Book Title: Bhagwati Sutra Part 05
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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भगवतीमत्रे अटारसवंजणाउलं विससंमिस्सं भोयणं भुंजेज्जा, तस्स णं भोयणस्स आवाए भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणे परिणममाणे दुरूवत्ताए, दुगंधत्ताए, जहा महासवए, जाव भुजो भुज्जो परिणमइ, एवासेव कालोदाई ! जीवाणं पाणाइवाए, जाव-मिच्छादसणसल्ले, तस्स णं आवाए भद्दए भवइ, तओ पच्छा विपरिणममाणे विपरिणममाणे दुरूवत्ताए जाव भुज्जो भुजो परिणमइ, एवं खल्लु कालोदाई ! जीवाणं पावा कम्मा पावफलविवागसंजुत्ता कति। अत्थि णं भंते ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा कहाणफलविवागसंजुत्ता कति ? हंता, अस्थि । कहं णं भंते ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा जाव कति ? कालोदाई ! से जहानामए केइ पुरिसे मणुण्णं थालीपागसुद्धं अट्टारसवंजणाउलं ओसहमिस्सं भोयणं भुजेज्जा, तस्स णं भोयणस्स आवाए नो भद्दए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणे परिणममाणे सुरूवत्ताए, सुवन्नत्ताए, जाव सुहत्ताए, नो दुक्खत्ताए भुज्जो मुज्जो परिणमइ, एवामेव कालोदाई ! जीवाणं पाणाइवायवेरमणे जाव परिग्गहवेरमणे, कोहविवेगे, जाव मिच्छादसणसल्लविवेगे, तस्स णं आवाए नो भदए भवइ, तओ पच्छा परिणममाणे परिणममाणे सुरूवत्ताए, जाव-लो दुक्खत्तीए भुजो भुजो परिणमइ, एवं खलु कालोदाई ! जीवाणं कल्लाणा कम्मा जाव कति ॥ सू० ३॥

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