Book Title: Bandh Vihanam Tattha Pasatthi
Author(s): Veershekharvijay
Publisher: Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti

View full book text
Previous | Next

Page 54
________________ गाथा ३०३ 1 बंधविहाणपसत्थी विजयउ जिणविजयगणी, पण्णंसपयंकिओ पए तस्स । से गंदीसरमंदिर-संजम१७५२वासे णिवा जम्मो ॥२६६।। (पच्छाज्जा) बिंदुभयणयहरे १७७० ऽद्दे, दिक्खा पयमिदुदंतिमुणिकु१७८१मिए । बीए १७८२ गच्छाणुण्णा, सेवहिणंदस्सकुम्मि १७६६ दिवं ॥२७॥ (पच्छाज्जा) जयउ गणी सिरिउत्तम-विजयो तप्पट्टगगणमत्तंडो । तस्स खभूखंडऽद्धिकु(१७६०)-मिए जणी विक्कमणिवाऽद्दे ॥२६८|| (पच्छाज्जा) दिक्खा दिद्विणिहाण-ऽस्स-स्सेअंसु१७९६मिअवच्छ रे । वासे वाहऽक्खिसेलिंदु१८२७-८पमिए सो दिवं गो ॥२६॥ (अणुन ठभं) एअस्स पर भासी, इन्दुमिव इन्दुसेहरस्स सिरे । परमद्रहत्ति खाओ, पण्णासो पम्हविजयगणी ॥३०॥ (पच्छाज्जा) सिंदुररयगेवेज्जय-सुपव्वसंजम १७९२मिए णिवाऽस्स जणी । दिक्खा अणुत्तरामर-वोममयंगयधरासंखे १८०५ ॥३०१।। __ (पच्छाज्जा) दसकंठकंठपाव-टाण१८१०मिए हायणे पयपइट्ठा । राभसुअदंसणकरटि-खग्ग१८६२पमाणम्मि देवगई ॥३०॥ (पच्छाज्जा) (जुग्गं) गरलोगे मेरुगिरी, जह राईअ तह तस्स पट्टम्मि । मुणिगणसेविअपाओ, पण्णंसो स्वविजयगणी ॥३०॥ (पच्छाज्जा)

Loading...

Page Navigation
1 ... 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64