Book Title: Bhagavana Mahavir aur Aushdh Vigyan
Author(s): Darshanvijay
Publisher: Bhikhabhai Kothari

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Page 9
________________ भगवान महावीर मोर भौषध विज्ञान अध्याय १ नमो दुर रागादि वैरिवार निवारिणे । मर्हते योगिनाथाय, महावीराय तायिने ॥१॥ भारत के धर्मों में जैन धर्म ही एक ऐसा धर्म है जो कि मांसाहार का सर्वथा निषेध करता है। जैन धर्म के प्रतिम तीर्थकर भगवान् महावीर बड़े तपस्वी थे, अहिंसा को साक्षात् मूर्ति थे। उनको मौनिक अहिंसा से उनके शासन में प्रवेश करने वाला इतना प्रभावित होता था कि वह मांस भक्षण का पूर्ण रूपेण त्याग कर देता था। इस कथन के समर्थन में अनेक दृष्टांत जन भागमों व बौद्ध त्रिपिटकों में पाये जाते है। यह स्पष्ट होने पर भी प्राजकल एक अजीव मापत्ति उठाई जा रही है कि भगवान महावीर ने मांसाहार किया पा। इस विचित्र कल्पना का निरसन करना वास्तविकता की स्थापना करना ही नहीं, वरन् एक भापश्य ता की पूर्ति करना है।

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