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बन्धविहाणं
तत्थ
पसत्थी (प्रशस्तिः )
जामो तित्थाम
प्रेरका मार्गदर्शकाच सिद्धान्तमहोदधि-कर्मसाहित्यनिष्णाताः
आचार्यदेव श्रीमद् विजयप्रेमसूरीश्वराः
मुलग्रन्थकृद वृतिकृत्सम्पादकाचमुनि-श्रीवीरशेखरविजय:
भारतीय-प्राच्य-तत्त्व-प्रकाशन समिति, पिंडवाडा.
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9 श्री शंखेश्वरपार्श्वनाथाय नमः ॥ सकलानमरहस्यवेदिपरमज्योतिर्विच्छीमद्विजयदानसूरीश्वरसद्गुरुभ्यो नमः ।
बन्धविहाणं
तत्थ
पसत्थी
(प्रशस्तिः ) ইচ্চা মহাষ্ট :सिद्धान्तमहोदधि-कर्मशास्त्र निष्णाता आचार्यदेवाः श्रीमद्विजयप्रेमसूरीश्वराः
অন্যাকप्रवचनकौशल्याधार-सिद्धान्तमहोदधिसुविशालगच्छाधिपति-परमशासनप्रभावक-कर्मसाहित्यनिष्णात-परमपूज्य-स्वर्गताचार्षदेवेशश्रीमद्विजयप्रेमसूरीश्वरविनिताऽन्तेवासि-नि:स्पृहतासलिलनिधि-परमगीतार्थ-परमपूज्याऽऽचार्यदेव--श्रीमद्विजयहीरसूरीश्वर-विनेयरत्न-मुनि-श्रीललितशेखरविजय-शिष्यरत्न-मुनि-श्रीराजशेखरविजय
शिष्यः मुनि श्रीवीरशेखरविजयः
प्रकाशिका:-भारतीय-प्राच्यतस्व-प्रकाशन-समितिः, पिंडवाड़ा।
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First Edition)
Copies 500
} DELUXE EDITION RS. 3
A. D. 1976
AVAILABLE FROM :
1. Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
C/o. Shah Ramanlal Lalchand, 135/137 Zaveri Bazzar
BOMBAY-2.
(INDIA) 2. Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti C/o. Shah Samarathmal Raychandji,
PINDWARA, (Rajasthan) St. Sirohi Road (W. R.)
(INDIA) 3. Bharatiya Prachya Tattva Prakashan Samiti
Shah Ramanlal Vajechand, C/o Dilipkumar Ramanlal,
Maskati Market, AHMEDABAD- 2.
(INDIA)
Printed by : Gyanodaya Printing Press
PINDWARA. (Raj.) St. Sirohi Road, (W.R.)
(INDIA)
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BANDHA VIHANAM
PASATTHI
சு
Inspired and Guided by
His Holiness Acharya Shrimad Vijaya PREMASURISHWARJI MAHARAJA the leading authority of the day on Karma philosophy.
卐
Author & Editor
Muni Shri Virashekharvijay
મો નિશ્વમ
Published by
Bharatity Prachya Tattva Prakasana Samiti, Pindwara
(INDIA)
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प्रथम आवृत्तिःप्रति-५००
राजसंस्करण-३) रु०
___वीर संवत् २५०२ । विक्रम संवत् २०३२
* प्राप्तिस्थान * भारतीय प्राच्यतत्व प्रकाशन समिति
C/o रमणलाल लालचंद शाह १३५/१३७ झवेरी बाजार, बम्बई २
भारतीय-प्राच्यतच-प्रकाशन-समिति C/o शा. समरथमल रायचंदजी
पिंडवाड़ा, (राज०) स्टे सिरोही रोड (W.R.)
मारतीय-प्राच्यतच-प्रकाशन समिति
शा. रमणलाल बजेचन्द, C/o दिलीपकुमार रमणलाल,
मस्कती मार्केट, अहमदाबाद २.
मुद्रकज्ञानोदय प्रिंटिंग प्रेस, पिंडवाड़ा
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प्रकाशकीय निवेदन
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अमने जणावतां अत्यन्त हर्ष थाय छे के अमारी समिति द्वारा बहु टुंक समयमा आज सुधीमा कर्मसाहित्यनां ११ ग्रन्थरत्नो बहार पडी गयां छे. अने बीजा पण ग्रन्थो तैयार थइ रह्या छे. ते सिवाय प्राचीनकर्मसाहित्यना ग्रन्थो पण अमारी संस्थाए मुद्रण करावीने प्रगट करेल छे. एनुपण आगल कार्य चालु छे.
आ कार्यना स्तम्भभूत प० पू० स्वर्गीय गुरुदेवश्री आचार्य भगवंत धीमद् विजयप्रेमसूरीश्वर म सानः अमारा उपर असीम उपकार छ । तेनो अमे कोई रीते बदलो वाली शकीए तेम नथी. तेओश्रीनो अमे कोटिशः वंदन साथे आभार मानीए छीए.
मुनिश्री वीरशेखरविजयजी म. साहेब जेमने एकली मूल गाथाओ ज जोवी होय तेने अनुकूलता रहे ए लक्षमा राखीने मूल. गाथाओनुप्रथम परिशिष्ट बनाव्यु छे. अवसरे अभ्यासीमोने मोटु पुस्तक जोवु न पडे अने नानी पुस्तिकाथी काम चाली शके ए हेतुथी ए प्रथम परिशिष्टनी नानी पुस्तिका बनावी मा अलग प्रकाशन करवामां आवी छे.
जो प्राकृतना अभ्यासीओ आ नाना ग्रन्थने वांचशे तो प्राकृत भाषाना बोध साथे टुकमां महापुरुषोना इतिहासनो पण सुंदर बोध थशे एम अमारु मानवु छे. आथी आना संपादक पू० मु० श्री बीरशेखरविजयजी म० सा० ना पण अमे ऋणी छीए.
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प्रकाशकीय निवेदन नजीकना भविष्यमां बीजा नवा प्रन्थोना प्रकाशननी आशामां(i) पिण्वारा
मवदीयस्टे. सिरोहीरोड (राज.) शा. समरथमल रायचन्दजी (मंत्री) (ii) १३५/१३७ शा. लालचन्द छगनलालजी (मंत्री) जौहरी बाजार बम्बई-२ भारतीय प्राच्य-तत्व प्रकाशन समिति
* समिति नु ट्रस्टी मंडल * (१) शेठ रमणलाल दलसुखमाई (प्रमुख) खंभात (२) शेठ माणेकलाल चुनीलाल बम्बई (३) शेठ जीवतलाल प्रतापशी
बम्बई (४) शा. खूबचन्द अचलदासजी पिंडवाडा (५) शा. समरथमल रायचंदजी मंत्री पिंडवाड़ा (६) शा. लालचंद छगनलालजी मंत्री पिंडवाडा (७) शेठ रमणलाल वजेचन्द महमदाबाद । () शा. हिम्मतमल रुगनाथजी बेडा (९) शेठ जेठालाल चुनीलाल घीवाले बम्बई (१०) शा. इन्द्रमल हीराचन्दजी पिंडवाड़ा
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शुद्धिः
* शुद्धिपत्रकम् ॐ ६३, ९१, ९२, १०१, १०५, ११५, १५२, १४२, १५२, १६१, १७४, १८६, १९२, १९५, १६६, २०६, २९३, ३११, ३४५ गाथाः (पच्छाज्जा) बोद्धाव्याः। पृष्टाङ्कः पंक्ति अशुद्धिः
३ कत्त वुड्ढडेण
वुडढेण महा०
जहण (कोलं) (कोलो) विमाणे
सुपव्वे
६६४ (पच्छापुब्धिगा जहणचवलागीई) (पच्छागीई) दट्टि
दिट्टि १६५४
१६८४ (दण्डकला) (दण्डअलो)
कीडिय) कीडिअं) __ १३५७. णद०/१४५५ १४५७, गंद०/१४९९ सवेगिणी
संवेगिणी ... (पच्छाज्जा) (जहणचवला पच्छागीई) (पच्छाज्जा) (अंतषवला पच्छाज्जा)
(पच्छागीई) (जहणचवलापच्छागीई) ४ (अंतचवलापच्छागीई) (पच्छागीई)
om toro & w
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समर्पण
जेओश्रीए आ संसाररूपी अटवीमांथी उद्धार करी मने मोक्षरूपी नगरीमां जवा माटे संयमरूपी सन्मार्गमा चढावीने ग्रहणशिक्षा अने आसेवनशिक्षा द्वारा सतत बार बार वर्ष सुधी भोभियापणु' बजायु,
treat अपार वात्सल्य पूर्ण कृपादृष्टिथी ज हुं अतिगहन अने गंभीर एवा कर्मसाहित्यनु सर्जन सम्पादन अने प्राचीन कर्म साहित्य सम्पादन करी शक्यो छु,
ते परम पूज्य परमोपकारी प्रातःस्मरणीय परमशासनप्रभावक कर्मसाहित्यसूत्रधार सिद्धान्तमहोदधि सुविशाल गच्छाधिपति परमाराध्यपाद स्वर्गत आचार्यदेवेश -
श्रीमद् विजय प्रेमसूरीश्वरजी महाराजा नी परम पवित्र स्मृतिमां
आपनो कृपाभिलाषी - मुनि वीरशेखर विजय
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કર્મસાહિત્ય ગ્રંથાના પ્રેરક, માર્ગદર્શક અને સંશાધક સિદ્ધાન્તમહાદધિ સુવિશાલ-ગચ્છાધિપતિ કર્મશાસ્રરહસ્યવેદી શાસનશિરછત્ર સ્વ. પરમપૂજ્ય
DIES
આચાર્યદેવ શ્રીમદ્ વિજયપ્રેમસૂરીશ્વરજી મહારાજા
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. ही अहं नमः ॥ ॥ श्रीशखेश्वरपार्श्वनाथाय नमः ॥ ॥ श्रीप्रेमसूरीश्वरसद्गुरुभ्यो नमः ।। मुणिवीरसेहरविजयविरह
बंधविहाण• पसत्थी .
(प्रशस्तिः ) इह भरहे चउवीसा, अरहा अवसप्पिणीअ एमाए । जाआ धम्माइगरा, अउलबला ते जयन्तु जगे ॥१॥ (पच्छाज्जा) सिरिणाहमवर्षस-व्वोमाइच्चो अणाणतमघाई । । जयउ कुणयपंकहरो, जिणीसरो बोहिअभवज्जो ॥२॥ (पच्छाजा) विस्सेऽखिले पहिअविस्सठिईअ कत्ता, लोगीसरो चउमुहो सिरिणाहिजम्मो । मे दाउ सोक्खमजिओ पुरिसुत्तमो सो, कंदप्पदपजइसव्वविओ विसंको ॥३॥ (वसंततिलगाई कामग्यो रित्तदोसो, अहतरुदहणो, जो मिमको वि सामी; जेणेगस्सिं भवेऽत्तं, परमपयदुर्ग, चक्कितित्थंयरक्खं । माहप्पा जस्स संतं, पुरगयमसिवं, गब्मआयायमेत्ता; कम्मारी जेण संता, स खलु हवउ वो, संतिदो संतिणाहो ॥४॥
(सद्धरा) जेणं पाणिगहच्छला णवमवी-पीईअ राईमई; संकेनं करिऊण मुत्तिगमणे, मुक्खा कया साहुणी । जाओ जस्स हरि त्ति सत्थगऽमिहो, बाहासिहाए हरी; मव्वाणं वितरेउ मंगलसिरिं, सो नेमिणाहो जिणो ॥१॥
(सदूलविक्कीडिअं) जेणं झाणा उहेणा-ऽमिअबलवइणा, णासिओ कम्मपासो; माही जो सव्ववेई, सुरअसुरणर-स्सामिसंघातपासो, · ।
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मुणिवीरसेहर विजयविरइअ- [ गाथा ६ तः जक्खो पायज्जजुग्गं, भवजनहितरि, जस्म सेवीअ पासो; मव्वाणं विग्घवुदं, हरउ दुहयरं, तित्थणाहो स पासो ॥६॥
