Book Title: Chanakya Sutrani
Author(s): Ramavatar Vidyabhaskar
Publisher: Swadhyaya Mandal Pardi

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Page 686
________________ शीर्षक सूची ६५९ शीर्षक सूची पृष्ठ वीर्षक सूची पृष्ठ सीधे सादे सत्यनिष्ठोंका परिहास निर्बलसे सदोष परिचित नहीं अकर्तव्य २८५ छोडे जाते ३०७ अश्लील परिहास न करो, रूखे सहयोगीकी श्रेष्ठता, कारणसंग्रहमे कार्यसफलता २८६ वर्तमान छोटी स्थिति आशाक कारणसंग्रह का महत्व, बडे मेसि अन्छी शैन्यार्थी मुहूर्त नहीं देखता २८७ अनैतिकता कर्तव्यभ्रष्टताकी दोष ज्ञानकी स्थिति, बुरों के लिये उत्पादक, विश्वविजयी मानव ३०९ संसार में कोई भला नहीं २८८ बुद्धिविजय उदीयमान मानवका स्वभाव नहीं फट सकता २८९ सबसे पहला काम, दण्डका परिमाण क्रोधपर कोप करना कर्तव्य २० उत्तर कैसा हो ? विवाद किनसे न किया जाय ? ६१२ वघभूषा का हो? ऐश्चर्यमें पैशाचिकता अनिवार्य ३१३ आचरण कैसा हो ? प्रयत्न कितना हो ? धनोपासक सुकर्मसे मानवाचित प्रसन्नता पाने के अनधिकारी ३१५ दान कितना दें? विवाह प्रथा स्वकृर अपराध वेश कसा हो ? नत्य कैसा हो र २९८ रोधक स्वेच्छ। धर्मवन्धन ३७ भार्या कैसी हो २९९ नियुक्तिकी योग्यता, शिष्य कसा हो ? ३०० दुष्कल की दुखदायितः ३१८ पुत्र कैसा हो? अप्रमत्तपति पत्नी को सुमार्गपर अनुचित आदर तथा भेट मत रखनेका अधिकार ३२२ सहो, कुपित स्वामीपर प्रांत. बीजातिकी अविधाग्याता कोपन करके अपनी मल। सुधारो अज्ञान और चोचल्य स्त्रीस्वभाव ३२१ हितषियों के रोषमें अनिष्ट भावना जीवन में माताको सर्वोपरि म्यान ३२२ नहीं होती, मूढका स्वभाव ३०४ मातृसेवा अत्याज्य कर्तव्य ३२३ धूतःका वशीकरण मन्त्र, विद्वताविरोधी आचरण धूर्ततावाली सेवा उपचार है, देहाङ्गोकी नग्नताकी असयता शंकनीय सेवा ३०६ स्त्रियोंका अलंकार २०

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