Book Title: Bhagavana Mahavira ke Hajar Updesh
Author(s): Ganeshmuni
Publisher: Amar Jain Sahitya Sansthan

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Page 311
________________ सुधर्मास्वामी पर भी इसी तरह का एक शोध प्रबन्ध तैयार करे तो समाज की वडी सेवा होगी। -साहित्यवारिधि अगरचन्द नाहटा * विद्वान लेखक को इस 'थीसिस' पर 'डाक्टरेट' मिलनी चाहिए और उन्हें विशेष पद से विभूषित किया जाना चाहिए । इस अनुपम कृति के उपलक्ष मे मैं ज्ञानयोगी श्री गणेश मुनि जी का तथा सम्पादक बन्धु का और उनके भाग्यशाली पाठको का हार्दिक अभिनन्दन करता हूँ। -नारायण प्रसाद जैन, बम्बई ४. प्रस्तुत पुस्तक मे विद्वान लेखक एव सम्पादक ने 'इन्द्रभूति' के उस महामहिम शब्दातीत रूप को शब्दगम्य बनाने का स्तुत्य प्रयत्न किया है। पुस्तक का सरसरी तौर पर अवलोकन कर जाने पर मुझे लगा है-गौतम के व्यक्तित्व की गहराई को श्रद्धा एव चिन्तन के साथ उभारने का यह प्रयत्ल वास्तव में ही प्रशमनीय है तथा एक बहुत बडे अभाव की सपूर्ति भी। ऐसे अनुशीलनात्मक विशिष्ट ग्रन्थो से पाठको की ज्ञानवृद्धि के साथ तत्त्वजिज्ञासा की परितृप्ति होगी-ऐसा विश्वास है ।। --उपाध्याय अमर मुनि प्रस्तुत समीक्षा कृति 'इन्द्रभूति गौतम एक अनुशीलन' श्री गणेश मुनि शास्त्री द्वारा लिखी गई है, जिसमे गौतम सम्बन्धी विभिन्न चर्चाएँ हुई है। विद्वान लेखक ने नाति दीर्घ पुस्तक मे ही इन्द्रभूति गौतम के सम्बन्ध मे गहराई से विचार किया है और उनके विद्वत्तापूर्ण असाधारण व्यक्तित्व को प्रथम वार प्रकाश में लाने का स्तुत्य प्रयास किया है । वस्तुत लेखक का यह शोधपूर्ण प्रयास जैन चिन्तन के क्षेत्र मे महार्घ माना जायेगा । पुस्तक की भापा साफ-सुथरी, प्रवाहपूर्ण आकर्षक है, लेखन शैली पिच्छिल और मनोज्ञ-संक्षेप मे, पुस्तक शोध-पूर्ण, नये चिन्तन को वल देने वाली और ऐतिहासिक संदर्भ को उत्साहित करने वाली है। -'श्रमण' वाराणसी * उदीयमान तेजस्वी लेखक श्री गणेश मुनिजी शास्त्री ने प्रस्तुत ग्रन्थ मे 'इन्द्रभूति गौतम' की जीवनी अत्यन्त रस के साथ प्रस्तुत की है, जिसके लिए वे अभिनन्दन के पात्र हैं। -दुर्लभजी खेताणी घाटकोपर, बम्बई से 'इन्द्रभूति गौतम एक अनुशीलन' को पढने से ज्ञात हुआ कि यह एक

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