Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

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Page 31
________________ २० । मुणिवीरसेहरविजयविरइअ. [ गाथा १४१ तः हमगिरिम्मि पंडुगवणमिव दिप्पए, जयाणंदसूरी सो विबुहपहपए। अगाधमज्झो समयद्धी वित्तिण्णो, अभंगभंगो गहणो जेणुत्तिण्णो॥१४१।। । (आवली) आसी स साइसूरी, तयाणि इगतीसमो जुगपहाणो । जम्मोऽस्स खसिद्धिजए १०८०, वीरा-ऽद्दे संभुकण्णमये ॥१४२॥ (पच्छापुश्विगा मुहचवला अज्जा) संकरसम्मि११०० दिक्खा, परमाहम्मिअमहीसर१११५पमाणे। स हवीअ जुगपहाणो-ऽन्मतत्तसद्धपडिमे ११६० खमिओ ॥१४३।। (पच्छाज्जा) ममथो तिरक्कओ सिरीए, जस्संगस्स हबीअ किं अणंगो । जयउ जयाणन्दसूरिपट्टे, रविपहसूरी सो गणस्स सामी ॥१४४॥ (ओवछंदसयं) गड्डूलपुरम्मि कया, जेणं सिरिणे मिचेकअपडट्ठा । भूवा सत्तसयेऽद्दे७००, वीरा गुरुपयजिणाहिअमहस्से ११७० ॥१४५।। (पच्छागीई) उत्तिण्णसत्तजलही, स जयउ आयरिअसिद्धसेणगणी । जो तविककमोलिमणी, रई तत्तत्थटीगाई ॥१४६।। (पच्छाज्जा) सिरिपुष्फमित्तसूरी, हवीअ बत्तीसमो जुगपहाणो । तस्स जणी वीराऽद्दे, करवयवीरगणहरमाणे ११५२ ॥१४॥ (पच्छापुश्विगाइचवलाज्जा) वोमविगइगण११६०संखे, पव्वज्जा सुण्णवीरगणरुद्दे ११६० । स हवीअ जुगपहाणो, सग्गमिओ णहसरक्क १२५०मिए. ॥१४॥ (पच्छाज्जा)

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