Book Title: Bhasarvagnya ke Nyayasara ka Samalochantmaka Adhyayana Author(s): Ganeshilal Suthar Publisher: L D Indology AhmedabadPage 12
________________ पृष्ठ ...४७-८० तृतीय विमर्श-प्रत्यक्ष प्रमाण प्रत्यक्षलक्षणविमर्श प्रत्यक्ष शब्द के व्युत्पत्ति-निमित्त तथा प्रवृत्ति निमित्त का भेद प्रत्यक्षत्वादि के जातित्व की व्यवस्था न्यायसूचकारकृत लक्षण का प्रयोजन प्रत्यक्षभेदनिरूपण अयोगिप्रत्यक्ष द्रव्यप्रत्यक्षनिरूपण घटादिगत जाति तथा गुणादि का प्रत्यक्ष शब्द तथा शब्दत्वादि सामान्य का प्रत्यक्ष शब्द का द्रव्यत्वानुमान और उसका निरास शब्द के आश्रय का निरूपण भाकाश की श्रोत्ररूपता अमावप्रत्यक्ष संयोगनिरूपण समवायप्रत्यक्ष योगिप्रत्यक्ष आय॑ज्ञान का योगिप्रत्यक्ष में अन्तर्भाव सविकल्पक प्रत्यक्ष निर्विकल्पक ज्ञान ...८१-१४४ चतुर्थ विमर्श-अनुमान प्रमाण भषिनामाव अविनाभावनिश्चय की सामग्री व्याप्तिग्रहण के विषय में भासर्वज्ञ का स्वमत लि वैविध्य स्वार्थ-परार्थ भेद अवयवनिरूपण प्रतिज्ञा-निरूपण हेतुनिरूपण हेत्वाभासनिरूपण असिद्ध विस हेत्वाभास अनकान्तिक मध्यवसित Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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