(सद्धरा) सिरिवीरो चरणंगुलेण फुसिअं, कम्पीअ देवायलं; हरिसंकं अवोइउं जणिमहे, उप्पण्णमेत्तो वि जो । जयए जस्स दुहाकुले कलिजुगे, जिवाणदं सासणं; मम सो दाउ सिवं भवज्जतरणी, तूहेसरो अंतिमो ॥७॥
(मत्तेहविक्कीडियं) वीरा जेहिं, गहिअ तिवई, गुम्हिआ बारसंगी; गट्ठो वीर-ज्जुमणिउदये, जाणतणाण धयारो । अंगं जेसिं, पणमइ पहुँ, कम्मसत्तू णसन्ति; कल्लाणत्थं, मइ गणहरा, होंतु ते गोअमाई ॥८॥
_ (मंदक्कंता) माणो वि चारित्तलाहस्स जस्स, रागोवि णाहस्स सेवाअ जस्स । सोगो वि केवल्लणाणस्स जस्स, चित्तं चरित्तं अहो गोअमस्स ॥६॥
(लयग्गाहिं) स कप्पद्दुमाई हि ओमिज्जए किं, मणोवंछिआ पुरए जस्स णामं । सहत्थेण दिक्खाछलेणं विवाहो, कयो जेण मुत्तीअ सद्धं भवीणं ।१०।
(भुजंगप्पयायं) स गिहत्थे पण्णासं, वासा तीसं वयम्मि सव्वविए । बारस ठाउं सिद्धो, वीरसिवाऽहे दुवालसमे ॥११॥
(पच्छाज्जा) रसिंदू गच्छीसो, , पढमजुगवरो, वीरपट्टाहिसित्तो, सुहम्मो सो आसी, कयमविपया, जोगखेमो णिवोव्व ।
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गाथा १८ ] बंधविहाणपसत्थी [३. सुई जम्हा जाया, इह खलु मरहे, संतई सासणं जा; सुवित्तिण्णाऽग्गेऽग्गे, भविविमलयरी, रायए जहइव्व ॥१२॥
(सोहा) सो गिहवासे वासा, पण्णासं तह वये दुआलीसा । अड केवलिम्मि ठाउं, वीरसिवा सिवमिओ णहमिअऽद्दे ॥१३॥
(पच्छागीई) मडित्था इंदुवत्तं, तिलयमिव पयं, तस्स सो जंबुसामी; सोहम्मक्केण फुल्लं, पवयणवसुणा, जस्स वेरग्गपोम्मं । रम्मा कन्ना णवोढा, अड वणवति, हेमकोडी य जो हि; चिच्चा सप्पन्व, कासी वसममिअरमं, कामुई पंसुलं पि ॥१॥
(सद्धरा) पाथि विवेगो को वि य, जंबूसामिस्स जं अदासी जो । संजमसिरिं सिवयरं, चोराण वि दंडजोग्गाणं ॥१५॥
(पच्छाज्जा) सो घरवासे सोलस, वासा वीसं वये जुगपहाणे । अजपयवण्णा पूरिअ, वीरसिवाउ सिवमजपयंगद्दे ॥१६॥
. (पच्छागीई) तत्तो मणपरमावहि-पुलागभाहारखवगुवसमा य । कप्पतिसंजमकेवलि-सिवगमणं ति दस वुच्छिण्णा ॥१॥
(पच्छाज्जा) तपट्ट, पहवपहू गयी सोह; भूवालो णिमपिउणो णिवासणं व्व । चोरेसो वि मविजणाण दावसी जो; सत्थेसो इव सिवलच्छिमेत्थ चित्तं ॥१८॥ (पहस्सिणी)
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मुणिवीरसेहरविजयविरइअ [गाथा १६ तः थुठवह पभवपहुस्स कि-मपुश्वभग्गणिहिणो अहोभागं । हरिउ गओ जडसिरिं, जा ता लहइ स अपुठवचरणसिरिं ॥१६॥
(पच्छागीई) स गिहेऽणंगदसाऽद्दा, कहंगपमि वये जुगपहाणे । अंगमिआ ठाउं खं, वीरसिवाऽदे सरिसिसंखे ॥२०॥
(पच्छाज्जा) विस्सक्खायवरो पएडम्स स पहू, सोहीअ सय्यंभवो; णिक्कासीम मुणिंदुसेअवयसा, सच्चेसणे तप्परो । जूवाहत्थिअसंतिणाहपटिम, वेरग्गसमंबुहि; मोक्खाऽद्धादरिसं धरामहठिअं, णिहाणं व्व जो ॥२१॥
(सद्द लविक्कीडि) दसजुअं कयं, जेण वेआलिय; मनकसूणुणो, सत्थमोगाहिउँ । जह णरायणो, अंबुहिं मंथिउं; अमररासिणो, उद्धरीआमयं ॥२२।।
(मेहावली) वीरसिवाऽस्स जणी रस-विस्स (३६) मिएऽद्दे वयं जुगंग(६४)मिए । स जुगपहाणो भूइसि-(७५) मिए गओ दिवमिहणिहि (९८) मिए।।२३।।
(पच्छाज्जा) जसोभद्दो सूरी, स जयउ पए से गणवई; जसोवण्णेणं से, सह सयललोगे धवलिए । हरी अद्धिं संभू, रयणगिरिमिंदो करिवरं, विहुं राहू हंसं, विसमविसिहो मग्गड अहो ॥२४॥
(सिहरिणी) तस्य जनी वीराहे, दोचक्कि ६२ मिए वयं जुगिह ८४ संखे । स जुगपहाणो वसुणिहि १८-मिए दिवमिओ गयमणु १४८ मिए ॥२५॥
(पच्छाज्जा)
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गाथा ३१ ]
बंधविहाणपसत्थी
[५
अज्जो तस्स पए हवीअ विजओ, संभूअपुव्वो गुरू; बम्हेणं अमुणो पयावमुवमी कत्तू कयो तावणो । जस्सऽसदणिग्गा वयणई, भव्वाहपंकावहा; देवीगीअजसं धरीअ कमणो, सोउं च्च अट्ठस्सुइं ॥२६।।
(सहलविक्कीडियं) जाओ स रसंग६६मिए-ऽद्दे पणपरमेद्विगुण१०८मिअम्मि वयी । जुगपवरो मिद्धिभुवण१४८-संखे खमिओ रसतिहि१५६मिए ॥२०॥
(पच्छाज्जा) भद्दबाहू सतित्थो, सो तस्स बीमो जयेउ; गोरसाओ जहऽज्जं, पुवुद्धिओ जेण कप्पो । . भब्बलोगाण जेणं, सिद्धंतसोहं गमेउं; णिम्मिआओ अणेगा, दारव्व णिज्जुत्तिकाओ ।२८॥
(चंदलेहा) कीरीअ जेण उवसग्गहरक्खथोत्तं, घायस्स देवकयमारिउवहवस्स। संघावणस्सऽखिलविग्यविणासकारिं, संदाउ मेस सुअकेवलिभदवाहू ॥
॥२६।। (वसंततिलया) जम्मोऽस्स जुगंक ६४ मिए, वासे वीरा वयं च णिहिविस्से १३१ । स जुगपहाणो रसतिहि१५६-मिए खसंजम१७०पमाणे खं ॥३०॥
(पच्छाज्जा) दाया सिद्धीअ मे सो, हवउ गुणणिही, थुल्लभद्दो गणिंदो; तप्पट्टाराममाली, गुणकुसुमजुआ, भव्वदू जो कुणीअ । वीरो एगो च्च एसो, मयणजययरो, णेमिणाहाइगओ; जेणं काउं पवेसं, मयणहिबिले, कामसप्पो जिओ जं ॥३१॥
(सद्धरा)
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मुणिवीरसेहरविजयविरइअ-
[गाथा ३२ तः
बारहवासदुकाला, तदा मुणिगणस्सिओ तओ गमणा । जाया सुत्तज्झयणे, महई खलणा तदुवसंते ॥३२॥
पिच्छाज्जा) संघण कारिआ सुअ-अवणत्थं सुत्तवायणा पढमा । पाडलिपुत्ते समये, गुरुणो सिरिथूलभद्दस्स ॥३३॥
(पच्छाज्जा) (जुग्गं)। से जणणं णिवकु ११६ मिए, वीरसिवाऽद्दे वयं रसिंद १४६ मिए। जुगपवरो स खसंजम१७०-मिए गओ खं तिहिसम२१५मिए ॥३४॥
(पच्छाज्जा) तत्तो चउरो अंतिम-पुव्वाइं च महपाणझाणं च । समचउरंसं च वइर-रिसहणरायं च वुच्छिन्नं ॥३५॥
(पच्छाज्जा) पटुजिणकप्पविहिसंतुलणयरो, णिप्पिहसिरोरयणअज्जमहगिरी। रंकणिवकारगसुहत्थिमुणिवई, से रविविहू विव सहीम पयणहे ॥३६॥
(इंदुवयणा) जो संपई भूमिवई विहारं, मुणीण कारीम अणज्जदेसे । तिखंडभूमि जिणमंदिराणं, सपाअलक्खेण अलंकरीअ ॥३७॥
(उबजाई) काराविआ णिवेणं, बीआगमवायणा अवंतीए । जिग्गंथाणं परिसं, मेलिय तेण सुअरक्खत्थं ॥३८॥
(पच्छाज्जा) महगिरिणो बाणिंदे १४५, वीरसिवाहे जणी सरिसिकु१७५-मिए । दिक्खा स जुगपहाणो, तिहिहत्थे २१५ दिवमिसुजिण२४५मिए॥३९॥
(पच्छाज्जा)
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गाथा ४७ ]
बंधविहाण सत्थी
[ ७
जम्मो सुहस्थिणोsहं, कुणिहिविहु १११ मिए वयं खगकरथणे । जुगपवरतं सरजिण २४५ - मिए दिवं भूणिहिसय२९१मिए ||४०|| (पच्छाज्जा)
अज्जसुहत्थिगुरु जा, हवीअ गच्छाहिवा च्च आयरिआ । सवे जुगपहाणा, पुत्रहरा वायणादाऊ ॥४१॥ ( पच्छाज्जा) सूरिमंतस्स जबकोडिओ, गच्छणामो जओ कोडिओ; णिग्गओ इक्खुगहणा जिणा, आइभिक्खागुवंसो जहा । लोअणाई भिव सुहत्थिणो, पट्टवत्तम्मि सोहीभ जे; सुट्टिअक्खो सुपडिबुद्धगो, ते गुरू दिन्तु भव्वाण सं ॥ ४२ ॥ (वल्लकी) वीराग्गजुगकर २४३ मिए ६ सुट्टिअसूरिणो जणी दिक्खा । गइणखत्ते २७४ सूरी, कुणिहिक रे२९१ स खगवहि विस्से ३३६ ॥ ||४३|| (पच्छागीई) कुमरगिरिम्मि मुणीणं, तइआगमवायणा उ. सिं काले । अगहस्स काराविआ कलिंगणित्र भिक्खुराएणं ॥ ४४ ॥ (अंतविपुलाजहणचवलागीई) सिरिगुणसुन्दरसूरी, एगारसमो तया जुगपद्दाणो । वीसिवाऽद्दे जिणवय-गुणथणसंखेऽस्स भासि जणी ||४५||
( पच्छ । ज्जा)
दुज्झायगुणमिए, स दिक्खिओ भूमिगहभुजपमाणे । छेसी जुगप्पहाणो, सग्गमिओ विसयभुइकाले ॥ ४६ ॥ (पच्छाज्जा)
प्रज्ज महागिरिसीसा, बहुलबलिसहा उ वायणायरिआ । आसि जमलभाऊ तो, वायगवरसाइसूरीसो ॥४७॥ ( पच्छाज्जा)
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- ]
मुणिवीर सेहर विजयविरइभ
तत्तो जुगप्पहाणो, बारसमो आसि वायणायरिओ । सामायरिओ कत्ता, पण्णवणऽक्खस्स
सुत्तस्स ||४८६|| ( पच्छाज्जा)
इंदग्गे सीमंधर पहू वि संसीअ जम्स सुभणाणं । सो जाओ बीराऽद्दे, सुरपइ सिद्धगुणसव २८० सखे ॥४६॥ (पच्छाज्जा)
तिसये ३०० वासे दिक्खं, गिण्हीभ समिइकिसाणुवेभ २३५ मिए । जुगपबरो तिदसमिओ, लेसारज्जंगजोग ३७६ मिए ॥५०॥ ( पच्छाज्जा)
रि सिंदुणा पट्टसिरी विमासी, ताणिदविण्णेण स ताभ भासो। जहा जिसा भाइ विसाय रेणं, णिसाम भाएइ णिसायरो वि ॥ ५१ ॥ (उब्जाई)
तस्समये गुरुबंधू, पिअगंथक्खो पहावगो सूरी । कयबम्हणपडिबोहो जयेउ सच्चरणगुणनिलयो । ५२ ।। (पच्छज्जा)
सीसे मोलिब्व सोहीअ, इंददिण्णस्स सूरिणो । पट्टम्मि सिरिदिष्णक्खो, गणिदो सूरिपुंगवो ॥५३॥ (अणुअं)
तस्स पढमो विणेयो, भज्जस्सिरिसंतिसेणिआयरिओ । मूलं आसि चउन्हें साहाणं सेणिआईणं ॥ ५५ ॥
(पच्छाउज)
वायणायरिभो । अज्जजीभहरो ॥५५५ (पच्छागीई
"
आस तयाणि अणेगा, पहावगा तेसु तेरसमो जुगपवरो,
संडिलसूरी य
[ गाथा ४८ तः
"खंडिलसूरी” इति वा ।
