Book Title: Bhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 120
________________ ११२ विस्तार है ? हे गौतम ! कोई देवता ७ आकाश श्रन्तरा प्रमाण ( ६६१६८६६४ योजन ) का एक कदम भरता हुआ छह महीने तक चले तो भी किसी विमान का पार पावे और किसी विमान का पार नहीं पावे । काम आदि ११ विमानों का इतना विस्तार है । ह. ६ - श्रहो भगवान् ! विजय वैजयंत जयंत अपराजित इन चार विमानों का कितना विस्तार है ? हे गौतम ! कोई देवता ६ आकाश श्रन्तरा प्रमाण ( ८५०७४० योजन ) का एक कदम भरता हुआ छह महीने तक चले तो किसी विमान का पार पावे और किसी विमान का पार नहीं पावे | विजय आदि चार विमानों का इतना विस्तार है । सेवं भंते ! सेवं भंते !! . ( थोकड़ा नं० ६३ ) श्री भगवतीजी सूत्र के सातवें शतक के छठे उद्द ेशे में 'आयुष्य बन्ध आदि' का थोकड़ा चलता है सो कहते हैं । • हो भगवान् ! नारंकी में उत्पन्न होने वाला जीव नारकी का आयुष्य क्या इस भव में बांधता है, या नरक में उत्पन्न होती वक्त बांधता है या उत्पन्न होने के बाद बांधता है ? हे गौतम ! इस भव में बांधता है, नरक में उत्पन्न होती वक्त नहीं बांधता है, उत्पन्न होने के बाद भी नहीं बांधता है । ( पहले भांगे में थोकड़ा श्री जीवाभिगम सूत्र के तिर्यच के प्रथम उद्देशे में है ।

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