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जीवन और कला (ब्राह्मण कौन ?)
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५६१ जो तपस्वी कृश और इन्द्रियो का दमन करनेवाला है, जिसके मांस
और रूधिर का अपचय हो चुका है, जो व्रतशील व शान्त है, उसको हम ब्राह्मण कहते है।
जो मनुष्य लोलुप नही है, जो निर्दोष भिक्षावृत्ति से निर्वाह करता है, जो गृह-त्यागी है, अकिंचन है, गृहस्थो मे अनासक्त है, उसे हम ब्राह्मण कहते है।
जो अग्नि मे तपाकर शुद्ध किये हुए और घिसे हुए सोने की तरह विशुद्ध है तथा राग-द्वेप भय आदि दोपो से रहित है, उसे हम ब्राह्मण कहते है।
५६४ जो वस और स्थावर जीवो को सक्षेप और विस्तार से भली-भाँति जानकर मन, वाणी और शरीर से उसकी हिंसा नही करता उसे हम ब्राह्मण कहते हैं।