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गाथा ६४ ] बंधविहाणपसत्थी तस्संगखदंडेऽद्दे, जणी वयं हथिहत्थवहिमिए । अंगणिरयरामे जुग-वरो स वेअकुजुगम्मि दिवं ॥५६॥
. (पच्छाज्जा) तो आसि जुगपहाणो, चउदसमो सूरिरवेतीमित्तो । वीराऽस्स जणी वारण रयणविसिहगुत्ति ३५२ संखेऽहे ॥५७॥
(पच्छाज्जा) गरखेत्तेगदिसारवि-सल्ल३६६पमाणे वयं जुगपहाणो । सुअभेअसुरिहदसणे ४१४,स गओ खविसयगइम्मि ४५० दिवं ॥५८।।
_ (पच्छाज्जा) आसी अज्जसमुद्दो, समुद्दगंभीरवायणायरिओ । तिसमुद्दखायकित्ती, दीवसमुहेसु गहिअपेआलो ॥५॥
(पच्छागीई) जेण तइअपाहुडओ, पंचमपुव्वस्स दसमवत्थुस्स । रइ कसायपाहुड-सुत्तं जयउ खलु स गुणधरसूरी ॥६०॥
(पच्छागीई) स मवउ कालअसूरी, मम सिवदो गहभिल्लछेभयरो । जेण कयं महपव्वं, चोत्थीए पंचमीहिन्तो ॥६॥
(पच्छाज्जा) विज्जासिद्धो जेआ, बंभणबोद्धाण खउटसूरी सो । जयउ जगे तस्सीसो, महिवसूरी वि सिधुवज्झायो ॥६२॥
(पच्छागीई) सिरिरुद्ददेवसूरी, जगे जयउ जोणिपाहुडसुअण्णू । सिरिसमणसिंहसूरी, णिमित्तविज्जापडू जयउ ॥६॥
(पच्छापुश्विगा सव्वचवलाज्जा) मणगो करगो झरगो, पहावगो जयउ वायणायरिओ । सिरिअज्जमंगुसूरी, उत्तीणागाहसुभजलही . ॥६॥
(पच्छाज्जा)
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१०] मुणिवीरसेहरविजयविरइअ- [गाथा ६५ तः स महाविज्जासिद्धो, अपुव्वसुयसागरो होगामी । जयउ महगुणी पण्णू , पालित्तो बाल वयसूरी ॥६॥
(पच्छाज्जा) वुडढ्डेण वि जेण किवं, सरस्सईअ लहिऊण कुसुमजुअं । मुसलं पि कयं खाओ, सो सूरी वुड्डवाइ त्ति ॥६६॥
(पच्छाज्जा) सीसो तस्स गुणणिही, महाकवी विततसासणपहावो । उत्तिण्णसमयजलही, पबोहगो विक्कमाइभूवाणं ॥६॥
(पच्छागीई) सिवलिंगफोडणं जो, विहाय कल्लाणमंदिरथवेणं । पयडीअ. महपहावग-मवंतिपासपहुणो बिबं ॥८॥
(मुहचवलापच्छाज्जा) सम्मइतक्काइगणय-गंथाणं कारगो अणेगाणं जयउ जगम्मि स सूरी, दिवायरो सिद्धसेनगुरू ॥६६॥
(पच्छाज्जा) ताउ सिरिधम्मसूरी, हवीभ पंचदसमो जुगपहाणो । जम्मोऽस्स वीरमोक्खा, सयंकपावग३६२पमाणेऽहे ॥७॥
(पच्छापुश्विगा महाचवलान्जा) विगइजुएऽहिसयमिए, गेण्हीअ वयं स खऽक्खगइ४५०माणे । जुगपवरो आसि गओ, सग्गं गोत्थणखगकसाये४६४ ॥७१।।
(पच्छाज्जा) स सीहसूरी गुरुदिण्णपट्टे, सोहीअ इंदूमिव अंतरिक्खे । भवीण अण्णाणरिउस्स सीसं, छिंदीअ खग्गो इव जस्स वाणी ॥७२॥
(उवजाई)
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गाथा ८०
बंधविहाणपसत्थी . [११ विज्जागुरू सिरिवहर-सामिस्स य भद्दगुत्तरियो । जयउ जगे दसपुव्वी, ता' सोलसमो · जुगपहाणो ॥३॥
. (पच्छाज्जा) तस्स जणी वीराऽद्दे, विअद्धसुरयावसाणजमजामे४२८ । णक्गत्तवीहिसायर-जोवणकोसे ४४६ स भासि वयी ॥४॥
(पच्छाज्जा) अमिणयसत्तिदिसे४१४ 'जुग-पवरो आसायणिदिये५३३ खमिओ। वंदे ह विज्जहिं सिरितोसलिपुत्तमायरियं ॥७॥
_ (पच्छाज्जा) जयउ सिरिगुत्तसूरी, लोए सत्तरसमो जुगपहाणो । वीरा करिजलधिजुगे४४८-ऽद्दे. जम्मोऽस्स वयमग्गिवसुवेए४८३॥७६।।
(पच्छागीई) स हवीअ जुगपहाणो, लिंगऽग्गिसरे५३३दिवं गयऽहिसरे५४८ । हवउ मम मंतविज्जा-कुसलो सिवदो समिअसूरी ॥७॥
____(पच्छाज्जा) सिअयरो भविकुमुदविकासे स जयेउ बहरविह वहरसाहा जम्हा पहवीम जहिसिणेत्ता विहू । जं ससुममालिंगिउमुल्लसीअ साहुरयणेहि; जुओ सिंहगिरिगुरुपयऽद्धी ' सिरिवेलाकरेहिं ॥७॥
(चितलेहा) हिंडोलगत्थो वि छमासिओ जो, एगादसंगिं सुअपुव्वजम्मो । पढीम बालो वि अबालतेजो, किं दुक्करं अत्थि महापुमाणं ॥७९॥
. (उवजाई) अक्खोहिओ रायसहाअ माउ-प्पलोहणेहिं मुणिसत्तमो जो । परिक्खिउं जस्स सुरेण दत्ता, वेउव्वलद्धी महगामिविज्जा ॥१०॥
- (उवजाई)
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१२ ]
मुणिवी से हरविजयविरइभ- [ गाथा ८१ तः
संघो ठवेऊण पटम्मि णीओ, दुब्मिक्खदेसाउ सुभिक्खदेसं । दयाऽद्विणा जेण भषाउ मोक्खं, खित्ता विमाणे विणिणीसुणान्व ॥ ८१ ॥ (उबजाई)
सुवण कोडी अरूपिणि जो, दिक्खीअ संबुज्झ सरागकण्णं । पबोहिओ बोद्धमयानुसारी, भूवो वि जेणं पउरेहि सद्धं ||८२|| (उवजाई) बीist रसणिहिजुंग (४१६) - मिए जणी से वयं बलखअंगे (४९६।५०४) मइगुण संघसरे (५४८) जुग-पवरो स दिवं जुगगयस रे (५६४ ) ||८३|| (पच्छाज्जा) चरमो अवि दसपुब्बी, सो दसपुवीण अचरमो जाभी । तो वुच्छिष्णाणि तुरिम - भागिइसंघयणदसमपुव्वाणि
॥८४॥ | (पच्छागीई) आसी तयाऽज्जर क्लब-सूरी गुणवीसमो जुगपहाणो 1 जेण विहत्तो चउहा, मभोगो कालमासिज्ज 115211 ( पच्छ ।ज्जा) वीरा सबेसमखेऽद्दे, जम्मोऽस्स वयं च वेअवेअसरे । थंमिस रे५८४ जुगवरो, स गओ दिवमस्सणिहिभू५७ ||२६|| ( पच्छाज्जा)
तो बीसमो जुगबरो, दुम्बं लिआ पुप्फमित्तसूरिवरो । जन्मोsस वीरमोक्खा ऽहं नहसाययविसयि५५० माणे॥ ८७|| (पच्छाज्जा) गेहीअ स पव्वज्जं, सायरपज्जत्तिहरमुह ५६७५माणे । जुगपवरोऽस्स णिहिसरे ५६७, हवीय संजमरि उम्मि६१७ दिवं ||८|| (पच्छाज्जा)
अइकुसलं रयणत्तय-पंचाचारेसु वायणायरिअं नमिणत्थव कारं, वंदे तं
विलायरिचं ॥ ८६
( पच्छाज्जा)
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गाथा ६५ ]
रिउज्जयस्स हवीअ
जयउ
विस्स
बंधविहाण सत्थी
सेणाअ
णिवरणा मिव रज्जधुरा;
ऊढा जेणं पहुणा वज्जामिपट्टधुरा 112011
(चंद लेहा)
जस्स णिजचडविणेयाण वहरणो स
sine उक्क; कुत्तच उक्कं
1
राजु ४६२ ह े. जाओ सो दिक्खिओ कुगगणसरे ५०१ । संजमर से ६१७ जुगवरो, हवीअ खभिभो जहगुहमुहे ६२० ॥ ६१ ॥ | (पच्छा पुव्विगा अंतचवलाज्जा)
ताउ
अखिलकम्मविसय-णाणहरो जागहत्थिसूरिवरो ।
बावीसमो जुगवरो, जयड जगे वायणायरिओ ||६२ ॥ (पच्छा पुठित्रगा जहणचवलाज्जा)
मंदरणगे
स
पट्टम्मि णामो
सुरतरुव्व वइरसेणस्स गच्छस्स चंदकुलो मागीरही व सुरणईअ
.
यस ५७३८६, जाओ सो दिक्खिओ करंकस रे ५६२ । महविगइम्मि ६२० जुगवरो, आसि दिवमिओ णिहिगयरसे६८६ ॥ ६३ ॥
( पच्छाज्जा)
सोहीअ चंदसूरी सरो
खलु
[ १३
विग्घहरो;
जओ जाओ;
भागीरहणिवाओ
॥६४॥
(ललिता)
तमहरो
भवियलोगस्स
जयउ
स गुरू कुरंगारी व विसया विरत्तो तओ वणवासी गणहस जाउ णामो हवी || ९५||
(महुयरी)
सामंतभद्दसूरी;
चंदसूरीसपट्टवोमसूरी वणे वसीभ ।
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१४ ]
मुणिवीरसेहरविजयविरइअ-
[गाथा ६६ तः
विमुत्तिपहदंसी जो ज्ञओ व मासी, सामंतमहसूरीसपट्टधामे। स खतत्तंगेऽद्द वुड्डदेवसूरी, जयउ परिठविअकोरंटगवीरच्चो ॥६६॥
(नत्तगई) तह सिरिजज्जगसूरी, वीरपइटुं कुणीअ सच्चउरे । णाहडकजिणभवणे, वीरा खह यीइ६७०मिअवासे ॥९॥
(पच्छाज्जा) जगम्मि अण्णाणतमस्स णासगो, संसोसगो दुण्णयकद्दमाण जो । भवज्जरासीअ पयोहगो गुरू, पज्जोयणोऽग्घीअ स देवपट्टखे ॥१८॥
____ (संखणिही सुगंदिणी या) अजं तं माणदेवं, गुणगणणिलयं, पासिऊणं वरी; णेच्छंती पट्टकण्णा, इयरपइवरं, सूरिपज्जोयणस । अंसुप्पिं बंमिलच्छी, पयविहिसमये, विक्ख से भाविभंसो; एवं खिण्णं गुरु जो, कलिअ छ विगई भत्तभिक्खं चयो ॥१६॥
(सद्धरा) दट जं पउमाइसेविअपयं, सक्खं थिजुत्तो अयं; एवं कोऽवि विमूढसंकिअमणो, ताहिं गरो सिक्ग्विओ । गड्डूलक्खपुरथिओ वि सरये, वारीअ संतित्थवा; जो सागंभरिपट्टणुत्थमरयं, तत्थुल्लसद्धत्थणा ॥१०॥
(सद्लविक्कीडिअं) तेवीसमो जुगवरो, स वायणायरिअरेवतीभित्तो । वीराऽहऽस्स जणी जिण कमलअवस्थाऽलिपय६३६ संखे ॥१०१।।
(पच्छापुठिवगा मुहचवलाज्जा) गेहीअ स दिक्खं गो-कसायमहजागवडरकोण (६५९) मिए । जुगपवरो खगिहरसे (६८९), खमिओ णगलोगपालणये (७४८) ॥१०२॥
(पच्छाज्जा)
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गाथा ११० ]
बंधविहाणपसत्थी .
[ १५
पऊसंसुव्व सोम्मो, स णयह हरिसं, माणदेवाहिवस्स; वत्ती पद्दिसिंगे, भविगणजलहि, माणतुगक्खसूरी । भूवं बोहीअ भत्ता, तणुठिअणिगडा, चित्ति पंडिएहिं; थोत्ता भत्तामरा जो, जह मयऽइसया, पाअपासा करेणू ॥१०३।
(सद्धरा) जेणं कयो भीइहरो जणाणं, रक्खाअ थोत्तो नमिऊणसण्णो । पउट्ठदेवाइकओद्दवेहि, दुग्गोव्व भूवेण रिऊद्दवेहिं । १०४॥
(उबजाई) चउवीसमो जुगवरो, स वायणायरिअसिंहसूरिवरो । जम्मोऽस्सऽद्दे वीरा, हरबाहतुरंगम७१८पमाणे ॥१०॥
(परुळापुश्विगाइचवलाज्जा) गेण्डीअ संजमं सो, आयारपकप्पवाह७२८संखेऽद्दे । मंगलुवायहये ७४८ जुग-वरो गओ खं रसकरगये ८२६ ॥१०॥
(पच्छाज्जा) वायगवरो सिरिउमासाई, तत्तत्थसुत्तआईणं । कत्ता णेगाण जयउ, पुठवविदो घोसणंदिपट्टहरो ॥१०७।।
(पच्छागीई) मउलिव्व वरेणंगं, विभूसी पइंदिरं । माणतुंगक्खसूरिस्स, वीरसूरी गणीसरो ॥१०८!!
