Book Title: Chandralekha
Author(s): Rudradas, A N Upadhye
Publisher: Bharatiya Vidya Bhavan
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चंहलेहाए
[I.164तारुण्णएण रमणि व्व सुरूव-रम्मा जोण्हा-रसेण रअणि व्व फुरंत-चंदा । फुल्लुग्गंमेण लदिअ व्व पवाल-पुण्णा
रेहेइ हंत णअरी महु-संगमेणं ॥ १६ ॥ राजा - अहो सव्वदो रमणीअतणं णअरीए । तह अ।
भमंत-भमर-च्छडा-कल-विराविआ वाविआ फुरंत-मअणचणा-विहव-णंदिरं मंदिरं। लसंत-णव-णट्टई-ललिअ-णदृणं पट्टणं
वलंत-मलआणिलाअम-सिलाहिणो साहिणो ॥१७॥ विदूषकः- "भो वअस्स, पेक्ख । मंद-मंद-फंदंत-मलआणिल-केलिघोलिरुप्पडिअ-विसरंत-बिसिणी-धूलि-पाली-विउल-कंचण-विआणसोहिणी भुअंग-लोअ-कर-कमल-संगअ-गंगेअ-सिंग-मुह-संगलंत-संतद-कुंकुम-वारि-धारा-सिञ्चंत-सअॅल-पहिअ-लोआ व॑म्मह-करप्फालिअ-धणुहअ-कोलाहल-मुहल-कउहा-मुहा दिस-विराअ-वेग-मुझंतसंचरंत-मुद्धाहिसारिआ-चलण-झणझणाअंत-णेउर-विराव-मुहुराविअ
1K सुरूप.. 2K पुरन्त. 3 'ग्गमेण इदि एच, but Kh अन्व for एव्व. 4 K रमणीयत्तणं. 5 5 डुमंतभमर for भमंत etc. 6 K फरन्तमअणच्छणा. '7 K इलअ for ललिअ given by Kh. 8K फंदमलआणिल. 9 K विसंत, but rh विसरंत. 10 रविउल्ल. 11K लोलकरकमळसङ्गअंगगेअसीग-, but kh लोय for लोल. 12 xh चिरिचिरिआसिंचंत for घारासिंचंत. 13 r omits सअल,' but rh has सयललोया. 14 K पम्मह. 15 5 दिवविराअ. 16 K झणझणायन्त.. किं वर्ण्यते अमुष्या नगर्याः सुरभिसमयसमारम्भजनितं सौभाग्यम् । एषा खलु,तारुण्येन रमणीव सुरूपरम्या, ज्योत्सनारसेन रजनीव स्फुरच्चन्द्रा। फुल्लोद्गमेन लतिकेव प्रवालपूर्णा, राजते हन्त नगरी मधुसंगमेन ॥ १६॥ I) अहो सर्वतो रमणीयत्वं नगर्याः। तथा च । भ्रमद्भमरच्छटाकल विराविताः वापिकाः, स्फुरन्मदनार्चनाविभवनन्दनशीलं मन्दिरम् । लसन्नवनर्तकीललितनर्तनं पत्तनं, वलन्मलयानिलागमश्लाधिनः शाखिनः॥ १७ ॥ II) भो वयस्य, पैश्य । मन्दमन्दस्पन्दमानमलयानिलके लिघूर्णनशीलोत्पतितविसरद्विसिनीधूलिपालीविपुलकाञ्चनवितानशोभिनी भुजङ्गलोककरकमलसंगतगाङ्गेयङ्गमुखसंगलत्संततकुङ्कुमवारिधारासिच्यमानसकलपथिकलोका मन्मथकरास्फालितधनुःकोलाहलमुखरककुन्मुखा दिशाविराव वेग]मुह्यत्संचरन्मुग्धाभिसारिकाचरणझणझणायमान
१ K omits मधु. २ M भ्रमत्प्रवरच्छटा'. ३ ॥ पश्य पश्य. ४ : मुखरकुङ्कु...खादिलाविरागमु', M ककन्मुखादिसविरागवेगभज्यमानसं . ५ ॥ चरणन्थणन्थणायमान.
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