Book Title: Bhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 44
________________ ३६ फुसर, ३ देसेणं सव्वं फुसर, ४ देसेहिं देस फुसइ, ५ देसेहिं देसे फुसर, ६ देसेहिं सव्वं कुसर, ७ सव्वेणं देर्स फुस, ८ सोश देसे फुसह, ६ सव्वेणं सव्वं फुसइ १ हे गौतम । १ नो देसेणं देसं फुसह, २ नो देसेणं देखे फुसर, ३ नो देसेणं सव्वं फुसइ, ४ नो देसेहिं दस कुस, ५ नो देसेहिं देसे फुसह, ६ नो देसेहिं सव्वं फुसह, ७ नो सव्येणं देसं फुसह, = नो सव्वेणं देसे कुसह, 8 सव्वेणं सव्वं सह । एक परमाणु एक परमाणु को स्पर्शे तो भांगो पावे १ नवमी । एक परमाणु दो प्रदेशी गंध को स्पर्शे तो भांगा पांवे २ - सातवां नवमा । एक परमाणु तीन प्रदेशी गंध को स्पर्शे तो भांगा पावे ३ - सातवां आठवां नवमा | जिस तरह तीन प्रदेशी खंध कहा, उसी तरह चार प्रदेशी, पांच प्रदेशी यावत् दस प्रदेशी, संख्यात प्रदेशी, असंख्यात प्रदेशी, अनन्त प्रदेशी तक ११ बोलों से भांगा पावे ३-३- ३३ और परमाणु का १ भांगा और दो प्रदेशी से २ भांगे इस तरह परमाणु पुद्गल के सब भांगे ३६ हुए | (१+२+३३=३६ ) ४- बहुत देशों से एक देश को स्पर्श करता है । ५- बहुत देशों से बहुत देशों को स्पर्श करता है । ६ -- बहुत देशों से सबको स्पर्श करता है । ७ - सबसे एक देश को स्पर्श करता है । ८- सबसे बहुत देशों को स्पर्श करता है । ६ - सबसे सबको स्पर्श करता है ।

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