(अणुटठुभं) पट्ठ णमिपासाए, गागपुरे करीअ जो । वीरा सुरद्धपायाल-क्खेत्त७७०ऽद्दे किंचिसाहिए ॥१०९।।
(अणुठुभं) सूरीसरो सो जयदेवसण्णो, दूरीकयासेसकुवाइवुदो । भूसीअ वीरायरिअस्स पट्ट, जहा सुको चूअतरुस्स साहं ॥११०॥
(उवजाई)
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१६ ]
मुणिवीर सेहर विजयविरइभ- [ गाथा १११ तः
1
महुराअ वायणाए, कत्ता सो जयड खंदिलायरिओ जस्स इमो अणुओगो, पयरइ अड्डमरहेऽज्जावि ॥ १११ ॥
(पच्छाज्जा)
तत्तत्थमासकारो, जयेउ एगादसंगवित्तियरो 1 सिरिमहुमित्तविणेयो ऽज्जगंधहत्थी
तिपुव्वण्णू 1182211 (मुहचवलापच्छाज्जा )
वायणायरिओ ।
हिमवंतखमासमणो, पुव्वविओ जयउ विक्कतबहुपएसो, कालिअसुअधारगो धीरो ॥१५३॥
( पच्छाज्जा)
सिरिणागज्जुणसूरी, जयेड पणत्रीसमो जुगपहाणो । ओहसुअसमायारी, चरणणिही वायणायरिभो ॥११४॥
( पच्छाज्जा)
वीराऽग्गिणिहिये ७९३८६, जाओ सोदिक्खिओ हयम्भमये ८०७ | रागथणि ८२६ जुगवरो, हवीअ खमिओ जुगणहं के ९०४ ॥ ११५ ॥ (पच्छा पुब्बिगांतचवलाज्जा)
णयीअ
रिद्धि परं देवानंद सूविरो जस्स पसरिअकित्तिअच्छायणेण छष्णामरा, ण हवन्ति लोगाण चम्मच्छीण णयणगोअरा ॥ ११६ ॥
सूरिजयदेवपट्टसिरिं वरदुमगणो गिरिं
जह
(कुसुमिया)
1
सिरिमल्लवाइसूरी, तथा हवीअ महवाइजिअत्रोद्धो । सम्मइटीगा-पम्हचरित्तणयचक्काणं
॥११७॥
(पच्छा पुब्बिगा मुहचवलाज्ज । )
कत्ता
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गाथा १२४ ]
बंधविहाण सत्थी
1
छव्वीसमो जुगवरो, स वायणायरिअभूअदिष्णगुरू वीराऽस्स जोगिणीवसु- ६४ संखे वासे हवीअ जणी ॥ ११८ ॥
[ १७
(पच्छाज्जा)
करिदंससिद्धिसिंदुरब२- मिए लड़ीअ स वयं जुगपहाणो । पुरिसत्थबिंदुतत्ते १०४, रामागम्मविलयाखगे ९८३ खभिओ || ११||
(पच्छागीई)
सी अंसू वासते, जो देवानंद सूरि--म्सामिणो दंतु किं मोहसेणं, विक्कमो देहधारी; सो सूरी विक्कमक्खो, दाउ सोक्खं मवाणं ॥ १२०॥ ( लच्छी) सिरिसियसम्मारिओ, कम्मपयडिबंधसयगणिम्माआ विज्जाद्दी पुग्वहरो, जयउ तयाऽणेगवायलद्धजयो ॥१२१॥ (पच्छागीई)
1
सवयं णंद एव्व, पट्टलच्छि ।
सिरिचंद रिसिमहत्तर - गुरू जयउ पंचसंगहक्खं जो । गंथं रयीअ संगहरूवं पंचसय गाईणं
॥१२२॥
(पच्छाज्जा)
स आगमविदो नरसिंहसूरी, हवीअ सिरिविक्कमसूरिपट्टे । अमुस्स उवएसगिराअ जक्खो, चयीअ नरसिंहपुर म्मि मासं || १२३||
(कोलं)
2
पंचासो सो आसी
तमसिंधुरम्मि तिलगं, नरसिंहपट्टकमले सूरी
वाए जेण दिगंसुगा विजइडं, नागद्र हे मंदिरं आणी सवसं णिवेणिव गढो, सत्तू
खोमाणरायण्णये; समुद्दाभिहो ।
जइत्ता रणे ॥ १२४॥ (सद्दूलविक्कोडीअं)
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१८]
मुणिवीसेहरविजयविरइअ-
[गाथा १२५ तः
सिरिलोहिच्चायरिओ, - गाया णायागमाइसत्ताणं । तत्तपरूवणकुसलो, जयउ जगे वायणायरिओ ॥१२॥
(पच्छाज्जा) पाडिच्छियसयकलिअं, मिउमहुरगिरं जमामि दूसगणि; सुअअणुओगयरपडु, पावयणिगवायणायरिणे ॥१२६।।
(पच्छाज्जा) सगवीसमो जुगवरो, कालिअसूरी स वायणायरिओ । तस्स जणी वीराऽद्दे, गणीसगेबिज्जयविमाणे ९११ ॥१२॥
(पच्छाज्जा) सूयगड ज्झयणबले १२३, दिक्खं गेण्ही सो जुगपहाणो । हवणवसुगहे ९८३ सगं, गओ दिसाविण्हुवूहखगे १६५ ॥१२८।।
(पच्छाज्जा) सुत्तत्थरयणरोहण-गिरि खमादमणमदवगुणद्धिं । देवद्धिखमासमणं, बंदे तं वायणायरिअं ॥१२९।।
(पच्छाज्जा) जेण कओ पाठाणं, समण्णओ वायणादुगगयाणं ।। वलहीम वायणाए, पहुणा सह कालगज्जेणं ॥१३०॥
(पच्छाज्जा) अडवीसमो जुगवरो, अंतिमपुव्वहरसच्चमित्तगुरू । से जम्मो वीराऽई, दिसक्खविकमसहारयणे १५४ ॥१३१॥
(पच्छाज्जा) इत्थीकलाणिहि ६४ मिए, वयं लहीअ स हवीअ जुगपवरो । चउमुहमुहगुत्तिगहे १९४, गओ दिवं इगसहस्समिए १००१।०॥१३२॥
(पच्छापुश्विगा मुहचवलाऽज्जा)
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गाथा १४०] बंधविहाणपसत्थी [१६ सिरिहारिलसूरिवरो, हवीम गुणतीसमो जुगपहाणो । जम्मो तस्स अवत्था जामणिहाणम्मि १४३-६५४ वीराऽहे ॥१३३॥
(पच्छाज्जा) सो खतुरंगमणंदे७१।१७०, दिक्खं गेहीअ खणहसुण्णबुहे १००१२० । होसी जुगप्पहाणो, दिवं गओ भूसुखचंदे १०५५ ॥१३॥
(पच्छापुश्विगा जहणचवलाज्जा) पाणबुही मुणिवई हरिमद्दमित्तं, पट्टे समुद्दगुरुणो गुरुमाणदेवो। पावीअ मंदविगयं सुइसूरिमंतं, जो विस्सविस्सुअजसो तवसंबिकास्सा
॥१३॥ (वसंततिलगा) नयउ हरिभद्दसूरी, तया पहावी अपुव्वमइपरहो । जलासयजललासय-मगुगंथयरो विजिअबोद्धो ॥१३॥
(पच्छाज्जा) घासे लहीअ सग्गं, सो तक्किकमोलिभूसणो वीरा । सरिसुसमबुहपमाणे, बाणगयासुगमिए .. भूवा ॥१३७॥
(पच्छाज्जा) जुगपवरो तीसइमो, जिणभद्दगणी गुरू खमासमणो । जयउ तयागमवाई, कत्ता माणसयगाइगंथाणं ॥१३८॥
(पच्छागीई) हरसवसये जुएऽहे -ऽस्स जणी रुद्द हि१०११मावणाहि१०२५ वयं । सरिसूहि१०५५ हवीअस जुग-पवरोखमिभोय सिद्धगणे१११५ ॥१३॥
- (पच्छाज्जा) समाणदेवामिहसूरिपट्टे, राईअ सूरी विबुहप्पहक्खो । मन्वज्जबोधेकविमावरीसो, पाबीअ सिठं बिबुहप्पह जो ॥१४॥
(उवजाई)
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२० ।
मुणिवीरसेहरविजयविरइअ. [ गाथा १४१ तः
हमगिरिम्मि पंडुगवणमिव दिप्पए, जयाणंदसूरी सो विबुहपहपए। अगाधमज्झो समयद्धी वित्तिण्णो, अभंगभंगो गहणो जेणुत्तिण्णो॥१४१।।
। (आवली) आसी स साइसूरी, तयाणि इगतीसमो जुगपहाणो । जम्मोऽस्स खसिद्धिजए १०८०, वीरा-ऽद्दे संभुकण्णमये ॥१४२॥
(पच्छापुश्विगा मुहचवला अज्जा) संकरसम्मि११०० दिक्खा, परमाहम्मिअमहीसर१११५पमाणे। स हवीअ जुगपहाणो-ऽन्मतत्तसद्धपडिमे ११६० खमिओ ॥१४३।।
(पच्छाज्जा) ममथो तिरक्कओ सिरीए, जस्संगस्स हबीअ किं अणंगो । जयउ जयाणन्दसूरिपट्टे, रविपहसूरी सो गणस्स सामी ॥१४४॥
(ओवछंदसयं) गड्डूलपुरम्मि कया, जेणं सिरिणे मिचेकअपडट्ठा । भूवा सत्तसयेऽद्दे७००, वीरा गुरुपयजिणाहिअमहस्से ११७० ॥१४५।।
(पच्छागीई) उत्तिण्णसत्तजलही, स जयउ आयरिअसिद्धसेणगणी । जो तविककमोलिमणी, रई तत्तत्थटीगाई ॥१४६।।
(पच्छाज्जा) सिरिपुष्फमित्तसूरी, हवीअ बत्तीसमो जुगपहाणो । तस्स जणी वीराऽद्दे, करवयवीरगणहरमाणे ११५२ ॥१४॥
(पच्छापुश्विगाइचवलाज्जा) वोमविगइगण११६०संखे, पव्वज्जा सुण्णवीरगणरुद्दे ११६० । स हवीअ जुगपहाणो, सग्गमिओ णहसरक्क १२५०मिए. ॥१४॥
(पच्छाज्जा)
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गाथा १५६ ]
बंधविहाणपसत्थी
[२१
तरलुव स जसोदेवो सरस्सइकठभूसणो, गुरू सोहीअ रविप्पहसूरिपयहारभूसणो । कुवाईणं अवजसकद्दमेहि खलु सामीकया, दिसा जस्स जसोगंगाणीरेहि विमलीकया ॥१४॥
(चित्तलेहा) सिरिसंभूयमुणिदो, हवी तेत्तीसमो जुगपहाणो । तस्स सबलमुणिपडिमा १२२१-संखे वासे जणी वीरा ॥१५॥
. (पच्छाज्जा) सिद्धाइगुणगिहिवये १२३१, गेहीअवयं स आसि जुगपवरो। बिंदुसमिइतवमाणे १२५०, मग्गमिओ सुण्णदुगविस्से १३०० ।।१५१॥
(पच्छाज्जा) सिरिबप्पट्टिसूरी, जगे जयउ आमरायबोहयरो । बालो वि अमियतेजो, विज्जद्दी लद्धबंभिवरो ॥१५२।।
(मुहचवलापच्छाज्जा) जम्मोऽस्स मयसये८००ऽद्दे, णिवा लहीअ स वयं मुणीहि ८०७ जए। सम्भूहि ८११ भासि सूरी, खमिओ रुदास्सगुत्तीहि ८९५ ॥१५३।।
. (पच्छाज्जा) विअडपज्जुण्णगुरू विमासी, भवीण पज्जुण्णदवग्गिमेहो । विअङ्कपज्जुण्णसमो गणिंदो, जसाइदेवस्स पईससेले ॥१५४।।
(उविंदवज्जा ) माढरसंभूअगुरू, होसी चउतीसमो जुगपहाणो । जाओ वीरा वासे, स अहोरत्तघडियागुहक्खि१२६०मिए ॥१५५।।
(पच्छागीई) सत्तरिसुरगुरुहत्थे १२७०, लहीअ वयमासि उण जुगपहाणो । अज्जजिणभवसयमिए १३००, खचक्किविस्से १३६० दिवं पत्तो॥१५६॥
(पच्छाज्जा)
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२२]
मुणिवीरसेहरविजयविरइम- [गाथा १५७ तः
जसत्तिमग्गाजलपूअवीसो, सो माणदेवायरिओ गणेसो । सोहीम पज्जुण्णमुणिंदपट्टे, गंथो को जेणुवधाणवच्चो ॥१५७॥
(उवजाई) सिरिधम्मरिसी सूरी, आसी पणतीसमो जुगपहाणो । किरियाठाणसयेऽद्दे, वीरा जम्मोऽस्स मावणाहि १३२५ जुए।।१५८॥
(पच्छागीई) चत्ताम१३४० जुए स वयं, लहीअ अहिमम्मि लेसकट्ठाहिं १३६०॥ होसी जुगप्पहाणो, रयणसये१४०० देवलोगमिओ ॥१५९।।
(पच्छाज्जा) चीअ गोवगिरिमाणववासको जं, सज्जं जिअस्मि सइ ही विसमे वि वाए
माणदेवपयपम्हमलंकरी, कल्लाणसिद्धिविलिदुगुरू विहुव्व ॥१६॥
(वसंततिलगा) गग्गरिसिसूरिसीसो, पहावगो भासि सिद्धरिसिसूरी । उवमिइभवप्पपंच-क्खमहकहाईण जिम्मामा ॥१६१।।
(पच्छापुश्विगा मुहचवलाऽजा) गणाहिवो आसि विमलिंदुसूरिणो; पए स उन्जोअणमुणीसवाससो । उवस्समाणो मुणिसयेहि तीहि जो; वडक्खगच्छस्स हि अबीअभूसणो ॥१६२॥
(मंजुभासिणी) सोम्म सोम्मेण खमं, खमाज थिरयाम जयह मेरुगिरि । गंभीरत्तेणुअहि, सरीरलच्छीअ कामं जो ॥१६३।।
(पच्छाज्जा)
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गाथा १७० ] बंधविहाणपसत्थी [२३ वीरा इंदसर १४६४ मिए, वासे भूवा जुगंकतत्त ६६४ मिए । अब्बुयगिरिजत्तत्थं, समागओ पुत्वभूमीओ ॥१६४॥
(पच्छाज्जा) टेलीपट्टणसीमसंठिअबिह--ण्णग्गोहऽहो जो तया; ठासी सीअपए मुहुत्तमतुलं, णाऊण सूरी अड । साहाईहि बिहव्वडस्स व जओ, वडी मवित्थाऽमुणो, णामं तस्स बिहग्गणो वडगणो, वा वुड्ढगच्छो तो ॥१६॥
(सद्द लविक्कीडिअं) (जुग्गं) जेटुंगगणी सूरी, हवी. छत्तीसमो जुगपहाणो । वीराऽद्देऽस्स जणी गह-पासWणफणाइमजिणभवे १३७० ॥१६६।।
(पच्छाज्जा) दिक्खा जईतडपयो-गुणतंबुलगुण ५३८२ मिए जुगपहाणो । आसि स गुणठाणसये १४००, कुणयिंदे १४७१ अमरभुवणमिओ॥१६॥
___ (पच्छाज्जा) सो सिरिवीरायरिओ, पहावगो जयउ अंगविज्जण्णू । जेण विरूवाणाहो, पबोहिओ महबलो जक्खो ॥१६८।।
(पच्छाज्जा) जम्मोऽस्स विकमाऽहे, पसुबहमुत्तिगुणगह १३८ मिए दिक्खा। मरुपहमयबल १८० संखे, सो सग्गमिओ विहुरसरसे ६६१।१०६१॥
॥१६६।। (पच्छाज्जा) णिजप्पहावा हयकामदेवो, सो सव्वदेवायरिओ गणिंदो । उज्जोमणस्सायरिअस्स पट्टे, राईअ सिंगम्मि जिणालयोव्व ॥१७॥
(उवजाई)
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२४ ] मुणिवीरसेहरविजयविरइभ- [गाथा १७१ तः जो सूरिमंताइसइड्डिधारी, सिस्साण लद्धीअ हि गोयमाहो । गाणंबुही संयमिलद्धरेहो, चंदव्व भव्वजविबोहकारी ॥११॥
