Book Title: Bhagwati Sutra Part 05
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 864
________________ भगवती सूत्रे ८३२ 9 कालोदायिन् ? तत्र खछ यः स पुरुषः अग्निकायम् उज्ज्वलयति स खलु पुरुषः महाकर्मतरश्चैव यावत्- महावेदनतरश्चैव तत्र खलु यः स पुरुषः अनिकायम् निर्वापयति, स खलु पुरुषः अल्पकर्मतरत्रच यावत् - अल्पवेदनतरचैव । तत् केनार्थेन भदन्त ! एवमुच्यते - तत्र खलु यः स पुरुषः यावत्अल्पवेदनतरश्चैव ? कालोदायिन ! तत्र खलु यः स पुरुषः अशिकायम् freeras] वह कि जिसने अग्नि जलाई है या वह कि जिसने अनि बुझाई है ? [कालोदाई] हे कालोदायिन ! [तत्थ णं जेसे पुरिसे अगणिकाय उज्जालेट, से णं पुरिसे महाकम्मतराए चेव, जाव महाarrary [a] उन दोनों सदृशभाण्डपात्रादि उपकरणवाले पुरुषों में से वह पुरुष ही महाकर्मवाला यावत् महावेदनावाला होगा कि जिसने अग्नि जलाया है । [तत्थ णं जेसे पुरिसे अगणिकार्य निव्वावेड़, से णं पुरिसे अप्पकम्मतराए चेव, जाव अप्पवेयणूतराए चेव ] तथा वह पुरुष कि जिसने अनि बुझाई है, वह अल्पकर्मवाला यावत् अल्पवेदनावाला होगा । [से केणद्वेण भंते ! एवं बुचड, तत्थ णं जेसे ' पुरिसे जाव अप्पवेयणतराए चेव] हे भदन्त ! ऐसा आप किस कारणसे कहते हैं कि जिस पुरुषने अग्नि जलाई है वह तो महाकर्मवाला यावत् महावेदनावाला होगा तथा जिस पुरुषने अग्नि बुझाई है वह अल्पकर्मवाला यावत् अल्पवेदनावाला होगा ? [ कालोदाई ] हे कालोदायिन् ! [ तत्थ णं जेसे पुरिसे अगणिकाय अग्निने सोसवनाश भडाउस' महिवाणी इथे ? (कालोदाई) डे असोहाथी ! (तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकार्य उज्जालेड़, से णं पुरिसे महाकम्मातराए चेव, जात्र महावेयणतराए चेत्र) ते भन्ने समान लाउ - यात्राहि परवाना પુરુષામાથી જેણે અગ્નિ પ્રજવલિત કર્યાં હોય છે, તે પુરુષ મહાક, મહાક્રિયા, મહા આસ્રવ અને મહાવેદનાયુકત ચરો (तत्थ णं जे से पुरिसे अगणिकार्य निव्वावेड़ से णं पुरि से अप्पकम्मतराए चेत्र जात्र अपवेयणतराए चेत्र) तथा ने पुरुषे अग्नि गोलवी छे, ते य કવાળા, અલ્પ ક્રિયાવાળા અને અલ્પ વેદનાવાળા થશે (सेकेणणं भंते! एवं बुध, तत्थणं जे से पुरिसे अप्पवेयणतराए चेव ?) हेमन्त ! આપ શા કારણે એવું કહે છે કે જે પુરુષે અગ્નિ સળગાવ્યેા છે તે મહાક` આથિી યુકત થશે, અને જે પુરુષે અગ્નિ મુઝાવી છે તે અલ્પક, અપવેદના माहिथा युक्त थशे ? (कालोदाई) हे सहाथी ! (तत्थणं जे से पुरिसे अगणिकायं उज्जाले से णं पुरिसे वहुतरायं पुढचिकार्य समारंभई, वहुतरायं आउकार्य

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