Book Title: Bhagavana Mahavir aur Aushdh Vigyan
Author(s): Darshanvijay
Publisher: Bhikhabhai Kothari

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Page 45
________________ [ ३७ ] से कितं रुपमा ? असा दुविहा परता, तं नहा-एगडिया य गोषणाप से कितं एगड़िया? एट्ठिया प्रगविहा पत्ता, संजहा निसकोस, नाल अंकोल पीलु सेतू च । सल्ला मोया मानुष, बउल पलाते करंबे य ॥१२॥ पुतंजीवय रितु, विभेलए हरिएए म भिलाए । बैभरिया बोरिणि, बोपचे पाय पियाले ॥१३॥ पुइस निब करंजे, सुन्हा तह सोसबा प असणे य । पुष्पाप लाग रुको, सिरियाली तहा प्रसोगेय ॥१४॥ बेवावपले तहप्पगारा। एएसि वं मूला विप्रलिज जीषिया, कंग विषा मिता विसाला पिरावि, पता पोग्बीविया, पुष्पा पलंगजीविया, फला एगडिया ॥ से सं एनटुपा॥ (पन्नवणा मू० पद० १ सू० २३ पृ० ३१, जोवाभिगम सूत्र, प्रति १ सूत्र २० पृ. २६) "त्वक" तिक्ता पूर्वरा तस्प बातकामाफोप,। स्वादु शीतं गुरु स्निग्धं "मांस" मारतपित्तजित ।। (सुश्रुत संहिता) 'त्व' तिक्तकटका स्निग्धा मातुल्गस्य पातमित् । ग्रहणं मपरं "मास" वातपित्त-हरं गुरु ॥ (सुश्रुत संहिता) पूतना सिमती सूमा कपिता मांसला मृता ।।८।। (भाव प्रकाश निघण्टु रितक्यादि वर्ग) मांस फल = बैंगन (शब्द स्तोम महानिधि) इस प्रकार माम का अर्थ गूदा भी होता है। मपुंसक लिंग वाला 'मांस' शब्द ही 'मांस वाचक है। किन्तु पुलिंग शब्द मांस वाचक नहीं है । यहाँ तो मांस शब्द पुल्लिग में

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