(इंदवहरा) जो रामसइण्णउरे, पइट्टममजिणस्स पडिमाए । गाहेयचेइअधरे, करीम वासे णिऽगदारदसे १०१०॥१७२।।
. (पच्छापुट्विगा जहणचवलागीई) बोहिअ कुकुणमंति, कारिअपितुंगजिणपसायवरं । चंदावईणिवणयण-भूअं सुगिरा दिक्खीम ॥१७॥
(पच्छाज्जा) सिरिफग्गुमित्तसूरी, हवीअ सडतीसमो जुगपहाणो । पुरिसत्थबुद्धिकुलयर १४४४ संखे जम्मोऽस्स वीराऽद्दे ॥१४॥
___(मुहचवला पच्छाज्जा) दिक्खा विवाहसिवमुह-रज्जु१४५८पमाणे स आसि जुगपवरो । कुणिरयविज्जाठाणे १४७१, सग्गमिओ रावणऽक्खिसिद्ध१५२० मिए
॥१७५।। (पच्छागीई) साअदित्ती व जो पट्टवारीसरं, सव्वदेवस्स मोईअ सूरिंदुणो। जेण रूवस्सिरी लडुवाही णिवा, देवसूरी व सो देवसूरी गुरू ॥१७६।।
(सग्गिणी) जयउ सिरिसंतिसूरी, सिद्धतणिही स वाइवेयालो । मंताइसत्तिजुत्तो, दसणतक्काइसत्थण्णू . ॥१७७॥
(पच्छाज्जा) जयउ महिंदायरिओ, पहावगो सोहणो य तस्सीसो । पण्णू सूरायरिओ, जयउ विजिअमोअरायसहो ॥१८॥
(पच्छाज्जा)
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गाथा १८६ ] बंधविहाण पसत्थी [२५ सिरिधम्मघोससूरी, जुगपवरो अद्वतीसमो होसी । से जणणं वीरा-ऽद्दे, रज्जंगजिणज्जपिण्डपयडि १४९७ मिए॥१७६।।
(पच्छागीई) दिक्खाऽणुत्तरणहतिहि १५०५-संखम्मि हवीअ सो जुगपहाणो । अंगुलिसिद्धे १५२० खमिओ, पव्वयबलिकम्मभूमि १५९८ मिए॥१८॥
(पच्छ।ज्जा) सम्वदेवक्खसूरिंदो, पट्टम्मि देवसूरिणो । जणप्पिओ विराईअ, पम्हव्व पउमागरे ॥१८॥
(अणुठुभं) मूलऽट्टकम्मसत्त, जेउं गूणं महाभडा अट्ट । . अट्ट जसोमबाई, सूरी तेण विहिआ सपए ।।१८२।।
_(पच्छाज्जा) ललना करेहि दढमिव, सूरिजसोमद्दणेमिचंदेहि । आलिद्धा पट्टकणी, सूरीसरसव्वदेवस्स ॥१८३॥
(पच्छाज्जा) आसि सिरिविणयमित्तो, गुणवत्तालीसमो जुगपहाणो । तस्स जणी वीराऽद्दे, हलिदिक्कुमरीरसा१५६९संखे ॥१८॥
. (पच्छाज्जा) जिणपम्हवसणजोगे १५७६, स वयं गेण्हीअ आसि जुगपवरो । चजणरखगससिकले १५६८, सग्गमिओ जीवजोणिलक्वणिवे १६८४॥
॥१८॥ (पच्छागीई) सिरिअभयदेवसूरी, जयेउ लोए णवंगवित्तियरो । स गओ तिदिवं भूवा, रसदहणगिरीस ११३५ । ११३९ मिअवासे ॥१८॥
(पच्छापुठिवगा मुहचवलाऽज्जा)
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२६]
मुणिवीरसेहरविजयविरइअ- [ गाथा १८७ तः
लिसी कालणेमिरिउव्व जो सूरिंदाणं, पट्टाद्धितणयं जसोमदणेमिचंदाणं । जस्स मणीसाअ खलु पराजिओ विबुहसूरी, भवाण दिसउ सिवं सो मुणिचंदक्खो सूरी ॥१८७॥
(ललिया) जो संविग्गसिरोमणी छ विगई, साहूभवंतो चिअ; भूखंडा व्व चयीअ चक्किणिवई, देहे वि चत्तच्छिहो । जेउं दुहमसेवबाइसरह, भूसीम जो सासणं; लोगे तक्किकवासवो जयउ सो, उत्तिण्णसत्तंबुही ॥१८८।।
(सदूलविक्कीडिअं) हरिमद्दसूरिणा खलु, रइआऽणेकंतजयपडागाई । जे दुग्गमाऽत्थि अहुणा, इह विबुहाणं पि गंथणगा ॥१८॥
(पच्छाज्जा) मंदमईण वि सुगमा, ते गंथा पंजियाइरयणाए । सव्वे वि कया, जेणं पहुणा विस्सहिमबुद्धीए ॥१९॥
(पच्छाउजा) (जुगं) सोषीरपायित्ति तदेगवार-पाणा विहिण्णू बिरुदं धरीम । सगं गमो दद्विसमुद्दसव्वे ११७८, वासे णिवा स सं मवीणं ॥१६१।।
(इंदवारा इंदवज्जा) तब्बंधवा इह जगे, जयंतु आणंदसूरिपमुहा ते । तेण चिअ कयायरिआ, दिक्खं सिक्खं च दाउं जे ॥१२॥
(पच्छापुब्धिगाइचवलाज्जा) तक्खज्झमओ व पयलच्छिमलंकरीम, सूरीसरो स मुणिचंदमुणीसरस्स ।
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गाथा २०० ] बंधविहाणपसत्थी
णामेण जो अजिअदेवगुरू हवी, जं णो जिओ कउवसग्गसूरेहि गुणं ॥१९३॥
(वसंततिलया) मुणिचंदसूरिसीसो, बीओ वादिंददेवसूरीसो । जगविक्खाओ जेआ, दिगंबरायरिअकुमुअचंदस्स ॥१४॥
(पच्छागीई) से वग्गवेअगिरिसे११४३।११३४,जणीणिवाऽद्दे वयं च वीरसिवे११५२। कट्ठाऽस्सीसे ११७४ पयवी, सग्गो तक्किहदसणकप्पे १२२६ ।।१९।।
(पच्छापुश्विगा मुहचवलाऽज्जा) बंभी कण्णाअ मणइ, संकेता जस्स हत्थफासेणं । सो जयउ वीरसूरी, गुणजलही वाइमिगसिंघो ॥१६॥
(पच्छाज्जा) सिरिहेमचन्दसूरी, मलधारी सो बहुस्सुओ जयउ । गुणमणिरोहणसेलो, परमपसंतरसमुत्तिसमो ॥१६७||
(पच्छाज्जा) एत्थ हवीम तयाणिं, सीसो सिरिदेवचंदसूरिस्स । कलिकालसव्ववेत्ता, सूरी सिरिहेमचंदक्खो ॥१९॥
(पच्छाज्जा) कोडितिगसिलोगाणं, कत्ता जो सिद्धरायभूवस्स । पडिबोहगो तहा णिव-कुमारपालपमुहाणं पि ॥१६॥
__ (पच्छापुस्विगांतचवलाज्जा) वायरणकव्वकोस-च्छंद-अलंकारलिंगपमुहाणं । विसयाण जेण रइभा, गंथाऽणेगा विउलमइणा ॥२०॥
(पच्छाज्जा)
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२]
मुणिवीरसेहरविजयविरइअ-
[गाथा २०१ तः
जम्मोऽस्स विक्कमाऽद्दे, जमसुरभीमे ११४५ वयं खपयरहरे ११५० । सूरी स गुणगुग्गे११६६, णिहिसुइचक्किम्मि १२२६ सग्गमिओ ।।२०१।।
(पच्छाज्जा) स सिरिमलयगिरिसूरी, पुज्जो भव्वाण दिसउ परमसि । बहुगंथसुबोधविसय-टीगारयणाइ लद्धवरो ॥२०२॥
(पच्छाज्जा) सलेसो जंबुदीवे, व अजिअदेवमुणिंदुणो पए; सुरी वाईहसीहो, स विजयसिंहगुरू विभासी । बंभं पालीअ रूवे, मयणसमो वि जिइंदियो गुरू; जो णिस्संगो तवस्सी, भविदुहतावसुहायरो विहू ॥२०॥
(माहवीलया) हरन्तु ते भवीण भवदुक्खं जे सोहीअ गणहरा, विजयसिंहगुरुपयबंभीअ दुवे मिव घणपयोहरा ।
तह पढमो सयत्थिगो खाओ सोमप्पहमुणीसरो, . बीओ संघवच्छलो सोम्मो य मणिरयणमुणीसरो ॥२०४॥
(दोवई) चत्तालो जुगपवरो, हबीअ सिरिसीलमित्तसूरिवरो । वीरा विज्जादेवी-सये जुएऽस्स तिसरेहि १६५३ जम्मोऽद्दे ॥२०५।।
___ (पच्छागीई) इत्थीकलाहि १६६४ दिक्खा, मेरुवणकरीहि १६५४ आसि जुगपवरो । स सलागापुरिसुत्तम-संजम १७६३ माणम्मि सग्गमिओ ॥२०६।।
(पच्छाज्जा) रद्धन्तण्णू गणिंदो, जिअकरणगणो, जो दुतीसा गणिंदा; वाए आसंबराणं, विजइअ बिरुदं, पत्थिवा हीरलत्ति ।
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गाथा २१२ ] बंधविहाणपसत्थी
[ २६ रम्मं चारित्तलच्छिं, वरइ मुणिहरी, मंथिउं जो सुअद्दि; होसी वीरप्पहूओ, ककुहुदहिपए, सो जगच्चंदसूरी । २०७॥
(सद्धरा) मग्गं सेढिल्लपंके, चरणगुणरह, जो पहू उद्धरीअ, किच्चा बीअं सहायं, तुरियपयधरं. देवमद्द गणेसं । आजीवायंबिली जो, अइविमलजमो, णिपिहो सोम्म मुत्ती; भव्वाणं दाउ रम्मा, चरणगुणमणी, सो जगच्चंदसूरी ॥२०८।।
(सद्धरा) जो किच्चा आयंबिल-सण्णतवमखंडबारवासमिअं । जमदीवरासिवासे १२८५, तवत्ति बिरुदं लहीअ णिवा ॥२०६।।
(पच्छापुश्विगा जहणचवलाजा) आरंभिऊण तत्तो, हवीअ सण्णा तबत्ति गच्छस्स । जाओ कोडिगसण्णो, गच्छो जह मंतकोडिजवा ॥२१०॥
(पच्छापुश्विगा मुहचवलाज्जा) विस्साणाणतमच्चयेगतरणी, सो वाइयूकत्तिओ; देविदो जगचंदसूरिपयखे, सूरी भवज्ञप्पिओ। लोगा बोहिअ भूवमंतिपमुहा, भूमीअ जो सासणं; गंथा णूअणकम्मगंथपमुहा, जेणं अणेगा कया ॥२११॥
(सदृलविक्कीडिअं) वक्खाणे सपरागमत्थणिवुणो, जो गायतकग्गणी; मिच्छादसणमप्पदुग्गइयरं, जुत्तीहि दूरं करीअ । से विस्से कुलटा व्व कित्तिरमणी, भंता अदिण्णायराः . . सो पायालउरोयगारवधरा१३२७-वासे णिवा खं गमो ॥२१२।।
(सदूलविक्कीडिअं)
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३०] मुणिवीरसेहरविजयविरइअ- [ गाथा २१३ तः रेवइमित्तो सूरी, जुगपवरो भासि एगचत्तालो । वीराऽस्स जणी अहिए, विहिसवभुवणेहि संजमसयेऽद्दे १७३८॥२१३।।
(पच्छागीई) णयलोगपालजुत्ते १७४७, वयं सलायामहापुरिसजुत्ते १७६३ । स हवीम जुगपहाणो, गओ दिवमिलाकलाराए १८४१॥२१४।।
(पच्छापुश्विगाइचवलाज्जा) विज्जाणंदमिहो मुणीसरवरो, तस्सऽज्जसिस्सुत्तमो; जाओ जस्स जसोजलेण णिखिलो, लोगो सिणाईकयो । वाई जेण कया भवाउलमणा, सीहेण कुंभी जहा, दभं वागरणं सभिहगं. सुत्तप्पमत्थाययं ॥२५॥
" (सदूलविक्कोडिअं) से दिक्खा गयदंतअंबरदसा-खोणी१३०२पमाणे णिवा; वासे वेअसमऽग्गिखग्ग१३०४/१३२३पमिए, पत्तो स सूरित्तणं । किं सोदु अखमो गुरूण विरह, जाए गुरुस्सग्गये; धस्से तेरसमे गओ सुरगई, खेतक्खिविस्ले १३२७ स वि- ॥२१६।।
(सदूलविक्कीडिअं) जस्सऽद्धी भूवदेयं, मिव रयणुवदं, देह वीईकरेहि; सीसाणं पत्थणाए, रइअजलणिहि-त्थोत्तमंतप्पहावा । जक्खं जिण्णं कवद्दि, पुणुवइसिअ जो, पुवठाणे ठवीअ; सूरी देविंदसूरि-प्पयखदिणमणी, धम्मघोसो स मासी ॥२१७।।
(सद्धरा) जो बमुजयिणित्थं, मंताइपचंडसत्तिहरजोगिं । कउवद्दवमुणिमदिअ, मंतेहि मुईअ गमिरं तं ॥२१८।।
(पच्छाजा) साकिणिमुद्धडपट, कयमंतियवडगदाणसरभंगा " दुद्वित्थी थंभिअ पुण, जेण दयाईहि मुत्ता ता ॥२१॥
(पच्छाज्जा)
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गाथा २२६ ]
बंधािणपत्
[ ३१
एकाअ चिम णिसाए, जो किश्चाऽट्ठजमया जिणथुईए ।
बंमीलद्धपसायो,
गुर
पबोहीअ ||२२||
( पच्छाज्जा)
सदसिभ कट्टमरत्थविसअगडसज्जतणू 1 तभो ऽखिलविगई उग्गतेओ जो जो ॥२२१||
( पच्छाज्जा)
अहिंसाउ पच्चूहे चयइ चयइ
पबोहिअ ससम्मवयगहणकाले
जो पुहवीहग्सद्धं, पडिसिज्झइ नियमंतं, लक्खमणड्ढं वि तं तिकालण्णू ||२२२ ||
(पच्छागीई) पलास मालवीसर-सचिवो जाओ कमा कुबेरुवमो । कयचुलसी इ८४ जिणच इभ - गुरुप्प वेसाइबहुकज्जो
॥२२३॥ ( पच्छाज्जा)
से भूवा वरिसम्मि तेरससये, वेएहि १३०२ जुत्ते वयं; जुत्ते वे असमेहि १३०४ । १३२३ वायगपयं सूरी जया सोयशे । सूरी माउकुहिए १३२७ १३२८ सगुरुणो, काला छमासंतरे; संविग्गो स सगोत्तसूरिविहिओ से बंधऊहि १३५७ खं ॥ २२४॥ | (सद्दल विक्कीडिअं) श्रग्घायुज्जलसं जमत्थसुरहिं, सोमप्पहगुरु; सूरिं थोअमि धम्मघोसमुणिवा पट्टऽज्जभसलं । गेहीअ च्चण मंतपोत्थयममू, चारित्तसुणो; अज्जुज्जे वि गओ पडिक्कमिभ जो, णाएसपलयो ।। २२५ ।। (सलल लिअं) वाईहव्वायकुम्म पदलणहरिणा, जेण विज्जाणहेहिं; बाए छिण्णप्पात्रो, दिभहरणगणो, चित्तकूडे सहाए । पुण्णा सेसंगपाठी, म्हयकरचरणो, कित्ति संपुण्णलोगो; सूरी सोमप्पहक्खो, स वियरउ महं, सव्वकल्लाणसिद्धी ॥२२६॥ |
(सद्धरा)
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मुवीर सेहर विजय विरइअ -
[ गाथा २२७ त.
