Book Title: Bhagavana Mahavir aur Aushdh Vigyan
Author(s): Darshanvijay
Publisher: Bhikhabhai Kothari

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Page 19
________________ [१] कुकड़ी [२] गलगल [३] चील ४] गील्होड़ी [५] कवेला [६] पोपटा [७] लज्जालु [ ११ ] प्राणी बोधक अर्थ मुर्गी (गुजरात) गुट्टार पक्षी चीन पक्षी (उत्तर प्रदेश) गिलहरी (उत्तर प्रदेश) बनस्पति बोधक वर्ष भुट्ट बिजौरा चील की भांजी शाक सफेद कोला (पेठा) वीभत्स अंग (मालवा) हरा चना (गुजरात) छुद्दमुई, पौदे की जाति (गुजरात) स्त्री ४. भौषध सेवन करने वाले और जुटाने वाले का जीवन - संस्कार इस प्रौषध को लाने की प्राज्ञा देने वाले भगवान महावीर है और लाने वाले पंचमहाव्रत धारक महातपस्वी मुनि श्री सिंह हैं जो मनसा वाचा कर्मणा हिसा के विरोधी है। वे महिमा के महान उपदेशक है तथा स्वयं उम पर प्राचरण करते हैं । यदि उपदेशक किमी मिद्धति की प्ररूपणा करे किन्तु उसे अपने प्राचरण में न उतारे तो उस सिद्धांत का जनसामान्य पर कोई प्रभाव नहीं पड़ता । [ गौतम बुद्ध ने अहिंसा के सिद्धांत का तो प्रचार किया, किन्तु स्वयं ने मांसाहार का त्याग नहीं किया । फलतः प्राज भी बोद्ध धर्मावलम्बियों में मांसाहार का प्रचलन है । ] भगवान महावीर ने अहिंसा का संदेश दिया और साथ साथ उससे प्रपने जीवन को भी प्रोत प्रोत कर दिया व प्रहिंसा का पूर्णरूपेण पालन किया । इस कारण भाज भी जैन धर्म में मासहार पूर्ण रूप से त्याज्य है ।

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