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वर्तमान भारत
२ चाणक्यकालीन भारतके घर घरमें जो सुखशान्ति विराज रही थी भारत के वायुमण्डल में प्रेमकी जो मधुरध्वनि प्रतिक्षण गूँज गूँजकर देशभर सें अमृत बरसाती फिर रही थी क्या आजके भारतवासीको वह सौभाग्य प्राप्त है ? या वह उससे वंचित होकर दुर्भाग्यकी चरमसीमा में पहुंचकर हाय हाय कर रहा है ? इस प्रश्नका उत्तर भी भारतवासीको अपनी आँखोंक सामने विद्यमान समाजके चित्रमेंसे लेना है ।
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३ चाणक्यने जिन देशद्रोहियोंको मिटाकर भारतकी स्वतन्त्रताको निष्कंटक बनाया था क्या आजके स्वतंत्र कहलानेवाले भारतने अपने देशद्रोही मिटा डाले ? या वे भारतकी छातीपर मूंग दल रहे हैं ? क्या आज के भारत में सुखशान्तिको निष्कंटक बनानेवाला कोई चाणक्य या चन्द्रगुप्त है ? इन प्रश्नों का उत्तर भी विचारशील भारतसंतानको अपने हृदय से लेना है ।
४ क्या वर्तमान भारतने अपने पडोसी राष्ट्रको वश में कर लिया है य। अपनेको ही दो रगडते झगडते खण्डों में बांटकर पडसमें शत्रु पैदा कर लिया है ? इस बातका उत्तर भारतकी राजनैतिक सूझ बूझ पर कलंक पोतनेवाली विदेशी षड्यन्त्रकी सफलता के रूपमें सबकी आंखोंके सामने विद्यमान है ।
चाणक्य और चन्द्रगुप्ठ जैसे कर्मठ लोगों का इतिहास ताश और शतरंज के खेलोंके समान कुछ समय काटनेके लिये पढनेकी वस्तु नहीं है ।
इतिहासपुराणं पंचमं वेदानां वेदः ।
इतिहास तथा पुराण ज्ञानदाता वेदोंमें पांचवां वेद है ।
इतिहासपुराणाभ्यां वेदं समुपबृंहयेत् ।
बिभेत्यल्पश्रुताद्वेदो मामयं प्रहरिष्यति ॥
वेदको इतिहासपुराणोंके द्वारा समझनेका प्रयत्न करो । वेद इतिहासपुराणोंसे अपरिचितोंसे भय मानता है कि यह मुझपर प्रहार करेगा | यह मुझे न समझकर अनर्थं करेगा ।