Book Title: Chanakya Sutrani
Author(s): Ramavatar Vidyabhaskar
Publisher: Swadhyaya Mandal Pardi

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Page 683
________________ ६५६ चाणक्यसूत्रााण १६७ ऐश्वर्यका फल शीर्षक सूची पृष्ठ शीर्षक सूची पृष्ट अनुभवीके सत्संगसे लाभ १५६ नीचोंका खभाव दुष्टोंका नीच स्वभाव नीचको समझाना अकर्तव्य, बुद्धिमानका कृतज्ञ स्वभाव, नीचका विश्वास अकर्तव्य १७७ पापियोंकी निर्लज्जता १५९ नीच स्वभाव उत्साहके लाभ अपमान करना अकर्तव्य १७९ विक्रम ही राजधन, निरपराधोंको कष्ट मत दो १८२ आलस्यसे विनाश १६४ अपमान सहनेवालॉपर अत्याचार पुरुषार्थीका कर्तव्य, मत करो १८४ विश्वासके अपात्र मन्त्रसभामें निर्बुद्धिको मत बैठाओ १८८ कार्यसिद्धमें वैरीका सहयोग परिणामसे हितबुद्धि पहचानो १८९ हानिकारक वैरी विश्वासका अपात्र मूढोका दानक्लेश १९२ संबन्धका आधार १६९ बडेसे बडा ऐश्वर्य असंयमीको __ नहीं बचा सकता शत्रुको मित्रतासे ठगने की अवधि, । क्षुद्र सदा त्याज्य शत्रुको असहाय छोड देनेका संसर्गके अयोग्य, दुष्टोंके गुण समय १७१ भी दोष, सच्ची बुद्धि १९६ शत्रुको बलवान दीखनेके आयो मित भोजनका परिणाम जन करो १७२ नीरोग रहने का उपाय शत्रुक, स्वभाव, अधीन शत्रुका वार्धक्यमें व्याधिकी उपेक्षा अकर्तव्य. विश्वास मूढता, राजकर्मचारि अजीर्णमें भोजन की हानि २०१ योंके दुराचार रोकना राजाका व्याधिकी हानिकारकता, स्वहितकारी कर्तव्य १७३ दानकी मात्राका आधार २०२ एक कर्मचारीके पापसे संपूर्ण अनुचित घनिष्टता बढानेवालोंसे राजव्यवस्था दृषित १७४ सावधान रहो, लोभसे हानि २०४ सदाचार शत्रुविजयका अमोघ अनेक कर्तव्यों में से एक छांटनेका साधन १७५ आधार २०५

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