Book Title: Bhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 20
________________ १२ क्षेत्र जाते हैं, उससे तिरछा क्षेत्र संख्यात भाग अधिक जाते हैं, उससे ऊंचा क्षेत्र संख्यात भाग अधिक जाते हैं । क्षेत्र श्रासरी - 1 ऊंचा क्षेत्र २४ भाग जाते हैं, तिरछा क्षेत्र १८ भाग जाते हैं और नीचा क्षेत्र १२ भाग जाते हैं । वज्र एक समय में सबसे थोड़ा नीचा क्षेत्र जाता है, उससे तिरछा क्षेत्र विशेषाधिक जाता है, उससे ऊंचा क्षेत्र विशेषाधिक जाता है । क्षेत्र आसरी - ऊंचा क्षेत्र १२ भाग जाता है, तिरछा क्षेत्र १० भाग जाता है, नीचा क्षेत्र ८ भाग जाता है । चमरेन्द्रजी एक समय में सबसे थोड़ा ऊंचा क्षेत्र जाते उससे तिरछा क्षेत्र संख्यात भाग अधिक जाते हैं, उससे नीचा क्षेत्र संख्यात भाग अधिक जाते हैं । क्षेत्र श्रासरी - ऊंचा क्षेत्र ८ भाग जाते हैं, तिरछा क्षेत्र १६ भाग जाते हैं, नीचा क्षेत्र २४ भाग जाते हैं । जावरण काल (गमन काल ) की अल्पबहुत्व - शक्रन्द्रजी के ऊपर जाने का काल सबसे थोड़ा, उससे नीचे जाने का काल संख्यातगुणा, वज्र का ऊंचा जाने का काल सबसे थोड़ा, उससे नीचे जाने का काल विशेषाधिक। चमरेन्द्रजी के नीचे जाने का काल सबसे थोड़ा, उससे ऊंचा जाने का काल संख्यातगुणा । सबके गति काल की अल्पाबहुत्व - शक्रन्द्रजी के ऊचा जाने का और चमरेन्द्रजी के नीचा जाने का काल परस्पर तुल्य सबसे थोड़ा है। शक्रन्द्रजी के नीचे जाने का और वज्र के


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