Book Title: Bhasarvagnya ke Nyayasara ka Samalochantmaka Adhyayana Author(s): Ganeshilal Suthar Publisher: L D Indology Ahmedabad View full book textPage 9
________________ [८] वाराणसी-प्रवास-काल में मुझे भारतीय दर्शनशास्त्रों के प्रकाण्ड विद्वान् परम पूज्य उदासीनवर्य स्वामी योगीन्द्रानन्दजी के चरणों में बैठकर न्यायसम्बन्धी अनेक समस्याओं के समाधान का सौभाग्य प्राप्त हुआ है । 'अद्वैतसिद्धि के सम्पादनकार्य में अत्यधिक व्यस्त होने पर भी उन्होंने अपना अमूल्य समय दिया । एतदर्थ मैं पूज्य स्वामीजी महाराज का अत्यन्त आभारी हूँ। न्यायशास्त्र के उद्भट विद्वान् परम आदरणीय प्रो. बदरीनाथजी शुक्ल के चरणों में बैठकर मुझे-'न्यायभूषण', 'न्यायमुक्तावली,' 'न्यायतात्पर्यदीपिका' आदि ग्रन्थों के कठिन स्थलों के अभिप्राय समझने का सुन्दर अवसर प्राप्त हुआ है । एतदर्थ मैं उनका हृदय से आभारी हूँ। अपि च, प्रस्तुत शोधप्रबन्ध के लिये सामग्री-संग्रह हेतु पटना, कुरुक्षेत्र आदि स्थानों की यात्रा करने तथा वहां न्यायवैशेषिक के अधिकारी विद्वानों से विचारविमर्श करने का सौभाग्य प्राप्त हुआ है। स्नेहमूर्ति स्वर्गीय डॉ. दशरथ शर्मा (भूतपूर्व प्रोफेसर, इतिहास-विभाग, जोधपुर विश्वविद्यालय, जोधपुर), आदरणीय डॉ. रसिक विहारी जोशी (हमारे भूतपूर्व अध्यक्ष तथा वर्तमान प्रोफेसर, संस्कृत-विभाग, दिल्ली विश्वविद्यालय) ने शोधकार्य के लिये प्रेरणा और सुझाव दिये । एतदर्थ मैं उनका आभारी हूँ। श्रद्धेय डा. नागरमल सहल (अध्यक्ष, अंग्रेजी-विभाग, जोधपुर विश्वविद्यालय) तथा आदरणीय डॉ. राजकृष्ण दूगड़ (प्राध्यापक, हिन्दी-विभाग, जोधपुर विश्वविद्यालय) की निरन्तर प्रेरणा व सहयोग के लिये में अत्यन्त आभारी हूँ। केन्द्रीय ग्रन्थालय, सम्पूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय, वाराणसी पुस्तकालय, श्री उदासीन संस्कृत महाविद्यालय, वाराणसी, श्री गोयनका संस्कृत पुस्तकालय, वाराणसी, केन्द्रीय ग्रन्थालय, काशी हिन्दु विश्वविद्यालय, वाराणसी: श्री सुमेर सार्वजनिक पुस्कालय, जोधपुर, केन्द्रीय ग्रन्थालय, जोधपुर विश्वविद्यालय, जोधपुर तथा राजस्थान प्राच्यविद्या-प्रतिष्ठान, जोधपुर में शोधोपयोगी सामग्री के लिये अध्ययन का अवसर प्राप्त हुआ है। इन सभी संस्थाओं के अधिकारियों के सहयोग के लिये मैं उनके प्रति आभारी हूँ। अन्त में मैं उन सभी कल्याण-मित्रों के प्रते कृतज्ञताज्ञापन करता हूँ जिनसे मुझे शोधकार्य वेधि में सहायता प्राप्त हुई है। - गणेशीलाल सुथार Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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