Book Title: Bhagavati Sutra ke Thokdo ka Dwitiya Bhag
Author(s): Ghevarchand Banthiya
Publisher: Jain Parmarthik Sanstha Bikaner

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Page 65
________________ १७ दो ( काया प्रयोग, वचन प्रयोग )। पंचेन्द्रिय में प्रयोग पावे तीनों ही। . .. ५-अहो भगवान् ! वस्त्र के मैल और कर्मों की स्थिति कितनी है ? हे गौतम ! स्थिति आसरी ४ भांगे हैं १ सादि सान्त ( आदि अन्त सहित )। . २ सादि अनन्त (आदि सहित, अन्त रहित )। ३ अनादि सान्त ( आदि रहित, अन्त सहित )। ४ अनादि अनन्त (आदि अन्त रहित )। वस्त्र के मैल की स्थिति में भांगा पावे १ ( सादि सान्त)। जीव के कर्मों की स्थिति में भांगा पावे ३-पहला, तीसरा, चौथा। ईर्यावही क्रिया की स्थिति में सांगा पावे १. ( सादि सान्त.)। भवी * जीव के कर्मों की स्थिति में भांगा पावे १ (अनादि सान्तः)। अभवी x जीव के कर्मों की स्थिति में भांगा पावे १-(अनादि अनन्त ) । किसी भी जीव के कर्मों की स्थिति सादि अनन्त नहीं है। - वस्त्र द्रव्य सादि सान्त है । जीव द्रव्य श्रासरी भांगा पावे चारों ही-१ चारों गति के जीव गतागत करते हैं, इसलिये 1. .. * भवी-जिस जीव में मोक्ष जाने की योग्यता होती है उसे भवी (भव्य) कहते हैं। x अभवी-जिस जीव में मोक्ष जाने की योग्यता नहीं होती, उसको मभवी (अभव्य ) कहते हैं।

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