Book Title: Chanakya Sutrani
Author(s): Ramavatar Vidyabhaskar
Publisher: Swadhyaya Mandal Pardi

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Page 681
________________ चाणक्यसूत्राणि शीर्षक सूची शीर्षक सूची पृष्ठ दण्डके लाभ, दण्ड आत्मरक्षक ७४ कार्यकाल टलने का दुष्परिणाम ९१ राजाकी आत्मरक्षाका राष्ट्रीय कर्तव्यपालनमें विलम्ब अकर्तव्य, कतव्यपालनम महत्व ७५ कार्य प्रारम्भ करने में ज्ञयतत्व ९२ दण्डप्रयोगमें सावधानता, राजाकी विपरीत परिस्थितिमें कार्य करनेसे __ अवज्ञा राष्ट्रीय अपराध ७६ हानि राजाकी योग्यताका प्रमाण ७७ कर्ममें देशकालकी परीक्षा कर्तव्य ९४ राजचरित्र अर्थलाभका आधार ७८ सुअवसरपर कर्म करनका लाभ, धर्म तथा कामका आधार ७९ सर्वविधसंपत्ति संग्रह राष्ट्रीय राष्ट्रीय कार्योका आधार, कर्तव्य उपायका स्वरूप अपरीक्ष्यकारिताकी हानि, उपायसे कार्य में सुकरता कर्तव्य परीक्षाके साधन अनुपायसे कायनाश ८२ राजकर्मचारियोंकी नियुक्तिका जीवन में उपायका महत्त्व ८३ आधार, उपायज्ञताकी महिमा ९७ कर्तव्यपालन ही जीवन का लक्ष्य ८४ अनुपायॉके कर्मों की महत्वहीनता ९८ पुरुषार्थ की प्रबलता, कर्मका उत्तर कार्यगुपिकी मर्यादा काल देवका अधिकार क्षेत्र है दैवी विपत्तियों के सम्बन्धम कर्तव्य १०० कमेकाल नहीं मानुषी विपत्तिका प्रतिकार, अव्यवस्थित चित्तताकी हानि, __ मूढ स्वभाव कर्तव्यतानिश्चयसे अनन्तर व्यवस्थापक भोलापन न बरने १०४ कार्यारम्भ, विलम्बकारिता कार्यविनाशका कारण, कार्यक! दूषण ___असफल होनेवाले लोग १०६ चञ्चलचित्तताको हानि, प्राप्त साध. कर्तव्यसे भागने का दुष्परिणाम, नांके अनुपयोगसे हानि ८८ अन्धा मानव निर्दोष कमी की दुर्लभता ८९ कर्तव्यनिश्चयके साधन, अशुभ परिणामी कर्म अकर्तव्य, ___ अपरीक्ष्यकारिताकीहानि १०८ कार्यसिद्धिमें अनुकूल समयका विपत्ति हटाने का उपाय, कर्म माहात्म्य ९० प्रारंभ करने की अवस्था १०९ १०७

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