Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 14
________________ गाथा १८ ] बंधविहाणपसत्थी [३. सुई जम्हा जाया, इह खलु मरहे, संतई सासणं जा; सुवित्तिण्णाऽग्गेऽग्गे, भविविमलयरी, रायए जहइव्व ॥१२॥ (सोहा) सो गिहवासे वासा, पण्णासं तह वये दुआलीसा । अड केवलिम्मि ठाउं, वीरसिवा सिवमिओ णहमिअऽद्दे ॥१३॥ (पच्छागीई) मडित्था इंदुवत्तं, तिलयमिव पयं, तस्स सो जंबुसामी; सोहम्मक्केण फुल्लं, पवयणवसुणा, जस्स वेरग्गपोम्मं । रम्मा कन्ना णवोढा, अड वणवति, हेमकोडी य जो हि; चिच्चा सप्पन्व, कासी वसममिअरमं, कामुई पंसुलं पि ॥१॥ (सद्धरा) पाथि विवेगो को वि य, जंबूसामिस्स जं अदासी जो । संजमसिरिं सिवयरं, चोराण वि दंडजोग्गाणं ॥१५॥ (पच्छाज्जा) सो घरवासे सोलस, वासा वीसं वये जुगपहाणे । अजपयवण्णा पूरिअ, वीरसिवाउ सिवमजपयंगद्दे ॥१६॥ . (पच्छागीई) तत्तो मणपरमावहि-पुलागभाहारखवगुवसमा य । कप्पतिसंजमकेवलि-सिवगमणं ति दस वुच्छिण्णा ॥१॥ (पच्छाज्जा) तपट्ट, पहवपहू गयी सोह; भूवालो णिमपिउणो णिवासणं व्व । चोरेसो वि मविजणाण दावसी जो; सत्थेसो इव सिवलच्छिमेत्थ चित्तं ॥१८॥ (पहस्सिणी)

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