Book Title: Bhagavana Mahavira ke Hajar Updesh
Author(s): Ganeshmuni
Publisher: Amar Jain Sahitya Sansthan
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अप्रमाद
८७७
दुमपत्तए पडुयए जहा, निवडइ राइगणाण अच्चए। एव मणुयाण जीवियं, समय गोयम ? मा पमायए ।
८७८
कुसग्गे जह ओसबिन्दुए, थोव चिट्ठइ लम्बमाणए । एव मणुयाण जीविय, समय गोयम | मा पमायए॥
८७९ परिजूरइ ते सरीरय, केसा पडुरया हवन्ति ते । से सव्ववले य हायइ, समय गोयम । मा पमायए ।।
८८०
तिण्णो हु सि अण्णव मह, किं पुण चिट्ठसि तीरमागओ। अभितुर पार गमित्तए, समय गोयम । मा पमायए॥
८८१ अल कुसलस्स पमाएण।
८८२
सएण विप्पमाएण पुढो वय पकुव्वह ।
८७७ उत्त० १०१ ८७८ उत्त० १०२ ८८० उत्त० १०१३४८५१. आचा० २।४
८७६ उत्त० १०१२६ ८८२ आचा० शश६
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