Book Title: Bhasarvagnya ke Nyayasara ka Samalochantmaka Adhyayana
Author(s): Ganeshilal Suthar
Publisher: L D Indology Ahmedabad

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Page 11
________________ अनुक्रमणिका पृष्ठ ... १-२० प्राक्कथन संकेत-सूची प्रथम-विमर्श-परिचय नाम देश काल भास और जयन्त का पौर्वापर्य वाचस्पति और भासर्वज्ञ का पौर्वापर्य वाचस्पति मासर्वज्ञ के पूर्ववर्ती भासर्वज्ञ वाचस्पति के पूर्ववर्ती विद्यास्रोत व्यक्तित्व कृतिपरिचय न्यायभूषण ::::::::::: ... २१-४६ द्वितीय विमर्श-प्रमाणसामान्यलक्षण प्रमाणलक्षणविमर्श संशयनिरूपण संशय के भेद निष्कर्ष जह का संशय में अन्तर्भाव अह के पृथक् अभिधान का प्रयोजन अनध्यवसाय का संशय में अन्तर्भाव निष्कर्ष विपर्यय निरूपण स्वप्न के पृथग्रहानत्व का निराकरण अख्याति आदि आठ ख्यातियाँ प्रमाण-संख्या प्रत्यक्ष प्रमाणवादी चार्वाक के मत का खण्डन प्रमाणसमलव तथा प्रमाणविप्लव प्रमाणसम्पलत्र-तत्संबंधी बोडो की आशंका का निराकरण :::::::::::: 0 C0mm SCENG SM NAGM. :: Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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