Book Title: Bhagavana Mahavir aur Aushdh Vigyan Author(s): Darshanvijay Publisher: Bhikhabhai Kothari View full book textPage 6
________________ मेवी की 'मदर इंडिया' तथा श्री कौसम्बी का बुद्ध प्रादि पुस्तक मरामर विष साहित्य हैं। ऐसी पुस्तकों को स्थायित्व प्रदान करना शील और सत्य का गला घोटना है। भारत सरकार ने सत्य भीर ग्रहिसा का बीड़ा उठाया है । भारत सरकार की साहित्य अकादमी ने 'भगवान् बुद्ध ग्रन्थ को प्रकाशित किया। सत्य और अहिंसा के प्रणेत के लिये वह कार्य प्रशोभनीय है । इस पुस्तक का प्रतिवाद करना सत्य प्रेमियों के लिये अनिवार्य हो जाता है। यह 'भगवान् महावीर प्रौर प्रोषध विज्ञान' पुस्तक प्रस्तुत है । इस मे सप्रमाण स्पष्ट किया गया है कि भगवान् महावीर ने मामाहार नही किया बल्कि बिजौरा पाक प्रौषधि के रूप में सेवन किया था । यह निर्णय केवल वैद्यक-ग्रन्थों और कोषो पर ही प्राधारित नहीं है बल्कि महापुरुषों की निर्दोष प्राहार चर्या, रोगशामक द्रव्य, प्रासंगिक परिस्थिति, तत्कालीन भाषा, परिभाषा, जैनों का महिंसा का पक्षपात भौर जैन श्रमणो की आहार शुद्धि इत्यादि से भी सिद्ध है। कोई भी गम्भीर साहित्य-चितक इस पुस्तक को पढ़ कर समझ सकता है कि भगवान् महावीर पर माँसाहार का प्रारोप की पराकाष्ठा है । संसार में भारत का ऊ चा स्थान है । वह सत्य प्रौर ग्रहिसा का पक्षपाती है। Religious Leaders ( धार्मिक नेता ) पुस्तक के प्रकाशित होने पर जो विवाद चला इस के सम्बन्ध में प्रल्पसंख्यकों की भावनाओं का प्रादर कर जनता के सामने अपनी न्याय-प्रियता का परिचय दिया है। हाल हीPage Navigation
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