Book Title: Chintan Kan
Author(s): Amarmuni, Umeshmuni
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 5
________________ 0 पतित पावनी गंगा का प्रवाह अनन्त जलशि के रूप मे बह रहा है। पिपासाकुल व्यक्ति उसके मीप पहुंचता है और आवश्यकता भर जल पी कर पनी प्यास बुझा लेता है। एक तृप्ति की अनुभूति सको हो जाती है।' यही स्थिति ज्ञान के सम्बन्ध में भी है। जिज्ञासु नन्त ज्ञान राशि मे से अपने क्षयोपशम के अनुसार छ ग्रहण कर अपनी जिज्ञासा को शान्त करता है। क आत्म-तृप्ति, आत्म-सतोष की अनुभूति से वह हम उठता है।

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