Book Title: Bhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 114
________________ १०६ २-अहो भगवान् ! पृथ्वीकाय के कितने भेद हैं ? हे. गौतम ! ६ भेद हैं---१सराहा* पृथ्वी, २ शुद्ध पृथ्वी, ३ बालुका पृथ्वी, ४ मणोसिला ( मनः शिला) पृथ्वी, ५. शर्करा पृथ्वी, ६ खर पृथ्वी । .. ३-अहो भगवान् ! इन छहों पृथ्वी की कितनी स्थिति है ? हे गौतम ! इन छहों पृथ्वी की जघन्य स्थिति अन्तमुहूर्त की है, उत्कृष्ट स्थिति सण्हा पृथ्वी की १००० एक हजार वर्ष, शुद्ध पृथ्वी की १२००० बारह हजार वर्ष, वालुका पथ्वी की १४००० चौदह हजार वर्ष, मणोसिला ( मनः शिला-मेनसिल ) पृथ्वी की १६००० सोलह हजार वर्ष, शर्करा पृथ्वी की १८००० अठारह हजार वर्ष, खर पृथ्वी की २२००० बाईस हजार वर्ष की है। ४-हो भगवान् ! नारकी, देवता, तिर्यञ्च मनुष्य की कितनी स्थिति है ? हे गौतम ! नारकी देवता की जघन्य स्थिति दस हजार वर्ष की, उत्कृष्ट ३३ सागर की, तिर्यञ्च और मनुष्य की जघन्य अन्तमुहूर्त की, उत्कृष्ट तीन पल्योपम की है। इस तरह सब जीवों की भवस्थिति: स्थिति पद के अनुसार कह देनी चाहिये । ... ... ... .... * सरहा य सुद्धबालू य, मोसिला सक्करा य खरपुढ़वी। ' इग बार चोदस सोलढार बावीससंयसहस्सा ॥ इस गाथा में पृथ्वीकाय के छह भेद और उनकी स्थिति बताई गई है। ...:श्री पन्नवणा सूत्र के थोकड़ों का प्रथम भाग पत्र ५५ से ६२ इसी संस्था द्वारा छपा हुवा माफक कह देना चाहिये। . . .

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