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लागरसूरीश्वरजी म. सा. के कर कमलों से आपकी बड़ी दीक्षा सम्पन्न हुई। ___ मापने बीकानेर नगर में प्रवेश किया अव से लेकर स्वर्गवास तक (२७) सत्ताईस वर्षों में, पू० दयाश्रीजी म. सा, कंचन श्री जी म. सा. शान्तिश्रीजी म. सा., पवित्रश्रीजी म. सा व महिमाश्रीजी म. सा. आदि अनेक साध्वियों की निर्मल मन से आपने निरन्तर सेवा की। यहाँ २७ वर्ष रहने पर भी किसी के अप्रिय नहीं बने थे कारण कि आपका व्यवहार बड़ा मधुर व स्वभाव मिलनसार था। आपको प्रतिवर्ष कभी पानीझरा, कभी मोतीझरा हो जाता था। पिछले काफी समय से बुखार व रक्तचाप की बीमारी से भी आप पीड़ित रहे। फिर भी आपने कभी अपनी सेवा के लिए किसी को कष्ट नहीं दिया।
स्वर्गवास के दिन २६-४-७५ को सुबह आप का रक्तचाप २१० था। अतः विनीताश्रीजी जो अभी बीकानेर नगर में हुई तीन दीक्षाओं के अवसर पर साध्वी श्री कमलाश्रीजी म०, सुरंजनाश्रीजी म० को साथ लेकर पधारी थी (यह गृहस्थ जीवन में आपकी बहन थीं) इन्होंने आपको चिकित्सा कराने की सलाह दी लेकिन आपश्री ने साफ मना कर दिया कि मैं अंग्रेजी दवाई नहीं लेती। निरन्तर व्याधि होने पर भी कभी उफ तक नहीं की। उसी दिन रात्रि को जब आपके पास कमलाश्री जी म. सा. सोयी हुई थीं ऊन्होंने हा वजे तेज-तेज श्वांस सुनकर आपको पुकारा, लेकिन वापस जवाब न मिलने पर जब उठ कर