३२ ]
गाणंबुही;
जो कत्ता जइजीअकपप मुह-गंथाण जेणं अंबुअलाहहिंसणमया चत्ता मरू कुंकणा । बासे विस्ससये बलेहि १३१० भहिए. भूबा जणी से वयं; अप्पऽक्खीहि १३२१ पर्यं रएहि १३३२ खमिओ, अज्जं जगस्सेहि १३७३ सो || २२७|| (सद्दूलविक्कोडिअं) सुरगइ समयेस्स पसिभ, सुरकयउज्जोयणाइम हिममहो । सग्गागयं विमाणं, गुरुणोस्स त्ति मणिअं जणेहि तया ॥२२८||
(पच्छागीई)
जत्तावतिष्णदेवो, भणीअ मेरुम्मि मे सुरेहि सुअं । सोहम्मद समाणा, जाएए सिरितवायरिआ ।।२२६ ॥ (मुहचवला पच्छाज्जा) चत्तारि सीसा गुरुणोऽस्स आसी; दिसासु सव्वासु विखाभणामा | थंमा वीरप्पसासणोए; जयंतु ते भव्वजण घहारा ||२३०|| ( उबजाई) सिरिविमलप्पहसूरी, मिच्छतमहरो दयंबुही पढमो । सिरिपरमानंदगुरू, परमानंदप्पदो बीभो ।।२३१।।
( पच्छाज्जा)
सिरिपम्हतिलगसूरी, तइओ फुडसुद्धमंयमिद्धिणिही । सिरिसोमतिलगणामो, सूरी विस्सुतमो तुरिओ || २३२ ||
(पच्छाज्जा)
सिरिसुमिणमित्तसूरी, बायालीसइमजुगपहाणो तो । आसि जणी इंदुहरा बंभभिए तस्स वीरा ऽद्दे ॥२३३॥
(पच्छाज्जा)
A तपागच्छपटावल्यपेक्षया
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गाथा २३९ ] बंधविहाणपसत्थी . [३३ इंदियपणगविसयसुइ १८२३-मिए वयं हत्थिकरपहरविज्जे १८४१ । आसि जुगवरो स गओ, बलकाकक्खिगहकुम्मि १६१६ दिवं ॥२३४॥
(पच्छाज्जा) साअगुमहद्रहसिआ वयणगंगा, जस्स मवतावअवहाऽघमलसोही । सोमतिलगव्व गुरुसोमतिलगो सो, सोमपहसूरिपयसंभुगिरिसोही ॥
॥२३५।। (इंदुवयणा) जो बालो वि अबालतेअणियरो, जो वाइतुलासुगो; रायचो. सुगुणेहि गोयमतुलो, वित्तिण्णकित्तिव्वजो । से जम्मो तणुकंडविस्स१३५५वरिसे, गंदंगविस्से १३६६ वयं; सूरी सो जयसत्तिणाहिअभवे १३७३, झाणंहिलोए १४२४ दिवं ।।२३६।।
(सदूलविक्कीडिअं) सुरगइसमयेऽस्स पसिअ, सुरकयउज्जोयणाइमहिममहो। सग्गागयं विमाणं, गुरुणोऽम्स त्ति मणिशं जणेहि तया ॥२३॥
(पच्छागीई) 卐जत्तावतिण्णदेवो, मणीअ मेरुम्मि मे सुरेहि सुझं । सोहम्मिदसमाणा, . जाएए सिरितवायरिआ ॥२३८।।
(मुहचवला पच्छाज्जा) से कि बोधि उमेगया तिभुवणं, जाआ तिसीसुत्तमाः तत्थऽज्जो सिरिचंदसेहरगुरू, सूरी तिबिज्जंबुही । सिस्सझावणपेसलो सुचरणो, मोहागछेएगिहो; सोम्मद्धी कइलोगमोययकिई, सो देउ 'संघस्स सं ॥२३॥
. (सदूलविक्कीडियं)
5 गुर्वावल्यपेक्षया ।
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३४] मुणिवीरसेहरविजयविरइअ. [ गाथा २४० तः विठ्ठवभवविस्सेऽद्दे १३७३, जम्मोऽस्स वयमिसुपीलुवसहभवे १३८५। सूरीपविरसविस्से १३६३V, स गओखं सल्लिहरयसरे १४२३॥२४०॥
(पच्छाज्जा) बीओ य जयाणंदो, सूरी गाणंबुही सुचरणणिही । खदिवपिहुबुहे १३८० स्स जणी, वासे दिक्खाऽकि वहरिविस्से १३६२॥
॥२४१।। (पच्छाज्जा) सो सूरी गहरयणे १४२०, वासे सगं गओ कुवेदिंदे १४४१ । सिरिदेवसुदरगुरू, तइओ आसि जुगपवरसमो ॥२४२।।
(पच्छाज्जा) सठवधरणिणाहो व सचिअसेणाणीणिवसामंताईहिं, परिवरिओ भासी सूरिउवज्झयपण्णाससाहुआईहिं । सोमतिलगसूरिपट्टसिंहासणम्मि देवसुदरो सूरी, किमु णव्वतणु धरिउं इहागओ देवाण सुंदरो सूरी ॥२३॥
(दण्डकला) पूण्णिदू करकंदुगो हिमगिरी, कीडाविहारस्थली; खीरद्धी घरदीहिआ पिअसही, अच्चुत्तमा भारती । सेज्जाऽऽसागयरम्मदंतवलही, से कित्तिकण्णाकए; पंचालीजुगलं पि संकरसिवा-रू कयं संभुणा ॥२४४।।
(सद्दूलविक्कीडिअं) जो झाणस्थगुरूणं, गणभारुद्धरणजोग्गपत्तत्थं । खुड्डो वि अंबिकुत्तो, विसयगुणोऽणंतभागजुओ ॥२४।।
(पच्छाजजा) धाराभिहस्सावगपुगवेणं, पक्खोववासेहि वसीकयेणं । देवेण पुट्ठो तिभवेहि मुत्ति, साहीम सीमंधरकेवली से ॥२४॥
(इंदवारा) Vतपागच्छपट्टावल्यपेक्षया । गुर्वावल्यपेक्षया तु १३९२ । .
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गाथा २५३ ]
बंधविहाणपसत्थी
[ ३५
लेकर क्खिखमे ऽद्दे १३९६ जाओ स विकन्भवेकु ठे १४०४ । साहू हवीभ सूरी, रावणकरपिंडपयडि१४२० मिए ॥२४७॥ (पच्छाज्जा)
पंचेद्दिव अपंचवयणा, सीसाsee पंचग्गमा; सत्थऽज्जो सिरिणाणसायरगुरू, पाणबुडी पिपिहो । सूरी साम्मसुहण्णवो सुत्रयणो, भवज्जुण्हगुसासणुष्णइबरो, साहूण
वारंणही; विज्जागुरू || २४८ || ( सहल विक्कीडिअं)
पंडवविआसिले १४०५७६ - Sस्स जणी वाइसिअर रिम्मि १४१७वयं । सूरिंदुविहिमुहसरे १४४१, सरिउदिवसणीइकुम्मि १४६० तुरिअदिवं ।।
||२४६|| ( पच्छागीई)
सूरीसो
कुलमंडणामिहगुरू,
वाइव्वायगिरिपभंगवइरो, सिद्धं तपारंगमी चक्कंगो इव विस्समाणससरे, भासी जईयो जसो; सो बीभो अबीअमग्गणिहरो, भे होड मद्दंकरो || २५० | (सद्द विक्कीडिओ) सुमिणसयेद्द अहिए, बलेहि १४०९ जम्मोऽस्स संज मे हि १४१७ वयं । गोयरिदोसेहि १४४२ पर्यं करणसुपास जिणफणिफणाहि १४५५ दिवं । ।। २५१|| ( पच्छा गीई) तइओ सुविमलचरणो, गुणरयणणिही स गुणरयणसूरी । वाsमिगारी जयउ ति-कालविओ सपरसमयण्णू ॥ २५२ ॥ ( पच्छाज्जा)
उत्सग्गमग्गारगो;
तुरिओ य सोमसुन्दर सूरी सोम्मागिइव्व सोमरस । सिरिसाहरयणसूरी, स पंचमो गोयमसरिच्छो ॥२५३॥
(पच्छाज्जा)
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३६ ]
मुणिवीरसेहरविजय वरइम- [ गाथा २५४ तः दीहक्खी जाणद्दी, पहावगो गुणणिही महावाई ।। भूएसमुत्तिआगम-सोमे १४५८ - ऽद्दे से पयपइट्टा ॥३५४।।
___ (पच्छाज्जा) आसि हरिमित्तसूरी, तेआलीसइमजुगपहाणो ता । अणलमयपुराण१८८३मिए, वीरसिवाद्दम्मि तस्स जणी ॥२५५।।
- (पच्छाज्जा) कालणहंकरवि१६०३मिए, वयं गहीअ स हवीअ जुगपवरो । णायज्झयणणिहिबुहे १५ १६, सग्गमिओ जोगिणीगहिले १६६४।।२५६।।
" (पच्छाज्जा) राइम्मि कोऽपि पहिओ कुमईहि हंतु, दिक्खीअ तं पि य पबोहिअ जो दयद्धी। सो सोमसुन्दरमुणीसवई जयेउ, : ... देवाइसुन्दरमणीसपयज्जहंमो .. ॥२५॥
.. (वसंततिलया) सोऽहोरत्तमुहुत्तपुव्व१४३०पमिए, वासम्मि जाओ णिवा; सक्कस्सस्सतिमोलिमोलिविदिसा-खोणी१४३७मिए संजमी । उज्झायो णहणीलकंठवयण--ब्बम्हम्सधारी१४५०मिए; सूरी वारकलंबरीइवसुहे १३५७, णदंकविज्जे १४५५ दिवं ।।२५८।।
... (सर्दूलविक्कीडिअ) चउरो दिसा विजेउं, जुगवं सीसाऽस्स आसि चत्तारो । . वाईहभंजनहरी, णाणद्धी गगथयरा ॥२५९।।
.... (पच्छाज्जा) मुणिसुदरामिहोऽज्जो, सूरी जयसुवराभिहो बीओ । तइओ य भुवणसुदर-णामो जिणंसुदरक्खोंतो - ॥२६०।।
(पच्छाज्जा) (जुग्गं)
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गाथा २६५ ]
.. बंधविहाणपसत्थी
[३७
श्रत्तं कालिसरस्सइ त्ति बिरुदं, जेणं पबुद्ध ध्वजा; 'णाआ बटुलिगाणऽडुत्तरसयं, साहीम जो धीणिही । सूरीसोमुणिसुदराभिहगुरू, संविगमोलीसरो; सो भासी गुरुसोमसुन्दरपए, हारव्व वच्छत्थले ॥२६१।।
. (सद्द लविक्कीडिअं) अहोऽधाणाणि सहस्समेस, बल्ले वि धारीअ रविव्व रस्सी। , जो सूरिमंतस्स जिणिंदवारं, आराहणं वे विहिणा करी ॥२६२।।
(उबजाई) वारीअ जो संतियरत्थवेणं. दुज्जोगिणीकारिअमारिरोगं । जहंकुसेणं करडि णिसादी, पचंडसामथपयावपुजो ॥२६३॥
(उवजाई) वीरा अंतरसत्तुखंककु१६८६मिए, वासे णिवा विक्कमा; । सो जाओऽलिपयऽग्गिमग्गमिए १४३६, लोगद्धिसक्के १४४३ वई। उज्झायो उउवज्जकोणरयणे १४६६, णागद्धिविरसम्मि १४७८ च; . सूरी सत्तिविहायसिद्ध१५०३पमिए, आइच्चलोगं गओ ॥२६४॥
(सह लविक्कीडिअं)
समुसीअविजियो हि जस्स धिसणो हवीअ ण जणाण गोयरो; ... वाइसिंधुरकदंबगस्स पहवीअ जो मिगवई विआरणे । बालबंभिबिरुदं लहीअ मुणिणायगो विबुह बंबिबम्हणा; सो जयेउ मुणिसुदरायरिअपट्टगे रयणसेहराहिहो ॥२६॥
(चित्तगं) से जम्मो चरणासवेहि १४५७/१४५२ अहिए, वासम्मि विज्जासये; भूवाला विरइं गहीभ तिसिरो-मोलिप्पमाणेहि १४६३ सो ।
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३८ ]
मुणिवीर सेहर विजयविरइअ- [ गाथा २६६ तः
पण्णासो तिमयेहि १४८३ विट्ठवजिणा-म्मोजेहि १४९३ उज्झायगो; सूरी दोहि १५०२ महक्क उक्खिसये, खं संजमेहिं १५१७ गओ || २६६ ।। (सह लविक्कीडिअं)
हरी सहस्Hक्खी घरह जस्स किन्ति दटयुं वत्ततिलोगं; रयणसेहरसूरिपट्टसूर लोगं ।
लच्छी साबरसूरी
स
भूसीभ हरी व
सूरिउवज्झायपणंससा हुआई हिं;
परीओ सामाणियलोग पालतायत्तीस देवा ईहिं
॥२६॥ (दंडकला )
बासे वज्जिस जुएsस्स जणणं, इत्थीकलाहिं १४६४ वयं; बोमद्धीहि १४७० रिउग्गहेहि १४९६ अहिए, पण्णासण्णं पयं ।
यो विणा १५०१ जुए तिहिसये, कम्मेहि १५०८ सूरी सहि; गच्छीसो तुरगायलाहि १५१७ अहिए, वारासमेहिं १५४० दिवं ॥ २६८ ॥ ॥ (सद्द लविक्रीडिअं)
रन्तो जो हि
जिणपडिमातित्थालयागमावे;
सोम्मदी
सो
समदमणिही गच्छेक्कदत्तचित्तो 1 सूरी सिरिसुमइसाहू सूरिणो पयम्मि; लच्छी सायर गुरुवरस्सऽज्जे सिरिव्व माही ॥२६६॥ (सुरयल लिया) जम्भोsa विक्रमाद्दे, जुगणिहिरज्जुम्मि १४१४पक्खदिवस सये | रुद्द हि१५११ जुए सवयी, सूरी वसुभूहि १५१८ससिकरीहि १५८१ दिवं ।
||२७|| (पच्छागीई)
विततमुणिभगणेणं परिकलिभो हेमबिमल सूरिरयणीयरो; भासी सुमइसाहुसूरिपट्टगगणे
भवियपम्हविआसयरो |
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गाथा २७५ ]
बंध विपत्थ
[ ३६
