Upashray Committee

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Page 69
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir दादागुरु देव पूजा साह मन्त्र ॐ ह्रीँ श्रीँ अर्ह परम पुरुषाय परम गुरुदेवाय भगवते श्रीजिनशासनोद्दीपकाय श्रीजिन सूरीश्वराय धूपं यजामहे स्वाहा ।। ५-दीपक पूजा। ने । मन सुपात्र गुण वृत्तिकर, सद्गुरु धरम सनेह । ज्ञान उजेला नित करे, दीपक पूजा एह ॥ (तर्ज-जिन मत का डंका आलम में ) अज्ञान तिमिर अति दूर किया, गुरु दीपक कुशल सूरीश्वर ने । वर ज्ञान प्रकाश प्रचार किया, गुरु दीपक कशल सूरीश्वर ने । जिनचन्द्र परम गुरु विरह हुआ, अंधेरा सब जग छाया था। ज्योतिर्मय पद परकाश किया, गुरु दीपक कुशल सूरीश्वर ने । अज्ञान तिमिर० ॥१॥ अति दिच्य सुपंचाचार विधि, स्वाधीन समाराधन करके । For Private And Personal Use Only

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