Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 24
________________ गाथा ६५ ] रिउज्जयस्स हवीअ जयउ विस्स बंधविहाण सत्थी सेणाअ णिवरणा मिव रज्जधुरा; ऊढा जेणं पहुणा वज्जामिपट्टधुरा 112011 (चंद लेहा) जस्स णिजचडविणेयाण वहरणो स sine उक्क; कुत्तच उक्कं 1 राजु ४६२ ह े. जाओ सो दिक्खिओ कुगगणसरे ५०१ । संजमर से ६१७ जुगवरो, हवीअ खभिभो जहगुहमुहे ६२० ॥ ६१ ॥ | (पच्छा पुव्विगा अंतचवलाज्जा) ताउ अखिलकम्मविसय-णाणहरो जागहत्थिसूरिवरो । बावीसमो जुगवरो, जयड जगे वायणायरिओ ||६२ ॥ (पच्छा पुठित्रगा जहणचवलाज्जा) मंदरणगे स पट्टम्मि णामो सुरतरुव्व वइरसेणस्स गच्छस्स चंदकुलो मागीरही व सुरणईअ . यस ५७३८६, जाओ सो दिक्खिओ करंकस रे ५६२ । महविगइम्मि ६२० जुगवरो, आसि दिवमिओ णिहिगयरसे६८६ ॥ ६३ ॥ ( पच्छाज्जा) सोहीअ चंदसूरी सरो खलु [ १३ विग्घहरो; जओ जाओ; भागीरहणिवाओ ॥६४॥ (ललिता) तमहरो भवियलोगस्स जयउ स गुरू कुरंगारी व विसया विरत्तो तओ वणवासी गणहस जाउ णामो हवी || ९५|| (महुयरी) सामंतभद्दसूरी; चंदसूरीसपट्टवोमसूरी वणे वसीभ ।

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