जा मुनिपुंगवस्स अस्स जसकित्तीए जिरुवमा भवदाअया; ण लहिज्जेइ केहि वि कप्पुररयभचंदाईहिं से तुल्लया ||२७|| ( मालागलिया )
लख
वाइविडंबणखबिरुदं जेणुच्च संवेगिणा; जम्मो तस्स समक्कमेहि १५२०१५२२ अहिए, मिच्छत्तखोणीस ये । वासे विक्कमभूषओ वयहरो, जोगंगवेएहि १५२८ । १५३८ सो; सूरी सिद्धिकहाहि १५४८ देवनिलयं, जोगद्दिवेहिं १५८३ गओ || २७२ ।।
(सद्द लविक्कीडि )
"
अरिहवाणिमूलो वेरग्गकेसरो आणंदविमलसूरिकमलो I
चरणरंगसहस्समुणिदलो,
चविसंघमुणालो,
सुद्धाचरणकण्णिगो जयउ सिरिमविमलसूरिपयसरट्टिणालो
।।२७३॥
( महुयरी )
सो
सोम्मागई;
गुरू
संवेगतरंग पुष्णजलही, चंद्रव्त्र भव्वाणंदयरो हवीअ किरिया - उद्धारकारी जम्मोऽद्द ऽस्सऽहिए पमायकुसये, वाहंबुहीहिं १५४७ णिवा; पक्खऽक्खेहि १५५२ वयं पयं सुरपह-स्सेहिं १५७० रसंकेहि १५१६खं ।। ||२७४|| (सद्द विक्कीडिअं)
श्रणं जस्स सिरे घरीअ मुणिणो, सेसं जिनिंदस्स व दट्ठा वाइमिगा गआ अदरिसं, जं केसरिं भागअं । पंचक्खी जाउं व पंच विगई, जेणं जढा सव्वया; पट्ट तस्स अलंकरीअ विजयो, सो दाणसूरी गुरू ॥ २७५॥ (सद्दल विक्कीडिअं)
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मुणिवीर सेहर विजयविरइअ - [ गाथा २७६ तः
सिद्धगिरिणो, जन्त्ता ससंघा कया; गलरायमंतिमणिणा, सुक्कुझि आऽद्ध दिई । सुक्कक्खेहि १५५३ जणी जुए तिहिसये ऽद्दे से पयंगेहि १५६२य; दिक्खा धाउवसूहि १५८७ सूरिपयवी, कण्णक्खिभूवे १६२२ दिव ।। || २७६|| (सद्द लषिक्कीडिअं)
४० ]
सोउं देसणमस्स सेभत्थं
सी सावलीसरि परिक्कयगच्छ गंगा; जम्हग्गभा इयतिविद्रवपावर्षका । सोहीअ पट्ट हिमवंत गिरिम्मि तस्स; पन्द्रहव्व स गुरू सिरिहीरसूरी ॥ ||२७|| ( वसंततिलया ) जो धम्मे जवणाहिवं पि ठविडं, कारीअ अस्था बहू; भाणू जस्स तवष्पहाभ विजिओ, पावीअ णो थेरिअं । चारित्तस्स मिश्रा ण जस्स सिअया, केणं पि चंदाइणा; बच्चा सेण गुणा जया अवि विही, कुज्जा सहस्सं मुद्दा ||२७८ || (सद्दलविक्की डिअं)
सेऽह सिद्धसये जणी तिजुए, १५८३ दिक्खा रसंकाहिए १५९६; विज्जादेविसये रिसीहि १६०७ अहिए, सो पंडिओ वायगो । कुमीहिं १६०८ अहिए दिसाहि १६१० अहिए, सूरी शिवाऽकब्बरा; सिंगऽद्धीहि १६४२जगग्गुरुन्ति बिरुद, पत्तो दुगत्ते हि १६५२ खं ।। २७९ ।। (सद्दलविक्कीडिअं)
साहिबई सरो, मित्र स हीरसूरिंदुणो; हवी पयसंदणे, विजयसेणसरी ठिओ । खमाविविहायहो, विपुल साहु सेणाजुओ; कुवाइरिउभीसणो, मविअलोगरक्खायरो ||२८||
(पुहवी)
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गाथा २८७ ] बंधविहाणपसंत्थ [४१ वाए वाइगणप्पि जयसिरिं, घेत्त सहामंडवे; जेणं कालिसरस्सह त्ति बिरुदं, लद्धं णिवाऽकब्बरा । से देवीसयगे जणी मइजुए १६०४, वासेऽग्गिवीसाहिए १६१३; दिक्खा भेहि जुअम्मि १६२८ सूरिपयवी, सग्गो छमाऽस्साहिए १६७१ ।
॥२८१॥ (सहलविक्कीडिअं) वीसंभोजपबोहे, स विजयदेवमुणिंदंगोवई; होही संणिज्झदेवो, सुविजयसेणमुणीसपट्टखे । णिस्सेसं जस्स वत्तं, सुइजसणीररयेहि विट्ठवं; णूणं तं चेव दळु, धरइ सहस्समुहा सरावगा ॥२८॥
(माहवीलया) णाणतवतेअतुट्ठा, पावीअ महातव त्ति बिरुदं जो । साहिणिवजहंगीरा, भणेगसासणपहावयरो ॥२८॥
___ (पच्छाज्जा) जम्मोऽस्स णिवसयेऽद्दे, अहिए ऽतिसयेहि१६३४ तिअयरेहि१६४३ वयं पण्णासो सरिसूहि १६५५ स, सूरी दीवेहि १६५६ खं तिकुणयबुहे १७१३॥
॥२८४।। (पच्छागीई) रइअरो मविप्पयाण जो, जयउ सो गणीसरो गुरू । विजयसिंहसूरिपुंगवो, विजयदेवसूरिणो पए ॥२८॥
(मणोरमा) बंधासमेहि १६४४ अहिए, भूवा वासे कसायसयसंखे । जम्मो अमुस्स होसी, दिक्खा सेणंगणाणेहिं ५६५४ ॥२८॥
(पच्छाज्जा) वेअरयणाय रेहिं १६७२/३, उज्झायो सो हवीअ आयरिओ । गोसिद्धगुणेहि १६८१/२ दिवं, रसंडसुजस्सखग्ग१७०८/मिए।॥२८॥
(पच्छाज्जा)
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..४२ ]
मुणिवीरसेहरविजयविरहम- [ गाथा २८८ तः
सवीअ जं गुणणिहिं, मुणिणो पण्णा- सच्चविजयगणी । सो किरिउद्धारयरो, तप्पट्टे जयउ परमसंवेगी ॥२८८।।
(पच्छागीई) खमहातित्थरसे१६८०ऽहे. जम्मोऽस्स हरिक्कुणाहिचन्दकले१६६४। दिक्खा बलसवसंजमर७२६-मिए पयं अङ्गइसुणागबुहे १७५६।१७५७ खं ।
॥२८९॥ (पच्छागीई) अज्झप्परयणिरीहो, आणंदघणो मुणी हवीअ तया । कयलोगपगासाइ-गंथो उज्झायविणयविजयगणी ॥६॥
(पच्छागीई) जायविसारयवायग-जसविजयगणी अणेगगंथयरो । तह आसि धम्मसंगह-यरवायगमाणविजयगणिपमुहा ॥२६॥
(पच्छागीई) हथिम्मि समारूढो, णिवो व पण्णंसकपुरविजयगणी । सोहीअ तस्स पट्टे, स सिवसुहं दिसउ मव्वाणं ॥२६२।।
(पच्छाज्जा) दिक्खाऽस्स कोसिहदसण-विभंगविस्सम्मि१७२०विक्कमणिवाऽद्दे । स गओ तिविसं भासव-लोगभुवणमेइणीमाणे १७७५ ॥२६॥
(मुहचवलापच्छाज्जा) रक्खणयरी भवाणं, पण्ण(णा)सखमाविजयगणिमुणिंदो । पट्टे पण्णंसकपुर-विजयगणीणं विराईअ ॥२४॥
(पच्छाज्जा) परिसहपिड़ेसणिला१७२२-मिएऽस्स वासे जणी हवीअ वयं । धीवद्धिणरयिले १७४४ सो, सग्गमिओ रसमयऽस्सबुहे १७८६२६५।।
(पच्छाज्जा)
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गाथा ३०३ 1
बंधविहाणपसत्थी
विजयउ जिणविजयगणी, पण्णंसपयंकिओ पए तस्स । से गंदीसरमंदिर-संजम१७५२वासे णिवा जम्मो ॥२६६।।
(पच्छाज्जा) बिंदुभयणयहरे १७७० ऽद्दे, दिक्खा पयमिदुदंतिमुणिकु१७८१मिए । बीए १७८२ गच्छाणुण्णा, सेवहिणंदस्सकुम्मि १७६६ दिवं ॥२७॥
(पच्छाज्जा) जयउ गणी सिरिउत्तम-विजयो तप्पट्टगगणमत्तंडो । तस्स खभूखंडऽद्धिकु(१७६०)-मिए जणी विक्कमणिवाऽद्दे ॥२६८||
(पच्छाज्जा) दिक्खा दिद्विणिहाण-ऽस्स-स्सेअंसु१७९६मिअवच्छ रे । वासे वाहऽक्खिसेलिंदु१८२७-८पमिए सो दिवं गो ॥२६॥
(अणुन ठभं) एअस्स पर भासी, इन्दुमिव इन्दुसेहरस्स सिरे । परमद्रहत्ति खाओ, पण्णासो पम्हविजयगणी ॥३०॥
(पच्छाज्जा) सिंदुररयगेवेज्जय-सुपव्वसंजम १७९२मिए णिवाऽस्स जणी । दिक्खा अणुत्तरामर-वोममयंगयधरासंखे १८०५ ॥३०१।।
__ (पच्छाज्जा) दसकंठकंठपाव-टाण१८१०मिए हायणे पयपइट्ठा । राभसुअदंसणकरटि-खग्ग१८६२पमाणम्मि देवगई ॥३०॥
(पच्छाज्जा) (जुग्गं) गरलोगे मेरुगिरी, जह राईअ तह तस्स पट्टम्मि । मुणिगणसेविअपाओ, पण्णंसो स्वविजयगणी ॥३०॥
(पच्छाज्जा)
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४४.]
मुणिवीर से हरविजयविरइभ- [ गाथा ३०४ तः
रविणा णहमिव पट्टो, गणिणो पण्णं सरूत्रविजयस्स । भूसी अहीअ गणिणा, पंडिअतिरिकित्तिविजएणं ॥ ३०४|| ( पच्छाज्जा)
विउलाजीवणिकाय-पवयणमाया सुहायर १८६१पमाणे । भूवाऽद वयमासी, से बहुसिस्सपरिवारो वि || २०५||
(पच्छाज्जा)
ईसिवसहो पण्णंसो, कत्थुरविजयो गणी चक्किस्स पंचसाह, चक्कं मिव तस्स
विभूसीअ । पट्टसिरिं ॥ ३०६ ॥ ( पच्छाज्जा)
वासम्मि सत्तदलदल - हरदयपुर लिवि१८३७ मिए णिवा तस्स । जम्मो हवीअ दिक्खा, सुन्निंदस्सवयणपुराणे १८७० ॥३०७॥
बुधरो काणणमिव पंडिअमणिविजयगणी,
(पच्छाज्जा)
•
से पट्टमलंकरी सोम्मद्धी । महास afsबद्धो
॥३०८ |
(पच्छाज्जा)
जम्मोsस्स विक्कमाऽद्दे, किवाणधारपरमेट्ठिपयडि १८५२ मिए । वयमविद्धिविज्जे १८७७, वयगुणसयणगुणकुम्मि १९३५ दिवं || ३०६ ॥
(मुहचवला पच्छ । ज्जा)
बंधुरसंविग्गमणो, तत्तरुई णिपिहोऽस्स पट्टधुरं । पणंसो बुद्धिविजय गणो वहीं जह भुं सेसो ॥ ३१०॥ ( पच्छाज्जा) जम्मोsस्सst सिरिस -पयडिम्मि १८६३उवंगविण्हुकुम्मि १९१२वयं । स गओ विअद्धसुरया - वसाणजलणबलिले १६३८ सगं ॥३११ ॥
(जहणचवलापच्छाज्जा)
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बंधवाण सत्थी
गाथा ३१७ ]
पवयणकिरणो,
oaaiबुहीए;
धत्थण्णाणधगारो, दायाऽणंदस्स चंदो, मित्र विजयजुओ, आसि आणंदसूरी । तप्पट्टागाससोहो, मुणिमगणवुओ, णाणदित्तीअ दित्तो; सो सिद्धतिंदुकंता, सिवपहअमिअं, झारमाणो भवत्थं ॥ ३१२।। (सद्धरा)
[ ४५
से वेसार के सबऽद्दिधरणी १८६३ - माणे णिवाऽद्दे जणी; दुग्गा-SSइच्चसयम्मि दंत अहिए १६३२, दिक्खा य संवेगिणी 1 भूएसिक्खणगोपएहि, अहिए १९४३, होहीभ सूरी स उ; रामापच्चद्दराणणेहि अहिए १६५२, पत्तो सुपच्त्रालयं ॥ ३१३॥
(सद्दल विक्कीडिअं)
।
विजयकमलसूरी, तप्पट्टपम्हागरे; मुणिअलिगणकिण्णो, संसारपंकुब्मवो । अगुरइजलजो ही, संसार गुज्झिओ; हव उ कमलकप्पो, भव्वाणं सो सुक्खयो।। ||३१४ || (चंदुजोओ)
जम्मो से बलदेव गोवइसये, वासे णिवा विक्कमा; लोगे सरसवणेहि १९०८ आसि अहिये, संवेगिदिक्खा पुण । संजुत्ते रयणेहि १६३२ सूरिपयवी, अस्सासुगेहिं १६५७ जुए; सो धूमद्धयकुं जरेहिं अहिए १६८३, निव्वाणलोगं गभो ||३१||
(सद्दूलविक्कीडिअं)
विजयाणंदायरिअसु-सिस्सो सिद्धवयणो जयउ लोए । विन्ध्यजणगचरित्तो, उडायो वीरविजयगणी ॥३१६॥
(पच्छाज्जा)
णिहिकुसयेऽस्स णिवा ऽद्द े, जम्मोऽद्दीहि १६०८ अहिए वयंगुणेहिं १९३५ दिक्खा उज्झायपयं, हयिसूद्दि १९५७ जुअम्मि इह येहि १९७५ दिवं । ||३१|| ( पच्छागीई)
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४६ ]
मुणिवीर सेहर विजय विरइअ - [ गाथा ३१८ तः
हा रव्व जो पयगले अमुणो बिमाही, उज्झायवीरविजय ऽक्खगुरुस्स सीसो । जेणं कथं विरइयोहिपभीइदाणं, वीसस्सुओ जयउ सो सिरिदाणसूरी ॥ ||३१|| (वसंततिलया) जिणणिहिससहर ११२४ वासे, भूवा जम्मोऽस्स झीभुं वाडखे । गामे कन्ति मासे, तिहीभ सुद्धचउदसमीए ॥३१६॥
