Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 20
________________ गाथा ६४ ] बंधविहाणपसत्थी तस्संगखदंडेऽद्दे, जणी वयं हथिहत्थवहिमिए । अंगणिरयरामे जुग-वरो स वेअकुजुगम्मि दिवं ॥५६॥ . (पच्छाज्जा) तो आसि जुगपहाणो, चउदसमो सूरिरवेतीमित्तो । वीराऽस्स जणी वारण रयणविसिहगुत्ति ३५२ संखेऽहे ॥५७॥ (पच्छाज्जा) गरखेत्तेगदिसारवि-सल्ल३६६पमाणे वयं जुगपहाणो । सुअभेअसुरिहदसणे ४१४,स गओ खविसयगइम्मि ४५० दिवं ॥५८।। _ (पच्छाज्जा) आसी अज्जसमुद्दो, समुद्दगंभीरवायणायरिओ । तिसमुद्दखायकित्ती, दीवसमुहेसु गहिअपेआलो ॥५॥ (पच्छागीई) जेण तइअपाहुडओ, पंचमपुव्वस्स दसमवत्थुस्स । रइ कसायपाहुड-सुत्तं जयउ खलु स गुणधरसूरी ॥६०॥ (पच्छागीई) स मवउ कालअसूरी, मम सिवदो गहभिल्लछेभयरो । जेण कयं महपव्वं, चोत्थीए पंचमीहिन्तो ॥६॥ (पच्छाज्जा) विज्जासिद्धो जेआ, बंभणबोद्धाण खउटसूरी सो । जयउ जगे तस्सीसो, महिवसूरी वि सिधुवज्झायो ॥६२॥ (पच्छागीई) सिरिरुद्ददेवसूरी, जगे जयउ जोणिपाहुडसुअण्णू । सिरिसमणसिंहसूरी, णिमित्तविज्जापडू जयउ ॥६॥ (पच्छापुश्विगा सव्वचवलाज्जा) मणगो करगो झरगो, पहावगो जयउ वायणायरिओ । सिरिअज्जमंगुसूरी, उत्तीणागाहसुभजलही . ॥६॥ (पच्छाज्जा)

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