Book Title: Bhagavana Mahavira ke Hajar Updesh
Author(s): Ganeshmuni
Publisher: Amar Jain Sahitya Sansthan
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विकीर्ण सुभाषित
६५६ अप्पणो णामं एगे पत्तिय करेड, णो परस्स। परस्स णामं एगे पत्तिय करेइ, णो अप्पणो। एगे अप्पणो पत्तिय करेइ, परस्स वि । एगे णो अप्पणो पत्तिय करेइ, णो परस्स ।
६६० गज्जित्ता णाम एगे णो वासित्ता । वासित्ता णाम एगे णो गज्जित्ता। एगे गज्जित्ता वि वासित्ता वि। एगे णो गज्जित्ता णो वासित्ता।
६६१ मधुकुभे नाम एगे मधुपिहाणे, । मधुकुभे नाम एगे विसपिहाणे । विसकभे नाम एगे मधुपिहाणे । विसकुभे नाम एगे विसपिहाणे ।
६६२ हिययमपावमकलुस, जीहाऽवि य मधुरभासिणी णिच्च । जमि पुरिसम्मि विज्जति, से मधुकभे मधुपिहाणे ॥
ह्यियमपावमकलुस, जीहावि य कड्य भासिणी णिच्च । जमि पुरिसम्मि विज्जति, से मधुकुभे विसपिहाणे ।।
६६१ स्था० ४
९५६ स्था० ४।३ १६२ स्था० ४४
६६०. स्था० ४।४ ६६३ स्था० ४।४

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