( पच्छाज्जा)
सव्वसहा दसरहसुअ-गारयखंत ११४१६ मग्गमिरमासे सुक्काअ पंचमी, तिहीभ घो(गो) घक्खबंदिरे दिक्खा
I
॥ ३२० ॥
( पच्छ । ज्जा)
1
णयणम हुयरचरणवपु दारुव्वी १९६२ संखवास सहमासे सुक्केगारसमीए, तिहीअ थंभणपुरे स पण्णासो || ३२१|| ( पच्छागीई)
भवरसिहरितगुछिद्दकु१९८१ - मिअवस्से मग्गसीसमासम्म । सिपंचमीदिणे सो, हबीभ छाणीपुरे सूरी || ३२२||
(पच्छाङजा)
सिंधुत्थहरिहलिमही १९९१ पमाणत्रासम्म माहमासम्म । सिअपक्खदुइअदिवसे, सग्गमिओ पाडडीगा ।।३२३|| (पच्छाज्जा)
वीरा पट्टहराणं, अज्जसिलोगाण अक्खराऽज्जा जे । गंथस्स कन्तुणो से, से गुरुभाईण पच्चया तेऽत्थि ॥ ३२४ ॥ ( पच्छागीई)
णं बंदे पेमसूरि, पहिअसुचरणं, दाणमूरिस्स सीस; पट्टव्वोमंसुमालि रसतुरग७६ मिते, वीरपटूढे णिविट्ठ । बद्धो बालप्पबुद्ध-पहुडिमुनिगणो, पेमपा से हि जेणं; कि लज्जाए अदिस्सो, मइविवजिओ, जस्स देवाण सूरी || ३२५||
(सद्धरा
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गाथा ३३० ]
बंध विहारण सत्थी
जो
वच्छल्लणिही णिरीहजलही, चारित्तचूडामणी;
"
जं द पि मुयं अइन्ति परमं पाएण दुट्ठा विही । जेणं संजमरज्जुणा मविगणो, संसारकूवुद्धयो; जस्साणेगगुणालयस्स सिहिरे, लोगा गुणा लिन्छुणो ॥ ३२६ ॥
(सद्द विक्कीfai)
[ ४७
जत्तो
भव्वा किट्टावहा;
जस्सुत्ती
साहुगणावगा पयडिआ, अविलंबसिद्धि फलया-ऽऽसी
एगंत खेमंकरा ।
जस्सिं संकइ जणो गुरुवरो, मुत्तो वि किं गोयमो; लोए ओअरिओ दुहाकुत्नकुलं दठूण बुद्धो
जहा ॥३२७||
(सद्द विक्कीडिओ)
सो सिद्धंतमहो अही मुणिवई, मे दाउ मुणिवई, मे दाउ सिद्धिं परं; तं वंदेह मानहाणसमया पेऊसवाराणिहिं 1 तेणं हं पि जडो मिसं उबकयो, चारित्तदाणाइणा; तस्साहिgपयाण कप्पतरुणो, भावुल्लसेणं णमो ।।३२८।। (सद्दलविक्कीडिअं)
तत्तो पूअसुसंजमा भविगणो, पावेड इट्ठ लहुं; तस्संही फरिसन्ति मन्त्तिणिहरा, मव्वा सिवाकंखिणो । तस्सिं मंदस माहिदाणकुसले, उक्किटुचायालये; कम्मग्गंथर इस्सचारच उरे, गुणा को अलं ॥ ३२६ ॥ (सद्द विक्की डिi)
थोडं
गच्छमेकायवत्तं;
सूरीसो धारए जो, तिसयमुणिजुअं, भूवालाणं अहीसो, जह छदलमहिं, रज्जमेकायवत्तं । जोग्गो जो सूरिठाणे, सुविइअगुरुणा णिच्छमाणो वि णत्थो; सो पुज्जो पेमसूरी, हवउ सिवयरो, धीरलोयत्तरेहो ||३३०||
(सद्धरा)
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४८ ]
मुणिवीरसेहरविजयविरइअ- गाथा ३३१ तः णेगा सुद्धगवेसगा अदुइआ, वेरग्गवारंणिही; गीयत्थुग्गतवा सुसंजमरया, सिद्धंतपारंगमा । विज्जद्दी उबएसदाणकुसला, उक्किटुचायासिआ; गच्छे जस्स मुणी जयउ तिजगे, सो पेमसूरी सया ॥३३॥
(सद्दूलविक्कीडिअं) वच्छल्लंबुणिहीहि गंथकरणे, हं जेहि संपेरिओ; गंथो एस किवाअ जाण रइओ, मे जेहि संसोहिओ । भूयासं जइ हं सहस्मवयणो, सेलाउगो तो वि या वण्णे ण चयामि जाणुवकिइं, ते पंतु अम्हं गुरू ॥३३२।।
(सदूलविक्कीडिअं) सेअस्सऽस्सऽद्धिहत्थि-द्दिअ२४१०मिअ वरिसे, वद्धमाणाववग्गा; सुण्णाकूवारणंद-ऽप१९४०पमिअवरिसे, विक्कमाइच्चभूवा । मासे ही फग्गुणक्खे. परमगुरुजणी, पुण्णिमाए तिहीए; वारे भोमाभिधाने, दुइअचरणगे, उत्तराफग्गुणीभे ॥३३३॥
(सद्धरा) लग्गे मयराभिक्खे, कण्णारासिट्रिअम्मि चंदम्मि । कुम्मामिहरासिम्मि य, आइच्चदसस्ससूनूसु ॥३३४॥
(पच्छाज्जा) सुक्कस्सेसाभूसु, मेसगएसु सणिम्मि वसहठिए । गुरुमंगलेसु कक्क-त्थेसु तुलाअ उण. राहुम्मि ॥३३५।।
. (पच्छाज्जा) पालिताणे णयरे, वासे मुणिसरगहावणी१९५७संखे । बहुलाए छट्ठीए, तिहीअ मासम्मि कत्तिए दिक्खा ॥३३॥
(पच्छागीई)
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गाथा ३४३ ]
बंधवाणपसत्थी
उवठवणा सामाए,
गारसमीभ कम्मवाडी ।
पोसे मासे उंझा णयरे तम्मि कच वासम्म
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भूवा कुरायणिहिधरा १९८९ संखे वासे पण्णास पयं मग्गे, मासे
दभावईपुरे गणि पथवी असि तिहीअ सिआए, दसमीए आसिणे मासे ॥३३८ ॥ ॥
वक्खऽस्सणंदविहु ११७६वासे
( पच्छाज्जा)
अहम्मयावाए । सिअपंचमीदिवसे ॥३३६॥ (पच्छाज्जा)
[ ४
॥३३७||
(पच्छ ।उजा)
मुंबापुरीअ वायग-पयं णिवा तुरगिंककु१९८७ मिए-ऽद्दे । जाअं कत्तिअमासे, तइआअ तिहीअ सामाए ||३४०||
(मुहचवलापच्छाज्जा)
राहणपुरक्खणयरे,
सुक्कच उद्दसतिहिम्मि महूमासे ।
भूत्रा ससंकगहणिहि सुहायराद्दम्मि १६६१ सूरिपयं ॥ ३४१॥ ८ (अंतचवलापच्छाज्जा)
सास पहावगाऽण्णे, वि अज्जमवहिं अणायणामाई | जाआ रोगा सूरी, तह मुणिणो ते जयन्तु जगे ॥ ३४२॥
( पच्छाज्जा)
सिरिपेममूरिसीसो, हेमन्तविजयगणी जयेउ जगे । भूपिण्णासपभो
पहाव एण
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मुद्रणसमयापेक्षया प्रक्षिप्ता गाथाथंभणपुरेsस्स सग्गो, हवीअ भूवाउ जिणणह२०२४मिअद्दे । रयणीअ राहमासे, तिहीभ एगारसीअ बहुलाए ॥ ३४१B ||
( पच्छागीई)
जिअमाणू ।।३४३॥ ( पच्छाज्जा)
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५० ] मुणिवीरसेहरविजयविरइअ- [ गाथा ३४४ तः णेगविहगच्छकज्जे, गुरुपासे कुसलसिटुमंतिसमो । गोयत्थमोलिमुगडो; णिरीहजयणापरायणो धीरो ॥३४४॥
(अंतचवलापच्छागीई) गच्छहिअचिंतनपरो, उवट्रिएसु पि विग्यविंदेसु । जीडरअमुत्तसत्तो, फुडमासी य दढसंकप्पो ॥३४५।।
(आइचवलापच्छाज्जा) तस्स जणी सणिवारे, पणामपरमेट्रिगहमही१६५३संखे । भूवा वासे वीरा, मुद्दा वक्खुजिण२४२३मिअवासे ॥३४६।।
(पच्छाज्जा) मासम्मि मग्गसीसे, चउदसमीए तिहीअ सुक्काए । भासि अहमयावाए, गुज्जरदेसस्स मुक्खपुरे ॥३४॥
(पच्छाज्जा) दिक्खा महागहमुसलि-पुहवी१६८माणे हवीअ भूवा-ऽद्दे । सुक्काअ सत्तमीर, तिहीम वेसाहमासम्मि ॥३४८।।
(जहणचवलापच्छाज्जा।) सुक्काअ जेटुमासे, चउद्दसीए तिहीअ उवठवणा । सोलसतित्थंयरभव--रावणलोयण२०१२पमाणे--ऽद्दे ॥३४॥
(मुहचवलापच्छाज्जा) फग्गुणमासे एगा-रसी बहुला कम्मवाडीए । दत्ता पुणापुरे से, गणिपयवी सगुरुसकरेणं ॥३५०।।
(पच्छाज्जा) पण्णासपयं विहियं, तिहिणह२०१५वासे सुरिंदणयरम्मि । सुक्काए छट्ठीए, विहीम से राहमामि ॥३१॥x
(पच्छाज्जा)
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गाथा ३५७ ] बंधविहाणपसत्थी [ ५१ सीसोऽस्स ललिअसेहर-विजयो विज्जो जयेउ सोम्मद्धी ।। बेरग्गवासिअमणो, वेयावश्चाइणेगगुणजुत्तो ॥३५२।।
(पच्छागीई) वीरविहूओ अंबर-छेभस्सुअमूलसुत्तपाअ२४६०मिए । मागासपयत्थबहिर-गंठिखक्खिगोलग१९१०प्पमिए ॥३५३||
. (पच्छागीई) विक्कमभूवालाओ, वासम्मिणहस्समासम्मि । बहुलाम पंचमीए, तिहीम मासी अमुस्स जणी ॥३४॥
(जहणचवलापच्छोवगीई) णहपाडिहेरसासय-पडिमालोयण२४८०मिए वीरा । संवच्छरे णिवा उण, कप्पदुमविहरमाणजिणे २०१० ॥३५५||
(पच्छोवगीई) दिक्खा-ऽऽसि सहे मासे, सिआअ तइआम कम्मवाडीए । तवमासम्मि समुज्जल तुरिअतिहिम्मि उण उवठवणा ॥३५६।।
(पच्छाज्जा) तस्स सिरिरायसेहर-विजयो सीसो सहोयरयरोऽस्थि संवेगरंगरंजिअ-मणो गयछिवो णिवुणबुद्धी ॥३५५।
(पच्छाज्जा) मुद्रणसमयापेक्षया प्रक्षिप्ते गाथे - X गुज्जरसण्णगदेसे, अहम्मयावाभरायहाणीए । से सूरिपयपइट्टा, गुरुम्मि वारे सुहमुहुत्ते ॥३५१BI
(पच्छाज्जा) मासम्मि मग्गसीसे, पडिहरिणेत्तदसवत्तणेत्तद्दे २०२६ । आसी समुज्जलाए, दुइआए कम्मवाडीए ॥३५१CI
(पच्छाज्जा)
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५२]
मुणिवीरसेहरविजयविरइस- [ ३५८ तः ३६७ गाथा
पासे भूवा ऽक्खरसुअ-गेविज्जयणणेमिणाहभवराए १६६३ । वीरा जोणितिमत्थय-लोयणअणुओगगंध२४६३मिए ॥३५८।। (पच्छाज्जा) सुक्काम पंचमीए, तिहीअ जम्मोऽस्स भद्दवयमासे । वासम्मि सबमासा-ऽसमाहिठाणे २०१० णिवा विक्खा ॥३५॥
(सव्वचवलापच्छाज्जा) मासम्मि मग्गसीसे, सिअतहअतिहिम्मि तम्मि चेवऽहे । मुकचउत्थतिहीए, उवठवणा माहमासम्मि ॥३६०॥ (पच्छाज्जा) तस्स विणेएणं सिअ-दुवालसतिही कामसहमासे । जाएण विहुदिणेऽद्धि-गहंकचंदे १६६४ णिवा वासे ॥३६१।।
(पच्छाज्जा) संभुणहे २०११ तवमासे, सिअदसमतिहिम्मि गहिअदिक्खेणं । जाउवठवणेण य उण,माहवमाससिअसत्तमीदिवसे॥३६२।। (पच्छागीई) आलोइउं पयत्था, कम्मग्गंथाइसत्थकुसलेहिं । मुणिवरजयघोसविजय-धम्माणंदविजयेहि सह ॥३६॥ (पच्छाज्जा) जडमइणा वि विरह, देवगुरुकिवा विजयअंतेणं । मुणिवीरसेहरेणं, बंधविहाणं महासत्थं ॥३६४॥ (पच्छाज्जा) जाउम्हाणपुरे वरे जिणगिहे, जाहे पइट्ठा सुहा; ताहे फग्गुणमाससुक्कतहआ-ऽहे. गुज्जरेऽग्गे पुरे । भूवा दोऽविखणहे २०२२करग्गहजिणे २४६२, वीरा गए हायणे; गंथोऽभू सिरिपालपुवणयर-त्थेणं समत्तो मया ॥३६॥
(सह लविक्कीडि) परउवयाररयेहिं, जेहि पयारेण जेण के विजं । किं साहज्जमिह कयं, मे मण्णे हं सिमुवयारं ॥३६६।। (पच्छाज्जा एत्थ सिमा छउमत्था, मंतिमदा वा जमागमविरुद्धं । किंचि बहुसा तं मयि काऊण किवं विसोहन्तु ॥३६७॥(पच्छाज्मा)
॥ इति मुणिवीरसेहर विजयविरहअबन्धविहाणपसस्थी॥
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