Book Title: Chausaran Painnayam Author(s): Suresh Sisodiya, Manmal Kudal Publisher: Agam Ahimsa Samta Evam Prakrit Samsthan View full book textPage 4
________________ प्रकाशकीय अर्धमागधी जैन आगम साहित्य भारतीय संस्कृति और साहित्य की अमूल्य निधि है। दुर्भाग्य से इन ग्रन्थों के अनुवाद उपलब्ध न होने के कारण जनसाधारण और विद्वद्वर्ग दोनों ही इनसे अपरिचित हैं। आगम ग्रन्थों में अनेक प्रकीर्णक प्राचीन और अध्यात्मप्रधान होते हुए भी अप्राप्त से रहे हैं। यह हमारा सौभाग्य है कि पूज्य मुनि श्री पुण्यविजय जी द्वारा सम्पादित इन प्रकीर्णक ग्रन्थों का प्रकाशन श्री महावीर जैन विद्यालय , बम्बई से हो चुका है, किन्तु अनुवाद के अभाव में जनसाधारण के लिए ये ग्राह्य नहीं बन सके। इसी कारण जैन विद्या के विद्वानों की समन्वय समिति ने अननुदित आगम ग्रन्थों और आगमिक व्याख्याओं के अनुवाद के प्रकाशन को प्राथमिकता देने का निर्णय लिया और इसी सन्दर्भ में प्रकीर्णकों के अनुवाद का कार्य आगम संस्थान, उदयपुर को दिया गया। संस्थान द्वारा अब तक देवेन्द्रस्तव, तंदुलवैचारिक, चन्द्रवेध्यक, महाप्रत्याख्यान, द्वीपसागरप्रज्ञप्ति, गणिविद्या, गच्छाचार, वीरस्तव और संस्तारक नामक नौ प्रकीर्णक अनुवाद सहित प्रकाशित किये जा चुके हैं। हमें प्रसन्नता है कि संस्थान के शोधाधिकारी डॉ. सुरेश सिसोदिया एवं पूर्व शोधाधिकारी श्री मानमल कुदाल ने 'चउसरणपइण्णयं' का अनुवाद सम्पूर्ण किया। प्रस्तुत ग्रन्थ की सुविस्तृत एवं विचारपूर्ण भूमिका संस्थान के मानद निदेशक प्रो. सागरमल जैन एवं डॉ. सुरेश सिसोदिया ने लिखकर ग्रन्थ को पूर्णता प्रदान की है, इस हेतु हम उनके कृतज्ञ हैं। हम संस्थान के मार्गदर्शक प्रो. कमलचन्द सोगानी, मानद सह निदेशिका डॉ. सुषमा सिंघवी, उपाध्यक्ष श्री वीरेन्द्र सिंह लोढ़ा एवं मन्त्री श्री इन्दरचन्द बैद के भी आभारी हैं, जो संस्थान के विकास में हर संभव सहयोग एवं मार्गदर्शन दे रहे हैं। प्रस्तुत पुस्तक के प्रकाशन हेतु स्व. श्रीमती रतनीदेवीजी नाहटा की पुण्य - स्मृति में उनके पति श्री श्रीचन्दजी नाहटा ने पन्द्रह हजार रूपये का अर्थ सहयोग प्रदान किया है,एतदर्थ हम उनके प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करते हैं। ग्रन्थ के सुन्दर एवं सत्वर मुद्रण के लिए हम चौधरी ऑफसेट प्रा" लिए, उदयपुर के भी आभारी हैं। .. सोहनलाल सिपणी सरदारमल कांकरिया अध्यक्ष महामंत्रीPage Navigation
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